बोले काशी- संकरी सड़क पर अतिक्रमण से मुश्किल हुई राह
Varanasi News - वाराणसी के कॉलेज छात्रों ने सुरक्षा और परिवहन में सुधार की मांग की है। अतिक्रमण और जाम के कारण उन्हें आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों ने पिंक बसों की व्यवस्था, पुलिस...
वाराणसी। हाल के दशकों में विकास की कई ‘लेन बनी हैं मगर ज्यादातर में भावी पीढ़ियों की शिक्षा की गाड़ी फंस जा रही है। अतिक्रमण और जाम का स्थायी समाधान न होने से कॉलेज-विवि के छात्र-छात्राओं को आए दिन मुश्किलें होती हैं। शहर के पुराने डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र-छात्राओं को भी उसी अनुभव से गुजरने की आदत पड़ चुकी है। उनका कहना कि ट्रैफिक सुगम हो और पुलिस प्रॉपर पेट्रोलिंग करें तो कॉलेज पहुंचने में आसानी होगी। छात्राओं ने पिंक बूथ और बस की व्यवस्था कराने पर भी जोर दिया। कॉलेज परिसर में ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में विद्यार्थियों ने आए दिन झेल रही परेशानियों का जिक्र किया।
बोले, वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान जाम में फंसने पर हम सिर्फ खुद के लिए परेशान नहीं होते बल्कि ई-रिक्शा और ऑटो वालों के साथ पुलिस के व्यवहार से भी चिंतित हैं। उनका कहना है कि पुलिस के जवानों को नैतिक व्यवहार का प्रशिक्षण मिले ताकि वे किसी के साथ बुरा व्यवहार न करें। कॉलेज की ईशा, अकांक्षा चौबे, गरिमा तिवारी ने ध्यान दिलाया कि कॉलेज के बाहर हमेशा अवैध अतिक्रमण रहता है। कॉलेज के आसपास गुटखा और शराब की दुकानें हैं। पूरे दिन वहां अराजकतत्वों का जमावड़ा रहता है। लोग नशे में अभद्रता करते हैं। जबकि नियम है कि स्कूल-कॉलेज के 100 मीटर के दायरे में शराब-गुटखा की दुकानें नहीं होनी चाहिए। उसका सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। मरियम फातिमा, ऋतु सिंह बोलीं, इतने बड़े कॉलेज में न पिंक बूथ है और न पुलिस की पेट्रोलिंग होती है। हमेशा असुरक्षा का भाव रहता है। विद्यार्थियों ने गोदौलिया पर चार पहिया वाहनों की पार्किंग, घाटों पर शौचालय न की ओर भी ध्यान खींचा। कहा कि घाटों पर पर्यटकों-तीर्थयात्रियों के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। चले पिंक बस, महिला चालक बढ़ें मरियम फातिमा, ऋतु सिंह ने कहा कि महिलाओं और छात्राओं के लिए पिंक बस की व्यवस्था होनी चाहिए। दिल्ली की तर्ज पर हर रूट बसें चलाई जाएं। ऑटो और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। छात्राओं ने बताया कि मैदागिन रूट पर एक महिला ऑटो चलाती हैं। वह केवल महिलाओं को ही बैठाती हैं। उनसे आवागमन सुरक्षित महसूस होता है। ऐसी ही सक्षम दूसरी महिलाओं को भी सरकार की ओर से ऑटो मिलना चाहिए। इससे उनकी कमाई होगी, महिलाओं को सुरक्षित विकल्प मिलेगा। स्कूल--कॉलेज के दौरान रहे डायवर्जन छात्र अभयराज पांडेय, हर्ष राय, गोपाल ने कहा कि शहर में जाम सबसे बड़ी समस्या हो गई है। आम लोगों के साथ विद्यार्थी और पर्यटक भी इसका शिकार हो रहे हैं। प्रतिदिन लोगों का घंटों समय बर्बाद होता है। कई बार विद्यार्थी समय से कक्षा में नहीं पहुंच पाते। परीक्षाओं पर भी असर पड़ता है। इसलिए स्कूल-कॉलेज के समय उनके रूट पर डायवर्जन लागू होना चाहिए। इससे विद्यार्थियों को सहूलियत होगी। पुलिस की अभद्रता से चिंता छात्रों ने कहा कि वीवीआईपी आगमन के समय पुलिस जनता से अभद्रता करती है। महाकुंभ के समय का एक वाकया साझा करते हुए अभयराज ने कहा कि एक रिक्शे वाले को पुलिस ने गोदौलिया पर रोक लिया। इसके बाद उसे बीच रास्ते से वापस जाने को कहा गया। वह बता रहा था कि कुछ ही दूर आगे जाना है, पांच मिनट का रास्ता है लेकिन पुलिस वाले ने उसे छोड़ा नहीं और रिक्शे की हवा निकाल दी। आम जनता के साथ पुलिस का यह रवैया ठीक नहीं है। अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए किसी को