झूलाघाट, जौलजीबी वाइब्रेंट योजना में नहीं, रोष
पिथौरागढ़ में झूलाघाट और जौलजीबी को वाइब्रेंट योजना 2.0 में शामिल न करने से लोगों में रोष है। महाकाली की आवाज के संयोजक शंकर खड़ायत ने कहा कि यह योजना सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।...

पिथौरागढ़। नेपाल सीमा से लगे झूलाघाट, जौलजीबी को वाइब्रेंट योजना 2.0 में शामिल न करने से आमजन में रोष व्याप्त है। मंगलवार को महाकाली की आवाज के संयोजक शंकर खड़ायत ने बयान जारी कर कहा कि नेपाल सीमा पर बसे गांवों के विकास के लिए भी सरकार ने वाइब्रेंट योजना 2.0 शुरू की है, जो एक अच्छी पहल है। इससे सीमावर्ती गांवों में विकास कार्य होंगे। स्थानीय स्तर ही सुविधा होने से गांवों में पलायन भी थमेगा। खड़ायत ने झूलाघाट और जौलजीबी क्षेत्र को योजना में शामिल न करने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि झूलाघाट बाजार कभी व्यापार का केंद्र बिंदु था, लेकिन वर्तमान में यहां व्यापारिक गतिविधियां सीमित होने से मंदी छा गई है।
कहा कि बाजार का अस्तित्व संकट में है। कुछ यही स्थिति धारचूला की भी है। उन्होंने कहा कि अगर दोनों क्षेत्रों को भी वाइब्रेंट योजना से जोड़ा जाता तो यह डूबते बाजारों को एक संजीवनी देने का काम करता। उन्होंनें केंद्र सरकार से दोनों क्षेत्रों को भी वाइब्रेंट योजना 2.0 में शामिल करने की मांग की है।
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