बोले हरिद्वार : भूपतवाला क्षेत्र में सीवर लाइन बिछाने के बाद छोड़े गए गड्ढों से हादसे का खतरा
हरिद्वार के भूपतवाला क्षेत्र में सड़कों के गड्ढे लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन गए हैं। सीवर लाइन के कार्य के बाद गड्ढों को ठीक से नहीं भरा गया, जिससे 80 हजार की आबादी को आवाजाही में कठिनाई हो रही है।...
हरिद्वार के भूपतवाला क्षेत्र में सड़कों के गड्ढे लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। सीवर लाइन का कार्य पूरा होने के बाद सड़कों के गड्ढों को नहीं भरा गया। जिसके कारण यहां की 80 हजार की आबादी को सड़क पर आवाजाही करने में बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है। पिछले दो माह से सड़कों में गड्ढे लोगों के लिए बड़ी दिक्कत बन गए है। रोजाना इन गड्ढों में वाहन पलट रहे हैं। बच्चे और बुजुर्ग गिरकर चोटिल तक हो जा रहे हैं। धूल मिट्टी से तो परेशानी हो ही रही है, साथ ही हल्की सी बारिश में सड़कें धंस जा रही हैं। लोगों का आरोप है कि सीवर लाइन बिछाने के कार्य में लापरवाही बरती जा रही है। हरिद्वार से सचिन कुमार की रिपोर्ट...
हरिद्वार का भूपतवाला क्षेत्र घनी आबादी वाला क्षेत्र हैं। यहां तमाम छोटी बड़ी कॉलोनियां हैं जहां करीब 80 हजार की आबादी रहती है। संत बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते यहां तमाम आश्रम, मठ मंदिर और धर्मशालाएं हैं। हजारों की संख्या यात्रियों की आवाजाही रहती है। लोगों ने बताया कि तीन महीने पहले जल संस्थान की सीवर शाखा द्वारा यहां की भारत माता पुरम, जसविंद्र इंक्लेव, श्याम लोक, गायत्री विहार, सत्यम विहार सहित कई कॉलोनियां की गलियों में सीवर लाइन बिछाने का कार्य शुरू किया गया। सीवर लाइन बिछाने के बाद न तो गड्ढों को ठीक से भरा गया और न ही अभी तक सड़कें बनाई गई हैं। जिसके कारण स्थानीय लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आरोप है कि गड्ढों के कारण लोगों का सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। रोजाना गड्ढों में बैटरी रिक्शा, ऑटो, साइकिल और बाइक जैसे वाहन तक पलट रहे हैं और लोग चोटिल तक हो जा रहे हैं। इसके अलावा गलियों में पड़ी धूल मिट्टी से भी लोग परेशान हैं।
धूल मिट्टी को रोकने के लिए पानी का छिड़काव तक नहीं कराया जा रहा है। दिन रात उड़ने वाली धूल मिट्टी ने लोगों का घर से निकलना मुश्किल कर दिया है। आरोप है कि सीवर लाइन डालने के बाद ठेकेदारों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। गड्ढों को ठीक से भरने की बजाय ऊपर से मिट्टी डालकर लीपापोती कर दी गई है। पिछले दिनों हुई बारिश ने इसकी पोल खोलकर रख दी थी। लोगों के वाहन तक इन गड्ढों में धंस गए थे। कई दोपहिया वाहन इन गड्ढों में फंसकर क्षतिग्रस्त हो गए। बाहर से आए यात्रियों के वाहन तक गड्ढों में फंस गए। कुछ लोगों को चोटें भी आईं लेकिन ठेकेदार और संबंधित विभाग आंख मूंदे बैठे हैं। गलियों में उड़ती धूल के कारण लोगों को श्वास और त्वचा संबंधी बीमारियों के फैलने का डर सताने लगा है। जल छिड़काव की कोई व्यवस्था नहीं है और सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। कई बार लोग विभागों से गड्ढों की मरम्मत करने की गुहार लगा चुके है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लोगों ने मांग की है कि सीवर लाइन के कार्य में गुणवत्ता के साथ्स बरसात शुरू होने से पहले पूरे किए जाएं ।
सुझाव
1. बरसात शुरू होने से पहले गड्ढों को भरकर सड़कों का पुनर्निर्माण कार्य तुरंत कराया जाए।
2. हर गली में नियमित अंतराल पर जल छिड़काव करवाया जाए ताकि धूल-मिट्टी न उड़े।
3. सीवर लाइन डालते समय निर्माण कार्य की गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए।
4. एक-एक कॉलोनी में चरणबद्ध तरीके से सड़कों को खोदा जाए न कि सभी जगह एक साथ तोड़फोड़ कर दी जाए।
5. बरसात से पहले गड्ढों को भरकर नए सिरे से सड़कों का निर्माण कराया जाए। जिससे लोगों को दिक्कताें का सामना न करना पड़े।
शिकायतें
1. गड्ढे सही से नहीं भरे गए, केवल ऊपर से मिट्टी डाल दी गई। जिससे सड़कें बैठ रही हैं।
2. धूल-मिट्टी से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो रही हैं। कोई सफाई या छिड़काव की व्यवस्था नहीं है।
