बोले काशी- पत्थर चौका अस्त-व्यस्त, जलजमाव करता पस्त
Varanasi News - वाराणसी के भक्तनगर कॉलोनी में बुनियादी ढांचे की गंभीर समस्याएं हैं। लोग गड्ढों और जलजमाव से परेशान हैं। सीवर ओवरफ्लो, खराब स्ट्रीट लाइट, और साफ-सफाई की कमी से लोग त्रस्त हैं। बारिश का मौसम नजदीक है,...
वाराणसी। बीएचयू के पास भक्तनगर कॉलोनी (करौंदी) की दशा बेहतर नहीं है। यहां के बाशिंदे इस गर्मी से खुद को सांसत में भले ही महसूस करते हों लेकिन उनके दिल-दिमाग में अब से बारिश का डर छाया हुआ है। कॉलोनी के पास से ही गुजरता नाला कुछ ऊपर बना दिया गया है, उससे जलजमाव का सामना करना पड़ता है। कॉलोनी के प्रवेश द्वार से दुश्वारियां दिखने लगती हैं। पत्थर के चौके कहीं गड्ढे की शक्ल ले चुके हैं तो कहीं उखड़ गए हैं। सफाई-कूड़ा उठान की भी शिकायत है। भक्तनगर कालोनी में जुटे लोगों ने ‘हिन्दुस्तान से चर्चा में अपना-अपना दुखड़ा सुनाया और गलियों की दशा घूम-घूमकर दिखाई। कहा कि यहां की इस दशा से कोई अनजान नहीं है, लेकिन सुधार की राह पर किसी की भी नजर नहीं है। कौशल्या और विजय नारायण ने कहा कि गलियों में चौके बिछाए काफी समय हो गया है लेकिन आज इन पर चलना आसान नहीं है। वाहन से चलने को कौन कहे पैदल चलने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस कालोनी की मुख्य समस्या अभी मार्ग की है। अगर बिछाए गए चौकों को व्यवस्थित करा दिया जाए तो यहां के निवासियों को आवागमन में काफी सुगमता हो जाएगी। अभी बरसात का मौसम नहीं आया है। बारिश तो यह पता ही नहीं चलता कि कहां गड्ढा बन गया है। लोग इन चौकों से टकराते-बचते आना-जाना किए हैं। इसके अलावा कोई अन्य मार्ग नहीं है जिससे कि सुगमता से मुख्य मार्ग पर पहुंचा जा सके। कहीं कहीं चौके इतने धंस गए हैं कि रात में जरा सी असावधानी हुईं कि गिरे। अगर इससे बच गए तो उखड़े चौके से पैर टकराने की आशंका हर समय बनी रहती हैं, हालांकि लोगों के पैर टकरा भी जाते हैं, लेकिन लोग कोसते हुए निकल जाते हैं। वाहन से बच्चों को स्कूल पहुंचाते समय तो इस ऊबड़-खाबड़ पर हिचकोले खाते जाना ही मजबूरी है। कभी-कभी तो बच्चे गिरकर जख्मी हो जाते हैं।
झेलते सीवर ओवरफ्लो का दंश
अरविंद पटेल, विजय पाल ने कहा कि कॉलोनी में सीवर ओवरफ्लो बड़ी समस्या है। सफाई नहीं होने से सीवर अक्सर जाम हो जाता है और गंदा पानी सड़क पर फैल जाता है। इसके बीच से होकर गुजरना पड़ता है। कहा कि हमें तो यह याद ही नहीं कि सीवर की, चैंबर की कभी सफाई भी हुई हो। गर्मी के चलते अभी चौके धूप में सूखे पड़े है। सीवर ओवरफ्लो के दौरान तो हम लोगों को इतनी तकलीफ होती है कि कुछ कह पाना मुश्किल है। पास से बहता नाला भी पानी निकलने नहीं देता। पूरी कॉलोनी के लोग बेतरह परेशान हो जाते हैं। सीवर ओवरफ्लो न करे, इसके लिए इसकी विधिवत सफाई करायी जानी चाहिए। अभी गर्मी का मौसम चल रहा है। अगर अभी सफाई नहीं कराई गई तो बरसात तो हालत बदतर हो जाएगी।
अब से सता रहा बारिश का भय