प्रताड़ित करना गलत है। हर्ष राय, गोपाल, स्वयं कुमार ने कहा कि पुलिस को नैतिक शिक्षा मिलनी चाहिए। खुली नालियों, गंदगी से छवि पर असर छात्र शहर की छवि को लेकर भी चितिंत दिखे। शशि, सुरेश कुमार, अतुल मौर्या ने कहा कि एक तरफ स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, दूसरी तरफ शहर में कई जगह सड़कों पर नाले का पानी बह रहा है। नालियां खुली हैं। गंदगी का अंबार लगा हुआ है। स्वच्छता के लिए प्रशासन के साथ आम लोगों की भी जिम्मेदारी है। वे सड़कों पर कू़ड़ा न फेंके। लेकिन खुली नालियां तो प्रशासन की ढंकवा सकता है। एक साथ दो-दो विषय कैसे पढ़ें शशि, सुरेश कुमार, अतुल मौर्या ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से कोर्स का भार बढ़ गया है। एक साथ दो-दो विषयों की पढ़ाई हो रही है। ऐसे में न तो कक्षा करना संभव हो पा रहा है न ही परीक्षा की तैयारी। इसमें सुधार की जरूरत है। साहिल राजा, प्रियांशु गुप्ता, प्रसून द्विवेदी ने कहा कि नई नीति को बेहतर शिक्षा के लिए लागू किया जा रहा हैतो उसकी खामियां पहले दूर की जाएं। खेल मैदान में बाहरियों की आवाजाही राजा, प्रियांशु गुप्ता, प्रसून द्विवेदी, पवन कुमार ने ध्यान दिलाया कि कॉलेज के खेल मैदान में कई बार बाहरी आ जाते हैं। यहां गंदगी फैलाते हैं। कई बार शराब की बोलतें और गुटखा के रैपर मिले हैं। कॉलेज की ओर से जिला प्रशासन को इसके लिए पत्र भी दिया गया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं है। मरियम फातिमा, ऋतु सिंह ने कहा कि बाहरियों के प्रवेश से छात्राओं में असुरक्षा का भाव रहता है। उन पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए। प्रदूषण के नियमों का सख्ती से हो पालन शहर में बढ़ते प्रदूषण पर भी छात्र परेशान हैं। उनका कहना है कि नियम तो बना दिए जाते हैं मगर उनका प्रभावी ढंग से अनुपालन नहीं होता। धुआं छोड़ने वाली पुराने बसें पूरे शहर में चल रही हैं। पेड़ों की कटाई से शहर में प्रदूषण बढ़ रहा है। विभाग के ओर से पौधे लगाए जा रहे हैं, उनकी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पौधे कुछ दिन बाद ही सूख जाते हैं। जर्जर मकानों पर नहीं हुई कार्रवाई शहर में जर्जर भवन के चलते हुए हादसे का भी विद्यार्थियों ने जिक्र किया। अनिमेश कुमार ने कहा कि कुछ दिन पहले गोदौलियां गेट नंबर तीन के पास जर्जर भवन ढहने से एक की मौत हो गई थी। तब प्रशासन ने कई जर्जर भवनों पर नोटिस चिपकाया लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। शहर में कई जर्जर भवन हादसे को दावत दे रहे हैं। उन पर प्रशासन को सख्ती से काम करना चाहिए। एक सेमेस्टर की परीक्षा, मैसेज सभी को विद्यार्थियों ने कहा कि एक सेमेस्टर की परीक्षा होती है लेकिन बीएचयू की ओर से सभी विद्यार्थियों को परीक्षा का मैसेज आता है। इससे विद्यार्थी परेशान हो जाते हैं। साहिल राजा, प्रियांशु गुप्ता ने कहा कि इसपर ध्यान दिया जाना चाहिए। जिस समेस्टर की परीक्षा हो, उसी के विद्यार्थियों को मैसेज जाना चाहिए। प्रसून द्विवेदी, पवन कुमार ने बताया कि कई बार परीक्षा के एक दो दिन पहले प्रवेश पत्र जारी होता है। यह हफ्ते पहले जारी होना चाहिए। इसके साथ ही समेस्टर रिजल्ट को लेकर भी छात्र परेशान हैं। दूसरे समेस्टर की क्लास शुरू होने के कई माह बाद भी रिजल्ट नहीं आता है। नहीं है बस की सुविधा चंदौली से डीएवी में पढ़ने आने वाले सुमित सिंह ने कहा कि कई शहरों से बस की सुविधा नहीं है। चंदौली से बनारस की बस सेवा नहीं होने से कॉलेज आने में परेशानी होती है। विद्यार्थियों के लिए आसपस के सभी जिलों से बस की सुविधा होनी चाहिए। इससे सहूलियत होगी। सुनें हमारी बात कॉलेज के पास पिंक बूथ नहीं है। पुलिस पेट्रोलिंग भी नहीं होती। कॉलेज के दौरान पुलिस पेट्रोलिंग अनिवार्य हो। - ईशा कॉलेज के बाहर अतिक्रमण है। आसपास गुटखा और शराब की दुकानें हैं। वीहां लोग नशे में अभद्रता करते हैं। - आकांक्षा चौबे वारणसी में भी हर रूट पर महिलाओं और छात्राओं के लिए डेडिकेटेट बसें चलाई जाएं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में परेशानी होती है।