उत्तराखंड के 60 फीसदी स्कूल भूकंप झेलने लायक नहीं
उत्तराखंड के 60 प्रतिशत स्कूल भवन सात तीव्रता से अधिक का भूकंप झेलने लायक नहीं हैं। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में यह खुलासा हुआ है। उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत कराए...

उत्तराखंड के 60 प्रतिशत स्कूल भवन सात तीव्रता से अधिक का भूकंप झेलने लायक नहीं हैं। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में यह खुलासा हुआ है।
उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत कराए गए इस सर्वे के अनुसार स्कूलों के निर्माण में मानकों का पालन नहीं किया गया, जिससे स्कूलों की स्थिति खतरनाक बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार आरसीसी तकनीकि से बने स्कूलों की स्थिति कुछ अच्छी है, लेकिन सिर्फ चिनाई के आधार पर तैयार किए गए स्कूल खासे खतरनाक है।
बड़े भूकंप की स्थिति में इन स्कूलों को बड़े नुकसान की भी आशंका जताई गई है। सर्वे के बाद अब यह रिपोर्ट शिक्षा विभाग को दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूलों की स्थिति सुधारने पर तकरीबन दो खरब 95 अरब रुपये की जरूरत होगी। सर्वे में राज्य के कुल 12 हजार से अधिक चिनाई वाले स्कूल भवन, जबकि तीन हजार के करीब आरसीसी स्कूल भवन शामिल किए गए हैं।
मानकों के तहत निर्माण नहीं
रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम के इंचार्ज और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. गिरीश चंद्र जोशी का कहना है कि राज्य में स्कूलों के निर्माण में विशेषज्ञों की राय नहीं ली गई। कई स्कूलों में छत अत्यधिक मोटी डाली गई है। जबकि कहीं कॉलम और बीम मानकों के अनुसार नहीं हैं। इससे भवन कमजोर हो गए हैं। ऐसे में बड़े भूकंप आने पर भवनों के भरभराकर गिरने का खतरा है। स्कूलों का निर्माण इंजीनियरों के सुपर विजन में न होने से तमाम तरह की गड़बड़ियां हुई हैं। स्कूलों का निर्माण ग्राम समिति या प्रधानों के द्वारा कराया गया जिससे गुणवत्ता से समझौता हुआ।
उत्तराखंड में बड़े भूकंप का खतरा
उत्तराखंड हिमालय में बड़े भूकंप की आशंका है। इसकी मुख्य वजह यह है कि पिछले 200 सालों से इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप नहीं आया है। जोशी ने बताया कि उत्तराखंड में 1803 में आठ तीव्रता का भूकंप आया था। उसके बाद से अभी तक कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। वैज्ञानिक लगातार इस क्षेत्र में अब बड़े भूकंप की चेतावनी दे रहे हैं। बड़े भूकंप की स्थिति में नुकसान से बचने के लिए यह अध्ययन कराया गया है।
कहां से आएगा पैसा
स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए दो खरब 95 अरब रुपये की जरूरत बताई गई है। लेकिन राज्य की स्थिति ऐसी नहीं है कि इतना पैसा अपने दम पर खर्च कर सके। राज्य में आपदा से निपटने की तैयारियों के लिए विश्व बैंक का डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट चल रहा है। ऐसे में अब स्कूलों की स्थिति भी बिना लोन से सुधार पाना संभव नहीं होगा।
उत्तराखंड आपदा रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत राज्य में स्कूल भवनों का सर्वे कराया गया है। इस सर्वे के अनुसार 60 प्रतिशत तक स्कूल बड़े भूकंप झेलने लायक नहीं है। रिपोर्ट शिक्षा विभाग को दी गई है ताकि स्कूलों की स्थिति में सुधार हो सके। -अमित नेगी, सचिव, आपदा प्रबंधन
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