Mahabharata Ramayana period Trees plants will be seen Haridwar Uttarakhand महाभारत-रामायण काल के पेड़-पौधों का होगा दर्शन, उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्मग्रंथों में वर्णित वृक्षों का कलेक्शन, Uttarakhand Hindi News - Hindustan
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महाभारत-रामायण काल के पेड़-पौधों का होगा दर्शन, उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्मग्रंथों में वर्णित वृक्षों का कलेक्शन

  • इनके नाम पर चालीस गुरुद्वारों के नाम हैं। इसके अलावा वाल्मीकि रामायण में वर्णित 138 प्रजातियों के वृक्षों में से ज्यादातर यहां नजर आएंगे। एक सर्व धर्म वाटिका भी बनाई गई है।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून। ओमप्रकाश सतीWed, 23 April 2025 07:54 AM
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महाभारत-रामायण काल के पेड़-पौधों का होगा दर्शन, उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्मग्रंथों में वर्णित वृक्षों का कलेक्शन

महाभारत और रामायण काल के पेड़-पौधे हरिद्वार में नजर आएंगे। वन विभाग की रिसर्च विंग ने उत्तराखंड के हरिद्वार के श्यामपुर में करीब 50 एकड़ में नेचर लर्निंग सेंटर तैयार किया है। यहां इस्लाम और सिख धर्मग्रंथों में वर्णित पेड़ भी मौजूद हैं। मंगलवार को इस सेंटर का पृथ्वी दिवस के अवसर पर शुभारंभ किया गया।

मुख्य वन संरक्षक रिसर्च संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि इस नेचर लर्निंग पार्क में धर्मग्रंथों में वर्णित वृक्षों का संग्रह किया गया है। इनमें कपूर, पारिजात, बेल और चंदन की वाटिकाएं बनाई गई हैं। इसके अलावा सिख धर्म में वर्णित 40 प्रजातियों के पेड़ भी लगाए गए हैं। इनके नाम पर चालीस गुरुद्वारों के नाम हैं। इसके अलावा वाल्मीकि रामायण में वर्णित 138 प्रजातियों के वृक्षों में से ज्यादातर यहां नजर आएंगे। एक सर्व धर्म वाटिका भी बनाई गई है।

इसके अलावा उत्तराखंड में पाई जाने वाली और संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए यहां एक विशेष वाटिका भी बनाई गई है। इसमें विषपत्री, निंजड आदि मुख्य रूप से शामिल हैं। सीसीएफ अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड में पाए जाने वाले पेड़ पौधे, फल फूल, संस्कृति और धर्म से जुड़ी जानकारियां इस सेंटर में मिलेंगी।

यहां लोग राज्य की प्रकृति को करीब से जान सकेंगे। इसका उद्देश्य विलुप्त होती जा रही प्रजातियों को बचाना भी है। संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि सेंटर में एक धनवंतरी वाटिका भी बनाई गई है। इसमें मेडिसनल प्लांट की करीब 50 प्रजातियां लगाई गई हैं। इसमें वाइट जिंजर लिली मुख्य है, जो यहां साल के जंगलों में पाई जाती है। इसका जिक्र महाभारत में भी मिलता है।

ये होंगे मुख्य आकर्षण

-20 प्रकार की तुलसियों से बनी तुसली वाटिका

-ग्रीन रामायण वाटिका में 140 प्रकार के वे पेड़ हैं जो भगवान श्रीराम को वनवास के दौरान अयोध्या से लंका के बीच मिले थे

-बुद्ध वाटिका में साल, अशोक, जामुन और पीपल अन्य पेड़ हैं

-कुरान में वर्णित खजूर, अनार और अंगूर की विभिन्न प्रजातियां

-बाइबिल में वर्णित क्रिसमस ट्री और पाॅपुलर की कई प्रजातियां

-सिख धर्म में वर्णित रीठा, बेर, इमली और शीशम की भी कई प्रजातियां

-सभी राज्यों के मुख्य पेड़ और फूलों की प्रजातियां यहां मौजूद।

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