चंद्रभान पटेल, हरिकेश पटेल कहते हैं कि कॉलोनी की दशा बदतर है। पास से ही गुजरता नाला और उस पर बनाई गई ऊंची पुलिया भी हम लोगों की परेशानी का सबब बन जाती है। जल निकासी की उचित सुविधा नहीं होने का कष्ट वर्षों से भुगत रहे हैं। इससे निजात दिलाने के लिए संबंधितों को पहल करनी चाहिए। कुछ दिन पहले हुई बारिश में भी काफी कष्ट झेलना पड़ा था। एक तो चौके उखड़े-धंसे और उस पर भरा पानी। ऐसे में नहीं दिखता कि कहां चौका उखड़ा है और कहां धंसा। गिरना या टकराना तो तय रहता है। अगर पानी भरा है तो बहुत संभल-संभल कर कदम रखना पड़ता है। कई बार तो लोग गिर भी जाते हैं। रात में तो और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता हैं।
एक ही जगह चार खंभे
कॉलोनी में एक ही जगह चार खंभे गड़े हैं, जिनसे बिजली के तार खींचे गए हैं। इस पर तारों का जंजाल है। मनोज कुमार, सौभाग्य ने कहा कि इतने खंभे होने के बावजूद बिजली के तारों का यह जंजाल कब झटका दे दे, कहा नहीं जा सकता। बिजली कटौती भी खूब होती है। हाल यह है बिजली है तो है, गई तो गई। कब आएगी कुछ ठीक नहीं है। बिजली के नहीं रहने से पेयजल की भी दिक्कत हो जाती है। यह समस्या किसी एक दिन की नहीं बल्कि अक्सर की है। इसकी शिकायत किससे करे, किससे कहे, कुछ समझ में नहीं आता। कहा कि कॉलोनी में जब भी कोई नया व्यक्ति आता है तो एक ही स्थान पर बेतरतीब तरीके से लगाए गए खंभों पर उसकी नजर पड़़ ही जाती है। प्राय: यह कहते आगे बढ़ जाता हैं कि कहीं एक भी खंभा नहीं तो कहीं चार-चार खंभे। यहां टेलीफोन का भी खंभा लगा है और तार भी उलझे पड़़े हैं। इसे दुरुस्त किया जाना चाहिए।
स्ट्रीट लाइट खराब
यहां के निवासी निर्भय सिंह, राहुल पटेल ने कहा कि कॉलोनी में स्ट्रीट लाइट तो लगी है, लेकिन अक्सर खराब हो जाती है। कभी कभी तो स्थिति यह होती है कि चौबीसों घंटे स्ट्रीट लाइट जलती रहती है। अगर बुझ गई तो कब जलेगी, कोई नहीं जानता। इसका परिणाम यह होता है कि कॉलोनी के लोगों को अंधेरे में ही आवागमन करना पड़ता है। मार्ग पर बिछाए गए चौकों के अस्त-व्यस्त होने के कारण लोगों को अक्सर गिर जाने का भय सताता रहता है। वाहन तो हिचकोले खा ही जाते हैं। कई बार तो वाहन के साथ ही लोग गिर भी पड़े हैं, जख्मी भी हुए हैं। स्ट्रीट लाइट तो दुरुस्त रहनी चाहिए ताकि रात में कॉलोनी में रोशनी रहे। कहा कि कुछ दिन पहले आई आंधी में स्ट्रीट लाइट लटक गई लेकिन आज तक ठीक नहीं की गई। वैसे ही पड़ी है।
आयुष्मान कार्ड बनवाएं
सूरज, शिव कुमार ने मार्ग, बिजली आदि की समस्या के साथ ही आयुष्मान कार्ड नहीं बनने का दुख सुनाया। कहा कि अनेक लोगों के आयुष्मान कार्ड नहीं बने हैं। अगर इसकी सुविधा मिल जाती तो गंभीर रोगों का इलाज कराने में हम लोगों को काफी राहत हो जाती। मनोज कुमार ने कहा कि अगर आयुष्मान कार्ड बन गया होता तो हम अपने माता-पिता का इलाज समुचित ढंग से इलाज करा पाते। कार्ड के नहीं होने के कारण आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा था। आयुष्मान कार्ड बनाने की दिशा में संबंधित विभाग को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, पहल करनी चहिए कि सभी लोगों को आयुष्मान का लाभ मिल सके।
