फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनवाया, सरदार का भेष बना कर करता था शटरिंग का काम, अरेस्ट हुआ इनामी
- राजधानी लखनऊ में गिरफ्तारी से बचने के लिए इनामी ने फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनवाया था। सरदार का भेष बना शटरिंग का काम कर करता था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

लखनऊ के विभूतिखंड पुलिस ने गिरफ्तारी से बचने के लिए न्यायालय में फजी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाने वाले 20 हजार के इनामी को गिरफ्तार किया। पहचान छिपाने के लिए आरोपित ने सरदार का भेष रचा था। साथ ही शटरिंग का काम कर रहा था। न्यायालय में प्रस्तुत किया गया मृत्यु प्रमाण पत्र जांच में फर्जी मिला था। जिसके बाद कोर्ट से एनबीडब्लू जारी हुआ था।
इंस्पेक्टर विभूतिखंड सुनील सिंह ने बताया कि बस्ती हरैया निवासी सुशील उर्फ रमेश उर्फ सोनू पाठक के खिलाफ वर्ष 2015 में किशोरी को बहला कर ले जाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने किशोरी को गिरफ्तार किया था। पीड़िता ने बयान में सुशील पर दुराचार करने का आरोप लगाया था। जिसके आधार पर पुलिस ने विभूतिखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। विवेचक संदीप सिंह गौर के मुताबिक वर्ष 2019 में सुशील जमानत पर रिहा हुआ था।
सजा से बचने के लिए बनाया फर्जी डेथ सर्टिफिकेट
वर्ष 2015 में दर्ज हुए रेप के मुकदमे में गवाही पूरी होने के बाद जल्द ही सजा सुनाई जानी थी। यह जानकारी होने पर सुशील ने सजा और गिरफ्तारी से बचने के लिए साजिश रची। सुशील ने पेशी पर जाना बंद कर दिया। इस बीच सुशील की मृत्यु होने का प्रमाण पत्र कोर्ट में दाखिल किया गया। जो जांच में फर्जी पाया गया। सजा से बचने के लिए डेथ सर्टिफिकेट बनाने वाले सुशील के खिलाफ एनबीडब्लू जारी हुआ। वहीं, पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए 20 हजार का इनाम रखा था।
लखनऊ के विभूतिखंड पुलिस ने गिरफ्तारी से बचने के लिए न्यायालय में फजी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाने वाले 20 हजार के इनामी को गिरफ्तार किया। पहचान छिपाने के लिए आरोपित ने सरदार का भेष रचा था। साथ ही शटरिंग का काम कर रहा था। न्यायालय में प्रस्तुत किया गया मृत्यु प्रमाण पत्र जांच में फर्जी मिला था। जिसके बाद कोर्ट से एनबीडब्लू जारी हुआ था।
इंस्पेक्टर विभूतिखंड सुनील सिंह ने बताया कि बस्ती हरैया निवासी सुशील उर्फ रमेश उर्फ सोनू पाठक के खिलाफ वर्ष 2015 में किशोरी को बहला कर ले जाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने किशोरी को गिरफ्तार किया था। पीड़िता ने बयान में सुशील पर दुराचार करने का आरोप लगाया था। जिसके आधार पर पुलिस ने विभूतिखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। विवेचक संदीप सिंह गौर के मुताबिक वर्ष 2019 में सुशील जमानत पर रिहा हुआ था।
सजा से बचने के लिए बनाया फर्जी डेथ सर्टिफिकेट
वर्ष 2015 में दर्ज हुए रेप के मुकदमे में गवाही पूरी होने के बाद जल्द ही सजा सुनाई जानी थी। यह जानकारी होने पर सुशील ने सजा और गिरफ्तारी से बचने के लिए साजिश रची। सुशील ने पेशी पर जाना बंद कर दिया। इस बीच सुशील की मृत्यु होने का प्रमाण पत्र कोर्ट में दाखिल किया गया। जो जांच में फर्जी पाया गया। सजा से बचने के लिए डेथ सर्टिफिकेट बनाने वाले सुशील के खिलाफ एनबीडब्लू जारी हुआ। वहीं, पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए 20 हजार का इनाम रखा था।
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घर वालों से तोड़ा सम्पर्क, सरदार का भेष धरा
खुद को मरा हुआ घोषित करने के बाद सुशील ने परिवार से भी सम्पर्क लगभग खत्म कर दिया। बस्ती हरैया स्थित घर छोड़ने के बाद सुशील कई दिनों तक छिप कर रहा। कुछ माह पूर्व ही आरोपी ने चिनहट जयपालखेड़ा काली मंदिर के पास रहने लगा। कोई उसे पहचान नहीं पाए। इसलिए सुशील ने सरदार का भेष रचाया था। साथ ही शटरिंग का व्यापार शुरू किया था।
सर्विलांस के जरिए धरा गया
करीब एक साल से 20 हजार के इनामी की तलाश पुलिस कर रही थी। विवेचक संदीप कई बार बस्ती स्थित सुशील के घर गए। वहां पूछताछ करने के बाद भी जानकारी नहीं मिली। इस बीच सुशील के परिवार के सदस्यों के मोबाइल नम्बरों के कॉल रिकार्ड खंगाले गए। जिसके जरिए एक संदिग्ध नम्बर मिला। जिसे ट्रैक करते हुए मंगलवार को आरोपी सुशील को गिरफ्तार किया गया।