संघ प्रमुख ने पांव पुजाई से विदाई तक संभाली जिम्मेदारी
Varanasi News - वाराणसी के शंकुलधारा पोखरे में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 125 कन्याओं का विवाह हुआ, जिसमें वर-वधू विभिन्न जिलों से आए थे। समारोह में उपस्थित लोग...

वाराणसी, विशेष संवाददाता। समय: शाम के सात बजे। स्थान: खोजवां स्थित शंकुलधारा पोखरा। पीली धोती, कुर्ता औऱ जनेऊ पहने संघ प्रमुख मोहन भागवत गाड़ी से उतरे और सर्वप्रथम कुंड के चारों बैठे अतिथियों और काशीवासियों को प्रणाम किया। सीढ़ियों से उतरकर कुंड के समीप पहुंचे तो उनके पैर महावर से रंगे गए। वैदिक ब्राह्मण बीएचयू के आचार्य राम नारायण द्विवेदी ने उन्हें कन्या के पांव पूजन के लिए आमंत्रित किया। कुंड के समीप संघ के क्षेत्र कार्यवाह और कार्यक्रम के आयोजक वीरेंद्र जायसवाल के साथ वह कन्या पूजन के लिए बैठे। उनके सामने कन्या के रूप में सोनभद्र जिले के रेणूकूट निवासी वनवासी समाज की बेटी राजवंती औऱ उनके वर अमन बैठे थे।
वैदिक ब्राह्मण ने पहले दोनों का पूजन कराया औऱ फिर कन्या और वर के पांव पखरवाये। यह देख वहां मौजूद सभी लोग हर-हर महादेव का घोष करने लगे। यह वहां उपस्थित काशीवासियों के लिए अविस्मरणीय पल था। भागवत का पहली बार यहां इस तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम में आए थे। उनके सरल व्यक्तित्व से हर कोई रूबरू था ही, लेकिन काशीवासी इसके साक्षी बने। करीब 20 मिनट के बाद उन्होंने पूजन कराने के बाद सभी का हाथ जोड़कर अभिनंदन किया। इसी के साथ अन्य 124 कन्याओं का विवाह भी कराया गया। इस दौरान पूरे कुंड क्षेत्र में मंत्रोच्चार की ध्वनि गूंज रही थी। विवाह होने के बाद आयोजक की ओऱ से कन्याओं को उपहार भेंट कर सभी को शुभकामनाएं दी गईं। इसके बाद बेटी की विदाई की रस्म भी निभाई गई। इस दौरान संघ प्रमुख कार्यक्रम स्थल पर ही उपस्थित रहे। घोड़ी चढ़े दुल्हा राजा, धूमधाम से निकली बारात महोत्सव में विवाह की पूरी परम्परा कराई गई। कोई दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर निकला तो कोई बग्घी पर। यह देख कई मां-पिता की आंखें भर आईं। उन्होंने अपनी बेबसी के आगे इस सौभाग्य के बारे में सोचा नहीं था। कुंड से धूमधाम से निकली बरात किरहिया होते हुए वापस कुंड पर पहुंची। रास्तों को रंग बिरंगे झालरों और दूधियां तेज रोशनी से जगमग किया गया था। कई स्थानों पर लोगों ने दू्ल्हा सहित बारातियों पर फूल भी बरसाए। दूल्हा के साथ उनके दोस्तों और रिश्तेदार बैंडबाजा की धूम पर झूमते हुए निकले। उधर, दूल्हन की तैयारी के लिए भी खास इंतजाम किए गए थे। मिर्जापुर, चंदौली, सोनभद्र, प्रयागराज आदि स्थलों से पहुंचे थे सामूहिक विवाह में मिर्जापुर, चंदौली, सोनभद्र, प्रयागराज औऱ वाराणसी के विभिन्न क्षेत्र से वर-वधू पहुंचे थे। भागवत के आगमन की वजह से कुंड के आसपास क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था काफी चुस्त-दुरुस्त थी। शंकुलधारा पोखरे पर जाने वाले मार्गों पर वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन बारातियों के नाम पर कहीं भी प्रवेश के लिए छूट थी। कुंड पर दिखा उत्सव शंकुलधारा कुंड पर आयोजित इस तरह का सामूहिक विवाह समारोह काशीवासियों के लिए अलग था। इस समारोह को देखने के लिए शहरभर से लोग पहुंचे थे। इससे कुंड परिसर व आसपास काफी भीड़ लग गई थी। लोगों में उत्सव का माहौल दिख रहा था।
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