कंटेनर रखवाएं
राधेश्याम, विनोद यादव ने सड़क सीवर की चर्चा तो की ही यह भी कहा कि कॉलोनी में कूड़ा फेंकने के लिए कोई स्थान तय नहीं है। लोग कहीं भी कूड़ा फेंक देते हैं। आसपास के खाली प्लाटों में भी कूड़ा फेंकते रहते हैं। यहां कूड़ा फेंकने के लिए कंटेनर नहीं रखवाया गया है। अगर कालोनी में कंटेनर रखवा दिया जाय तो लोग उसमें ही कूड़ा फेंकेगे, गंदगी नहीं होगी। कूड़ा इधर उधर बिखरेगा नहीं। कूड़ा उठाने का भी उचित प्रबंध होना चाहिए।
सुझाव
-कॉलोनी में बिछे चौकों को नए सिरे से ठीक कराने की जरूरत है, ताकि आवागमन में सुगमता हो सके।
-सीवर लाइन और चैंबर की सफाई कराना बहुत जरूरी है। इससे ओवरफ्लो की समस्या का समाधान हो जाएगा, सभी को राहत होगी।
-कॉलोनी में जलनिकासी की उचित व्यवस्था करने की जरूरत है ताकि बरसात के मौसम में पानी मार्ग पर न लगे, निकल जाए।
-स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त रखने की जरूरत है ताकि लोगों को रात में आवागमन करने में परेशानी का सामना न करना पड़े।
-कूड़ा फेंकने के लिए कोई स्थान तय करें, कंटेनर रखवाया जाए। इससे कूड़ा बिखरेगा नहीं। कूड़ा उठाने का भी उचित प्रबंध हो।
शिकायतें
-चौके तो बिछाए गए हैं, लेकिन कहीं चौके धंसकर गड्ढे की शक्ल ले चुके हैं तो कहीं उखड़ गए हैं।
- सफाई नहीं होने से सीवर अक्सर जाम हो जाता है। पानी सड़क पर फैल जाता है।
-जल निकासी की उचित सुविधा नहीं हैं। इसके लिए संबंधितों को गंभीरता से पहल करनी चाहिए।
-स्ट्रीट लाइटें अक्सर खराब हो जाती हैं। कभी कभी वे चौबीसों घंटे जलती ही रहती हैं।
-कूड़ा फेंकने का स्थान तय नहीं है। लोग कहीं भी कूड़ा फेंक देते हैं। कहीं कंटेनर नहीं रखा गया है।
हमारी भी सुनें
मार्ग पर बिछाए गए चौकों को फिर से ठीक कराने की जरूरत है। इस पर वाहन जमकर हिचकोले खाते हैं।
-विजय नारायण
इस मार्ग से गुजरना किसी खतरे से कम नहीं है। रात में इस रास्ते से आने-जाने पर चोट लगनी तय है।
-कौशल्या देवी
सीवर की सफाई बहुत जरूरी है। कॉलोनी के लोग सीवर ओवरफ्लो के समय बेतरह परेशान होते हैं।
-अरविंद पटेल
इस कॉलोनी में जलनिकासी व्यवस्था मजबूत करने की जरूरत है ताकि पानी मार्ग पर न लगे, निकल जाए।
-विजय पाल
जलनिकासी की उचित सुविधा न होने का कष्ट भुगत रहे हैं। निजात दिलाने के लिए संबंधित पहल करें।
-चंद्रभान पटेल
अभी से बरसात की सोच कर मन में भय समाया है कि जमकर बारिश होगी तो जलजमाव झेलना पड़ेगा।
-हरिकेश पटेल
बिजली कटौती के कारण पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। बिजली कटौती रूकनी चाहिए।
-निर्भय सिंह
बिजली के उलझे तारों को ठीक करने की जरूरत है। इससे हमेशा मन में शार्ट सर्किट का अंदेशा बना रहता है।
-सौभाग्य
आयुष्मान कार्ड नहीं बना है। अगर समय पर आयुष्मान कार्ड बन गया होता तो माता-पिता का इलाज हो जाता।
-मनोज कुमार
स्ट्रीट लाइटें कभी कभी चौबीसों घंटे जलती रहती हैं। बुझ गईं तो कब जलेंगी, कोई नहीं जानता।
-राहुल पटेल
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