सिर से उठा मुखिया का साया, अब मदद को भटक रहे दर-ब-दर
Prayagraj News - प्रयागराज में कई परिवार पेंशन योजना के लाभ के लिए परेशान हैं। पति की मौत के बाद महिलाएं मजदूरी कर जीवन यापन कर रही हैं, लेकिन पेंशन का पैसा नहीं मिल रहा है। दस्तावेज जमा करने के बावजूद, अफसरों द्वारा...

प्रयागराज। साहब दो साल पहले पति की मौत हो गई। घर में खाने की व्यवस्था मजदूरी से हो रही है। आधा अधूरा पेट भरता है। पारिवारिक पेंशन योजना के लिए आवेदन किया था, लेकिन आज तक कभी तहसील से ब्लॉक और कभी ब्लॉक से मुख्यालय का पता बताया जा रहा है। सहज जनसेवा केंद्र पर हर महीने जाते हैं शायद अब पैसा आ जाए, लेकिन नहीं आया। हाथ जोड़ रहे हैं, हमारा पैसा दिलवा दीजिए। यह कहना है डेराबारी की मिथिलेश कुमारी की। जिनके पति की दो साल पहले मौत हो गई। आज भरण पोषण भी नहीं हो पा रहा है।
शिवराजपुर निवासी कमलेश देवी के पति की मौत दो साल पहले हुई। मजदूरी करके पेट पालने वाली महिला एक बार में एक किलो नमक भी नहीं ले पा रही हैं। घर में बच्चे हैं। मजदूरी करके पैसा आ रहा है। अगर पारिवारिक पेंशन योजना का पैसा मिल जाए तो कम से कम एकमुश्त राशन ही आ जाए लेकिन दस्तावेज तैयार होने के बाद भी महिला अब तक भटक रही हैं। शंकरगढ़ भैसहाई की कमलेश देवी भी एक साल से अधिक समय से विभाग के चक्कर काटकर परेशान हैं। घर में देखभाल करने वाला कोई नहीं है। आधे दिन से अधिक मजदूरी भी नहीं हो पाती। कागजात जमा कराने के बाद भी अफसरों ने आज तक पेंशन योजना का पैसा नहीं भेजा। आज भी दो जून की रोटी बामुश्किल मिल रही है। यह तीन मामले ही नहीं, जिले में पारिवारिक पेंशन लाभ के लगभग 1500 ऐसे मामले हैं, जिसमें लोगों ने परिवार के मुखिया को खो दिया और उन्हें आज तक मदद नहीं मिल सकी। योजना के लिए सभी दस्तावेज बनवाने में पहले दूसरे विभागों के चक्कर काटों और फिर समाज कल्याण विभाग के चक्कर काटने पड़ते हैं। तीसरे तल पर बने दफ्तर तक पहुंचने में ही लोग हांफ जाते हैं। इसके बाद उन्हें कभी बजट न होने की बात कही जाती है तो कभी दस्तावेज न आने की बात कह कर लौटा दिया जाता है। गाढ़ा कटरा निवासी हेमा के माता-पिता दोनों की मौत एक साल पहले हादसे में हो गई। सिर से माता पिता का साया क्या उठा, घर में रोटी के लाले पड़ गए। गांव के लोगों ने बताया और पेंशन योजना के लिए आवेदन किया। लेकिन आवेदन के बाद पैसा आने की उम्मीद में खर्च अधिक हो गया। यह है हाल शंकरगढ़ की बात करें तो 200 से अधिक परिवार आज भी पारिवारिक पेंशन योजना के लिए भटक रहे हैं। जबकि मेजा में 56 आवेदन सालों से पेंडिंग पड़े हैं। पारिवारिक पेंशन योजना के लिए आवेदन करने वाले लोगों के पास खाने और पीने को पैसा नहीं है। बामुश्किल ये लोग दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पा रहे हैं। क्या है पारिवारिक लाभ पेंशन गरीब परिवार के परिवार के मुखिया या कमाने वाले व्यक्ति की अकस्मात मौत होने पर सरकार की ओर से परिवार को भरण पोषण के लिए 30 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। इसका भुगतान एकमुश्त होता है। बार-बार नहीं। चाहिए होते हैं दस्तावेज मुखिया का मृत्यु प्रमाणपत्र, परिवार की वार्षिक आय का प्रमाणपत्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक पासबुक और फोटो चाहिए होती है। 1568 ऐसे मामले हैं जिनकी स्वीकृति अभी जिलाधिकारी से हो गई है। इनके बजट का प्रस्ताव निदेशालय को भेज दिया गया है। बजट आते ही खाते में राशि जाएगी। कुछेक मामले ऐसे भी हैं, जिनका सत्यापन तहसील स्तर पर रुका हो सकता है। इनके बारे में सत्यापन के बाद स्वीकृति ली जाएगी और फिर बजट का प्रस्ताव भेजा जाएगा। डॉ. प्रज्ञा पांडेय, जिला समाज कल्याण अधिकारी
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