टैक्स में केंद्र और यूपी की हिस्सेदारी 50-50 हो, वित्त आयोग से योगी सरकार की मांग
16वें वित्त आयोग के सामने राज्य सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 41 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की है। साथ ही अन्य मानकों में भी अपनी योजनाओं के लिए मुफीद परिवर्तन का प्रस्ताव रखा है।

यूपी के दौरे पर आए 16वें वित्त आयोग के सामने राज्य सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 41 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की है। साथ ही अन्य मानकों में भी अपनी योजनाओं के लिए मुफीद परिवर्तन का प्रस्ताव रखा है। इसी के साथ सरकार ने बिजली, पंचायत राज, स्वास्थ्य में मूलभूत सुविधाएं बढ़ाने के लिए करों में हिस्सेदारी के अलावा अलग से धनराशी की मांग की है। मसलन, स्वास्थ्य विभाग ने 26000 करोड़ रुपये और पंचायती राज विभाग ने 2.10 लाख करोड़ रुपये की मांग की है। वहीं बैठक में बिजली की दो कंपनियों के निजीकरण का भी मुद्दा उठा।
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने बुधवार को आयोग के सदस्यों के साथ लोकभवन में पत्रकार वार्ता की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई बैठक के बारे में जानकारी दी। वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य सरकार की मांगों को लेकर आयोग को मांग पत्र सौंपा है, जिसमें केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की गई है। साथ ही उत्तर प्रदेश ने विशेष विकास योजनाओं के लिए स्पेशल फंड डीडीए दिए जाने की मांग भी उठाई है।
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बैठक के दौरान प्रदेश सरकार ने उत्तर के विकास और सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्यौरा पेश किया, जिसकी आयोग ने सराहना की। उत्तर प्रदेश की प्रमुख मांगों के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने इनकम डिस्टेंस क्राइटेरिया 45 प्रतिशत, भौगोलिक क्षेत्रफल के अनुसार हिस्सेदारी को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत, जनसंख्या के आधार पर आंकलन की जाने वाली धनराशि को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 22.5 प्रतिशत, जनसांख्यिकीय प्रदर्शन के अनुसार 12.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत, वन क्षेत्र के अनुसार 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत, कर संग्रहण प्रयास 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाने का प्रस्ताव आयोग को दिया गया है। दरअसल, यूपी चाहता है कि उसे अपनी आबादी के हिसाब से ज्यादा धनराशि मिले और उत्तर प्रदेश जब राज्य कक संग्रह करने में आगे है तो उसे उसी के मुताबिक धनराशि मिलनी चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग ने मांगे 26000 करोड़ रुपये
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला अस्पतालों में उपकरणों की खरीद, रखरखाव के अलावा अस्पतालों की हालत सुधारने, लैबों के निर्माण, सीटी स्कैन व अल्ट्रा साउंड मशीनों के लिए धनराशी की मांग की गई है। वहीं राज्य के मेडिकल कालेजों के निर्माण व वहां मरीजों के साथ ही पढ़ने वाले मेडिकल छात्रों के लिए सुविधाएं भी इस धनराशि से जुटाने का प्रस्ताव रखा गया है।
पंचायती राज विभाग ने मांगी 2.10 लाख करोड़
पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि 2.10 लाख करोड़ रुपये 16 वें वित्त आयोग से विभाग के लिए मांगे गए हैं। जिसमें ग्राम सचिवालय, एसबीएम योजना, ब्लॉक भवन, जिला पंचायत भवन, शौचालय और हैंडपंप को रीबोर करने सहित विभिन्न योजनाओं के लिए धनराशि मांगी गई है।
15वें वित्त आयोग की सिफारिशें इस प्रकार थीं
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि वित्त आयोग का मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच करों के बंटवारे का प्रस्ताव तैयार करना है, जिसे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने कहा कि क्षैतिज वितरण के संदर्भ में 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें इस प्रकार रही हैं- जनसंख्या के अनुसार 15 प्रतिशत, क्षेत्रफल 15 प्रतिशत, वन 10 प्रतिशत, कर संग्रहण प्रयास 2.5 प्रतिशत और जनसांख्यिकीय प्रदर्शन 12.5 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग में सबसे अधिक 45 प्रतिशत इनकम डिस्टेंस क्राइटेरिया को दिया गया था।
जीएसडीपी के अनुपात में है प्रदेश का कर संग्रह
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश बहुत ही अच्छी तरह से संचालित राज्य है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का कर संग्रह जीएसडीपी के अनुपात में है, जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि यूपी का राजकोषीय घाटा सामान्य सीमा के भीतर है, इसका ऋण-से-जीडीपी अनुपात भी प्रबंधनीय स्तरों के भीतर है। वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि पिछले वित्त आयोग ने राज्यों को 41 फीसदी और केंद्र सरकार को 59 फीसदी हस्तांतरित किया था। यह कर राजस्व का वर्तमान विभाजन है।