3. बिना किसी योजना के एक साथ कई गलियां खोद दी गईं जिससे यातायात और पैदल चलना दोनों प्रभावित हुए।
4. गड्ढों के कारण आए दिन वाहन पलट रहे हैं और लोग चोटिल हो रहे हैं।
5. जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही न तो विभाग जवाब दे रहा है और न ही कोई अधिकारी मौके पर आ रहा है।
क्षेत्र में बारिश ने खोली कार्यदायी संस्था के निर्माण कार्यों की पोल
हाल ही में हुई बारिश ने कार्यदायी एजेंसी की लापरवाही को उजागर कर दिया। बारिश के कारण गलियों में मिट्टी धंस गई और सड़कें खतरनाक गड्ढों में तब्दील हो गईं। कई दोपहिया वाहन इन गड्ढों में फंस गए। कीचड़ में लोगों का पैदल चलना तक मुश्किल हो गया था। स्थानीय निवासियों ने बताया कि पाइप डालने के बाद उन्हें ठीक से नहीं भरा गया। न तो कंक्रीट डाली गई और न ही बजरी। केवल रेत पर पाइप डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दी गई। इससे भविष्य में सड़कों के धंसने की पूरी आशंका है। इतना ही नहीं महानगर व्यापार मंडल से जुड़े व्यापारी इसको लेकर धरना प्रदर्शन तक कर चुके हैं, बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने सीवर लाइन डालने की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे। उनकी मांग है कि सीवर लाइन डालते समय गुणवत्ता का पूरा विशेष ख्याल रखा जाए ताकि भविष्य में लोगों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़ा। क्योंकि अनियोजित कार्य जिंदगी भर परेशानी का कारण बनते हैं।
गड्ढों में रोजाना पलट रहे वाहन, लोग हो रहे चोटिल
क्षेत्रवासियों का कहना है कि इन अधूरे और अव्यवस्थित कार्यों के कारण गलियों में चलना तक मुश्किल हो गया है। गड्ढों में रोजाना ऑटो, बैटरी रिक्शा, बाइक और साइकिलें पलट रही हैं। कई राहगीरों को चोटें भी आई हैं लेकिन संबंधित विभाग और कार्यदायी एजेंसी को इसकी कोई परवाह नहीं है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए घर से बाहर निकलना जोखिम भरा हो गया है। रात के समय गड्ढों में दुर्घटना की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि न तो पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था है और न ही गड्ढों के आसपास किसी प्रकार की चेतावनी या बैरिकेडिंग की गई है। उनकी मांग है कि सड़कों पर मिट्टी डालते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि लोगों को चलने फिरने में परेशानी न उठानी पड़े।
धूल-मिट्टी ने बढ़ाई स्थानीय लोगों की परेशानी
लोगों ने बताया कि कई दिनों से गलियों में फैली धूल और मिट्टी ने हालात और भी बदतर बना दिए हैं। न ही पानी का छिड़काव किया जा रहा है और न ही सफाई की समुचित व्यवस्था है। गर्मी के मौसम में उड़ती धूल घरों में जमा हो रही है। महिलाओं का सारा समय घर की साफ सफाई में बर्बाद हो जाता है। इसके अलावा धूल मिट्टी कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ दे रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि एजेंसी ने पूरे इलाके की गलियों को एक साथ खोद दिया जिससे अब धूल-मिट्टी और गड्ढों के बीच जीना दूभर हो गया है। उन्हें सांस से संबंधित बीमारियां फैलने का डर सताने लगा है।
संत बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद अनदेखी
भूपतवाला क्षेत्र हरकी पैड़ी के नजदीक हैं। यहां कई बड़े आश्रम, मठ-मंदिर, होटल और धर्मशालाएं हैं। आश्रम, धर्मशालाओं और मठ मंदिरों बड़ी संख्या में साधु संत निवास करते हैं। इसके अलावा रोजाना यहां हजारों की संख्या में बाहर से यात्री आते हैं और धार्मिक यात्रा करते हैं। लोगों ने बताया कि गड्ढे और धूल से सिर्फ स्थानीय लोग ही परेशान नहीं है बल्कि बाहरी यात्रियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गलियों में बने धर्मशालाओं और आश्रमों तक वाहन नहीं पहुंच पा रहे हैं। जो वाहन पहुंचते भी हैं उनके गड्ढों में गिरने का डर बना रहता है। लोगों का आरोप है कि इतनी भी सड़क नहीं छोड़ी गई कि उसमें ठीक से बाइक भी निकल जाए। ऐसी स्थिति में बाहर के यात्रियों को अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। यात्रा सीजन में तो इसका ध्यान रखना चाहिए था।