- मरियम फातिमा जाम सबसे बड़ी समस्या हो गई है। आम लोगों के साथ ही विद्यार्थी भी इसका शिकार हो रहे हैं। घंटों समय बर्बाद होता है। - अभयराज पांडेय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से कोर्स का भार बढ़ गया है। एक साथ दो-दो विषयों की पढ़ाई से तैयारी मुश्किल है। - हर्ष राय शहर में प्रदूषण के नियमों का पालन नहीं होता। धुआं छोड़ने वाली पुरानी बसें पूरे शहर में प्रदूषण बढ़ा रही हैं। - स्वयं कुमार कई शहरों से बस सुविधा नहीं है। विद्यार्थियों के लिए आसपास के सभी जिलों से आवागमन की सुविधा होनी चाहिए। - सुमित सिंह शहर में जर्जर भवन के कारण कई हादसे हो चुके हैं मगर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही। - अनिमेश कुमार शहर में स्कूल-कॉलेज के समय रूट डायवर्जन होना चाहिए। इससे विद्यार्थियों को आवागमन में सहूलियत होगी। - अनुष्का सुझाव 1- कॉलेज के बाहर पिंक बूथ बनाया जाए। इसके साथ ही कॉलेज के समय प्रतिदिन पुलिस पेट्रोलिंग होनी चाहिए। ताकि लोगों में सुरक्षा का भाव रहे। 2- जाम से निजात की स्थायी व्यवस्था होनी चाहिए। स्कूल-कॉलेज के समय रूट डायवर्जन लागू होना चाहिए। ताकि विद्यार्थियों को समस्या न हो। 3- कॉलेज के गेट से अतिक्रमण हटाया जाए। वैसे ही रास्ता संकरा है। गुटखा और शराब की दुकानें भी हटनी चाहिए। 4- कॉलेज के खेल मैदान में बाहरियों के प्रवेश पर पूर्ण रोक लगे। इसके लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इससे विद्यार्थियों को सहूलितय होगी। 5- जिस समेस्टर की परीक्षा हो, उसी समेस्टर के विद्यार्थियों को मैसेज जाना चाहिए। विश्वविद्यालय की ओर से कम से कम एक हफ्ते पहले प्रवेश पत्र जारी किया जाए। शिकायतें 1- कॉलेज के पास पिंक बूथ नहीं है। पुलिस पेट्रोलिंग भी नहीं करती है। इससे विद्यार्थियों में असुरक्षा का भाव रहता है। किसी घटना के बाद 112 नंबर पर फोन करना पड़ता है। 2- जाम शहर की सबसे बड़ी समस्या बन गई है। आम लोगों के साथ विद्यार्थियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कक्षाएं छूट जाती हैं तो कभी परीक्षा में देरी होती है। 3- कॉलेज के गेट पर अतिक्रमण है। आसपास गुटखा-शराब की दुकाने हैं। जबकि नियम है कि स्कूल-कॉलेज के पास ऐसी दुकानें नहीं होनी चाहिए। 4- कॉलेज के खेल मैदान में बाहरियों की आवाजाही होती है। बाहरी गंदगी फैलाते है। कई बार शराब की बॉटल और गुटखों के पैकेट मिलते हैं। 5- एक समेस्टर की परीक्षा होती है जबकि मैसेज सभी समेस्टर के विद्यार्थियों को आता है। परीक्षा के एक दो दिन पहले प्रवेश पत्र जारी होता है। इससे विद्यार्थियों को परेशानी होती है। बोले जिम्मेदार बाहरियों को रोकने को कर रहे काम खेल मैदान में बाहरियों का प्रवेश रोकने के लिए प्रॉक्टोरियल बोर्ड काम कर रहा है। कॉलेज के बाहर अतिक्रमण हटाने की जिला प्रशासन से मांग की गई थी लेकिन समाधान नहीं हुआ। कॉलेज के बाहर पिंक और पुलिस पेट्रोलिंग की जरूरत है। - प्रो. मिश्री लाल, कार्यवाहक प्राचार्य सामुदायिक विकास को भी चलें कक्षाएं विद्यार्थियों के सामुदायिक विकास के लिए भी कक्षाएं अनिवार्य होनी चाहिए। इससे उन्हें समुदाय और समाज के बारे में जानकारी मिलेगी। वे समाज की जिम्मेदारियों को भी समझेंगे। -प्रो. संगीता जैन, उप प्राचार्य अतिक्रमण से शिक्षक भी परेशान विद्यार्थियों की शिक्षा और सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। कॉलेज के बाहर कुछ परेशानियां हैं। अतिक्रमण से शिक्षकों को भी परेशानी होती है। उसे दूर कराने का प्रयास किया जा रहा है। प्रो. राहुल, उप प्राचार्य
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