अंतरिक्ष की गतिविधियों पर नजर रखने को एरीज और आईआरडीई में एमओयू
फोटो एमओयू - एरीज और आईआरडीई के बीच हुआ समझौता - स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस में बढ़ेगी भारत की ताकत नैनीताल, संवाददाता। खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और वा

नैनीताल, संवाददाता। खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एरीज) नैनीताल और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अधीन इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (आईआरडीई) देहरादून के बीच अहम समझौता (एमओयू) हुआ है। बुधवार को इस एमओयू में एरीज के निदेशक डॉ. मनीष कुमार नाजा और आईआरडीई के निदेशक डॉ. अजय कुमार ने हस्ताक्षर किए। एमओयू से डाटा विश्लेषण में मदद मिलेगी । एरीज भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, जो देश की अत्याधुनिक खगोलीय प्रेक्षण सुविधाओं जैसे 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप और एसटी रडार प्रणाली का संचालन करता है।
वहीं, आईआरडीई रक्षा बलों के लिए जमीनी, नौसैनिक, हवाई और अंतरिक्ष प्लेटफार्मों पर निगरानी रखने वाले इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल प्रणालियों के डिजाइन और विकास में अग्रणी भूमिका निभाता है। समझौते के तहत दोनों संस्थान एरीज की प्रेक्षण सुविधाओं का उपयोग करते हुए अंतरिक्ष में मौजूद वस्तुओं की निगरानी और डाटा संग्रहण करेंगे। साथ ही खगोल विज्ञान और स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (एसएसए) अनुप्रयोगों के लिए संयुक्त रूप से इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स आधारित प्रणालियों का विकास करेंगे। इसके अलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) की मदद से इमेज प्रोसेसिंग और डाटा विश्लेषण तकनीकों का विकास किया जाएगा। समझौते का उद्देश्य वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से ज्ञान का आदान-प्रदान, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना है। एरीज के वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखंड की दो प्रमुख वैज्ञानिक संस्थाओं के बीच यह रणनीतिक साझेदारी न केवल अंतरिक्ष निगरानी प्रणालियों को सशक्त करेगी, बल्कि जमीन आधारित खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भी नई उपलब्धियों का मार्ग प्रशस्त करेगी।
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