पाकिस्तान की साजिश का अलर्ट सच निकला, पहलगाम हमले में ज्यादातर विदेशी आतंकी
- मंगलवार को जब पहलगाम की वादियों में आतंकी हमले के बाद पर्यटकों की चीखें गूंजने लगीं, तब एजेंसियों की सबसे बड़ी चिंता हकीकत में बदल गई। हमले में ज्यादातर विदेशी आतंकी बताए जा रहे हैं।

Pahalgam Attack Updates: पहलगाम में भीषण आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर केंद्र सरकार की चिंताएं सच साबित होती दिख रही हैं। 10 मार्च को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने जम्मू में उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की थी और 6 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में यूनिफाइड कमांड की बैठक की अध्यक्षता की थी। इन बैठकों के पीछे खुफिया एजेंसियों की वह चेतावनी थी जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में कुछ बड़ा करने जा रहा है। खुफिया एजेंसियों ने आशंका जताई थी कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में "गर्मियों को गर्म बनाने" की तैयारी कर रहा है।
मंगलवार को जब पहलगाम की वादियों में पर्यटकों की चीखें गूंजने लगीं, तब एजेंसियों की सबसे बड़ी चिंता हकीकत में बदल गई। बैसरन घाटी में हुए हमले में 28 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य घायल हैं।
विदेशी आतंकियों की भूमिका
प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि इस हमले को कम से कम चार आतंकियों ने अंजाम दिया, जिनमें तीन के विदेशी होने की आशंका है। एक स्थानीय आतंकी उनके लिए गाइड की भूमिका में था। केंद्रीय बलों के आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में करीब 70 विदेशी आतंकी सक्रिय हैं। हाल ही में डीजीपी नलिन प्रभात के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में सीमा पार से हो रही घुसपैठ को रोका गया था। लेकिन एजेंसियों को शक है कि कई आतंकी पहले से ही सीमा पार कर चुके हैं और अपने आकाओं के सही आदेश की प्रतीक्षा में छिपे हुए थे।
पहाड़ों की बर्फ पिघलते ही आतंकी एक्टिव
सूत्रों के अनुसार, बर्फ पिघलने के बाद पहाड़ी रास्ते खुल गए हैं, जिससे आतंकियों के लिए बैसरन तक पहुंचना आसान हुआ। आतंकियों ने पहाड़ियों से नीचे उतरकर पर्यटकों पर हमला बोला। फिलहाल सुरक्षाबलों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। एनआईए की टीम भी मौके पर भेजे जाने के लिए तैयार है। संभावना है कि एनआईए उन ओवरग्राउंड वर्कर्स के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकती है, जिन्होंने इन विदेशी आतंकियों की मदद की।
मुखौटा टीआरएफ, असली गुनहगार लश्कर
इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन माना जाता है। घटनास्थल से M4 राइफल की गोलियां बरामद हुई हैं। चश्मदीदों के मुताबिक, आतंकियों ने AK-47 और अन्य ऑटोमेटिक हथियारों का इस्तेमाल किया। कुछ घायलों ने बताया कि उनके परिजनों को दूर से निशाना बनाकर गोली मारी गई, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि आतंकियों को स्नाइपर जैसी ट्रेनिंग दी गई थी।