उत्तराखंड में नगर विकास के नए नियम लागू, अब जनता की जरूरत के हिसाब से बनेंगी योजनाएं
उत्तराखंड के नगर निकायों में अब जल, सीवर और अन्य योजनाएं, जनता की जरूरत के हिसाब से बनेंगी। शासन ने निकायों में केंद्र और वाह्य सहायतित योजनाओं को लेकर सख्त नियम तय कर दिए हैं।

उत्तराखंड के नगर निकायों में अब जल, सीवर और अन्य योजनाएं, जनता की जरूरत के हिसाब से बनेंगी। शासन ने निकायों में केंद्र और वाह्य सहायतित योजनाओं को लेकर सख्त नियम तय कर दिए हैं। इसके अनुसार, सरकार को अब किसी भी योजना का प्रस्ताव डीएम की अध्यक्षता में गठित होने वाली डिस्ट्रिक्ट वाटर सेनिटेशन मिशन कमेटी (डीडब्ल्यूएसएम) की संस्तुति के बाद भेजा जाएगा। डीडब्ल्यूएसएम, संस्तुति से पूर्व योजना को लेकर परीक्षण करेगी और तय मानक पूरे मिलने के बाद ही हरी झंडी दिखाएगी। इस संबंध में शहरी विकास विभाग के सचिव की ओर से जारी आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।
क्यों पड़ी जरूरत : नगर निकायों में पेयजल, सीवरेज व अन्य विकास कार्यों को लेकर अमूमन लोगों की शिकायत रहती है कि उनमें पारदर्शिता नहीं बरती जाती। आरोप लगते हैं कि जहां जरूरत नहीं होती है, वहां योजनाएं नहीं बनाई जाती, जबकि सिफारिश के आधार पर ऐसे स्थानों पर योजनाएं बना दी जाती हैं, जहां उनकी आवश्यकता नहीं होती। ऐसी तमाम शिकायतों का संज्ञान लेते हुए शासन ने अब योजनाओं को लेकर सख्त नियम बना दिए हैं।
आगे क्या होगा : नई व्यवस्था लागू होने के बाद खासतौर पर सीवर-पेयजल से संबंधित योजना के प्रस्ताव निकाय पहले डीडब्ल्यूएसएम के सम्मुख पेश करेंगे। यहां से सहमति के बाद प्रस्ताव स्टेट वाटर सेनिटेशन मिशन कमेटी (एसडब्ल्यूएसएम) को भेजा जाएगा। दोनों कमेटियों की हरी झंडी के बाद ही प्रस्ताव शहरी विकास निदेशालय के माध्यम से सरकार को भेजे जाएंगे।
योजना के क्रियान्वयन को डीएम होंगे जिम्मेदार
सीवर-पेयजल संबंधी योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए शहरी विकास विभाग के पास मॉनिटरिंग एजेंसी नहीं है। इसके चलते डीडब्ल्यूएसएम-एसडब्ल्यूएसएम की व्यवस्था की गई है ताकि सही योजनाएं बनें और वो बेहतर तरीके से धरातल पर उतरें। इन योजनाओं की पूरी जिम्मेदारी अब जिलाधिकारी की होगी। इससे पहले तक यह व्यवस्था केंद्र पोषित अमृत योजना में लागू की गई थी। नगर निगमों में बनने वाली सीवर, पेयजल और अन्य योजनाओं (सड़क निर्माण, बिल्डिंग निर्माण और अन्य) प्रस्तावित कार्यों के लिए डीएम के साथ नगर आयुक्त से भी अनिवार्य रूप से एनओसी प्राप्त करनी होगी।
नितेश झा, सचिव शहरी विकास विभाग, ''नगर निकायों में केंद्र पोषित, वाह्य सहायतित और राज्य बजट से वित्त पोषित सभी जल, सीवर और अन्य निर्माण कार्यों के लिए नई व्यवस्था की गई है। इससे योजनाएं जरूरत के हिसाब से बनेंगी व कार्यों में पारदर्शिता आएगी। इस संबंध में कार्यक्रम निदेशक शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी और सभी डीएम को निर्देश जारी कर दिए हैं।''
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