आरक्षण पर झूठ बोल रहे योगी के उर्जा मंत्री एके शर्मा? पावर ऑफिसर्स का आरोप, पूछा- NPCL में लागू क्यों नहीं
योगी सरकार में उर्जा मंत्री एके शर्मा ने सदन में बिजली कंपनियों के निजीकरण के बाद भी आरक्षण का पालन करने का आश्वासन देकर नई बहस को जन्म दे दिया है। पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने उर्जा मंत्री के आश्वासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण की तैयारियों का विरोध कर रहे पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने विधान परिषद में उर्जा मंत्री एके शर्मा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। संगठन ने पूछा है उर्जा मंत्री आरक्षण को लेकर सदन में क्यों झूठा आश्वासन दे रहे हैं। संगठन ने केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद कहा कि आरक्षण केंद्र सरकार का विषय है, फिर सदन में ऊर्जा मंत्री का झूठा आश्वासन उचित नहीं है। वह झूठ क्यों बोल रहे हैं? उन्हें तो यह भी साफ करना चाहिए कि नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) में आरक्षण व्यवस्था क्यों लागू नहीं है?
सोमवार को उर्जा मंत्री ने विधानपरिषद में सपा विधायक आशुतोष सिन्हा के जवाब में कहा था कि बिजली कंपनियों के निजीकरण के बाद भी आरक्षण व्यवस्था का पालन किया जाएगा। इसी को लेकर एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब तक लोकसभा से निजी क्षेत्रों में आरक्षण का कानून नहीं बन जाता तब तक ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को सदन में इस पर झूठा बयान नहीं देना चाहिए।
ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि निजीकरण से आरक्षण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनका यह बयान दलित व पिछड़े वर्ग के कर्मचारियों के बीच भ्रम पैदा करने वाला है। यूपी में निजीकरण का पहला प्रयोग 1993 में एनपीसीएल के तौर पर हुआ था। वहां तो आज तक आरक्षण प्राविधान लागू नहीं हैं। मुंबई, चंडीगढ़ और ओडिशा में निजीकरण के बाद आरक्षण लागू नहीं है। जब कहीं भी निजीकरण के बाद आरक्षण लागू नहीं है तो ऊर्जा मंत्री झूठ बोलकर भ्रम क्यों फैला रहे हैं?
एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी केन ने कहा कि प्रदेश के 42 जिलों में दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का निजीकरण होने से लगभग 16,000 आरक्षित पद समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर निजीकरण के बाद भी आरक्षण को लेकर ऊर्जा मंत्री और प्रदेश सरकार गंभीर है तो प्रदेश सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजे, जिसमें निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए कानून बनाने की मांग करे।