मुखौटा है TRF पर असली गुनहगार लश्कर; पहलगाम हमले से पहले कब-कब भारत पर आतंकी वार
- आतंकियों ने पहलगाम में पर्यटकों पर भीषण हमले में 28 की जान ले ली। इस हमले की जिम्मेदारी भले ही टीआरएफ ने ली है, लेकिन जानकार मानते हैं कि असली गुनहगार लश्कर-ए-तैयबा ही है। इससे पहले भी ऐसे कई सबूत सामने आ चुके हैं।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर लश्कर-ए-तैयबा और उसके मुखौटा संगठन द रेजिडेंट फ्रंट (TRF) की खतरनाक मंशा को उजागर कर दिया है। TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 28 लोगों की जान चली गई। मारे गए पर्यटकों में कुछ विदेशी भी शामिल हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि TRF केवल नाम मात्र का संगठन है, इसके पीछे असली संचालन और हथियारबंद ट्रेनिंग लश्कर-ए-तैयबा द्वारा की जाती है।
TRF: नया नाम, पुरानी रणनीति
TRF को 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर लश्कर-ए-तैयबा की सीधे भागीदारी को छिपाना था। अमेरिकी विदेश मंत्रालय और भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, TRF को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा द्वारा वित्तीय और सैन्य सहायता मिलती है।
लश्कर ने पहलगाम से पहले कब-कब किए आतंकी हमले
अमरनाथ यात्रा हमला (2017)
10 जुलाई 2017 को अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला किया गया, जिसमें 8 श्रद्धालु मारे गए। लश्कर-ए-तैयबा इस हमले के पीछे था। हमले में पाकिस्तानी आतंकी अबू इस्माइल की संलिप्तता सामने आई थी।
नगरोटा हमला (2022)
नवंबर 2022 में नगरोटा में सुरक्षाबलों के कैंप पर आत्मघाती हमला किया गया, जिसमें 3 जवान शहीद हुए। TRF ने जिम्मेदारी ली, लेकिन एनआईए जांच में हमलावरों का संबंध सीधे लश्कर से जुड़ा मिला।
श्रीनगर किलिंग (2020–2021)
2020 से 2022 वर्षों के बीच कई सुरक्षाबलों की टुकड़ियों और नाका पॉइंट्स पर हमला हुआ। TRF ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली थी। जांच में खुलासा हुआ कि सभी हमलावरों को लश्कर के पाकिस्तानी हैंडलर्स से निर्देश मिल रहे थे।
सुरनकोट मुठभेड़ (2021)
पुंछ जिले में सुरनकोट के जंगलों में घात लगाकर किए गए हमले में 9 भारतीय जवान शहीद हुए। TRF की ओर से जिम्मेदारी ली गई, लेकिन मारे गए आतंकियों के पास से लश्कर की फंडिंग और हथियार बरामद हुए।
अब पहलगाम हमला
22 अप्रैल को बैसरन घाटी में सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने पर्यटकों से उनके नाम और धर्म पूछे और सीना गोलियों से छलनी कर दिया। इस हमले में TRF ने दावा किया कि यह जम्मू-कश्मीर में डेमोग्राफिक बदलाव के खिलाफ प्रतिक्रिया थी। घटना स्थल से M4 और AK सीरीज की गोलियां बरामद हुईं है, जो लश्कर की ऑपरेशनल स्टाइल से मेल खाती हैं।
TRF का इस्तेमाल क्यों?
जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए आतंकी संगठनों की सीधी भागीदारी से बचना चाहता है। ऐसे में लश्कर जैसे प्रतिबंधित संगठनों ने नए नामों से छोटे, नए समूहों को बढ़ावा देना शुरू किया है। TRF उसी रणनीति का हिस्सा है। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने अपनी कई रिपोर्टों में TRF और लश्कर के बीच फंडिंग, ट्रेनिंग और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम की समानता को उजागर किया है।