chaitra amavasya kab hai date time puja vidhi Chaitra Amavasya : चैत्र अमावस्या कब है? नोट कर लें डेट, पूजा-विधि, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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Chaitra Amavasya : चैत्र अमावस्या कब है? नोट कर लें डेट, पूजा-विधि

  • इस समय चैत्र का महीना चल रहा है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 20 March 2025 07:39 PM
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Chaitra Amavasya : चैत्र अमावस्या कब है? नोट कर लें डेट, पूजा-विधि

इस समय चैत्र का महीना चल रहा है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं।

चैत्र अमावस्या डेट- इस साल 29 मार्च, शनिवार को चैत्र अमावस्या है। शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है।

शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व- शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। ज्योतिषशास्त्र में शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित जातकों के लिए शनि अमावस्या का दिन शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

पितर संबंधित कार्य और दान करना होता है शुभ-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। इस पावन तिथि पर पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है। इस पावन दिन दान करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।

पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।

स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

सूर्य देव को अर्घ्य दें।

अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।

इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए।

पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।

इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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