यात्रियों को उठानी पड़ रही दिक्कतें
हाईवे के दुधाधारी चौक से बड़ी संख्या में यात्री सड़क पर आवाजाही कर यहां के गंगा घाटों, मठ मंदिरों, आश्रमों और खड़खड़ी श्मशान घाट तक रोजाना पहुंचते है। लेकिन सड़कों पर पड़े गड्ढों के कारण यात्रियों को अपने वाहनों के साथ सड़क पर आवाजाही में बड़ी दिक्कतें उठानी पड़ रही है। साथ ही पैदल चलने वाले यात्री टूटी सड़क पर गिर कर चोटिल भी हो रहे है। टूटी सड़कों के कारण हरिद्वार से यात्री गलत संदेश लेकर जाते है। यहां पहुंचने वाले यात्री भी टूटी सड़क का पुनर्निर्माण करने की मांग कर रहे है।
बोले जिम्मेदार
निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई (गंगा) उत्तराखंड पेयजल निगम से निक्षेप मद में धनराशि प्राप्त हुई है। नई सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़कों को तोड़ा गया था। शहर की छह सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जाएगा। 3.69 करोड़ की लागत से मरम्मत के काम होने है। मरम्मत काम में भूपतवाला क्षेत्र शामिल है। काम के लिए विभाग स्तर पर टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। जल्द टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद सड़कों की मरम्मत के काम शुरू किए जाएंगे। -दीपक कुमार, अधिशासी अभियंता
बोले लोग-
भूपतवाला की गलियों में गड्ढे सही से नहीं भरे गए हैं। केवल ऊपर से मिट्टी डाल दी गई जिससे सड़कें बैठ रही हैं और परेशानी हमें उठानी पड़ रही है। जिम्मेदारन विभाग को इसका संज्ञान लेना चाहिए। -राजीव भट्ट
दिनभर धूल उड़ती है। धूल-मिट्टी से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो रही हैं। सफाई और पानी के छिड़काव की कोई व्यवस्था नहीं है। संबंधित विभाग को इसकी शीघ्र व्यवस्था करनी चाहिए। -विनोद मिश्रा
बिना किसी योजना के एक साथ कई गलियां खोद दी गईं। जिससे यातायात प्रभावित हो गया है और गली में पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। क्षेत्र में एकतरफ से विकास कार्य होने चाहिए। -विकास कोहली
एजेंसी की ओर से पाइप लाइन तो डाली जा रही है, लेकिन गड्ढों को भरने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जा रही है। जल्द जल्द गड्ढे भरने चाहिए। जिससे लोगों को दिक्कतें न उठानी पड़ें। -जोगिंद्र सिंह
तीन महीने से गड्ढे वैसे ही पड़े हैं, कोई देखने तक नहीं आया। गलियों में वाहन नहीं चल पाते, बच्चों को स्कूल भेजना तक मुश्किल हो गया है। संबंधित विभाग को इसका संज्ञान लेना चाहिए। -अमरीश अग्रवाल
धूल मिट्टी से घरों में रहना मुश्किल हो गया है। खिड़की खोलना भी संभव नहीं। हवा चलते ही सारी धूल मिट्टी घर में जमा हो जाती है। यहां जब तक काम चल रहा है पानी का छिड़काव कराना चाहिए। -अमर अरोड़ा
हमने उम्मीद की थी कि सीवर लाइन डालने के बाद क्षेत्र में नए सिरे से सड़कें बनेंगी। लेकिन यहां तो उल्टा हाल और खराब हो गया है। जल्द से जल्द सड़कों की मरम्मत करानी चाहिए। -विजय अरोड़ा
हर दिन कोई न कोई रिक्शा या बाइक गड्ढों में पलट जाती है। जिससे लोग चोटिल हो रहे हैं। लेकिन जिम्मेदारों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सड़कों की हालत जल्द से जल्द सुधारी जानी चाहिए। -वीरेंद्र सिंह गुलेरिया
गली की सड़क अब सड़क नहीं रही है। यह अब सिर्फ मिट्टी और धूल का मैदान बन गई है। सीवरलाइन डालना अच्छी बात है। लेकिन सड़कें भी तो बनानी चाहिए। ताकि लोग परेशान न हों। -आदेश शुक्ला
हल्की सी बारिश में मिट्टी बैठ गई और सड़कें धंस गई। इस बार बरसात आते ही हालात बिगड़ेंगे। पानी भरने से गलियों में चलना तक नामुमकिन हो जाएगा। इन्हें ठीक कराया जाना चाहिए। -गोकुल डबराल
आधा-अधूरा काम किया और सीवर लाइन चल गई। अब न कोई पूछने वाला है न जवाब देने वाला। अधिकारियों को मौके पर आकर निरीक्षण करना चाहिए। ताकि लोगों को परेशानी न उठानी पड़े। -मुकेश त्रिपाठी
शाम के वक्त गड्ढों में गाड़ी लेकर निकलना किसी खतरे से कम नहीं है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले यात्रियों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। इन गड्ढों को शीघ्र भरा जाए।-शशांक शर्मा
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