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Chhath Puja 2025: इस बार कब है छठ पूजा? जानें महापर्व की तारीख और कहानी

Chhath Puja 2025: हर साल धूमधाम से मनाए जाने वाले महापर्व छठ की मान्यता अपने आप में ही खास है। जानते हैं कि इस साल ये महापर्व कब है?

Garima Singh लाइव हिन्दुस्तानWed, 18 June 2025 10:28 AM
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Chhath Puja 2025: इस बार कब है छठ पूजा? जानें महापर्व की तारीख और कहानी

Chhath Puja 2025: हिंदू धर्म में कई ऐसे तीज-त्योहार हैं, जिनका इंतजार लोग तहेदिल से करते हैं। इनमें से एक है छठ पूजा। छठ के दौरान सूर्यदेव और छठी मैया को पूजा जाता है। इसे आस्था का महापर्व भी कहा जाता है। ये पूजा 4 दिनों तक चलती है। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की पूजा-अर्चना करना कठिन है। धर्म और आस्था पर पूरी तरह से विश्वास करने वाले लोग इसे आसानी से निभा ले जाते हैं।

छठ पर्व मूल रूप से बिहार से शुरु हुआ, लेकिन धीरे-धीरे इसे पूर्वांचल के लोग मनाने लगे। इसके बाद समय के साथ-साथ इसका दायरा बढ़ता ही गया। देश ही नहीं बल्कि विदेश में बसे भारतीय भी इस पर्व को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। तो चलिए जान लेते हैं कि आखिर 2025 में ये महापर्व कब है?

2025 में कब मनाया जाएगा ये महापर्व?

हिंदू पंचांग के मुताबित इस महापर्व को कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष (चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक) में पूरी की जाती है। इस साल छठ महापर्व के नहाय खाय की शुरुआत 25 अक्टूबर से होगी। वहीं 28 अक्टूबर को सुबह-सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देकर ये पूजा समाप्त होगी।

क्या है छठ पूजा की मान्यता?

इस पूजा के बारे में एक कथा मशहूर है। कथा है कि छठी मैया ब्रह्माजी की मानस पुत्री (इच्छा से जन्मी पुत्री) और सूर्यदेव की बहन हैं। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि छठी मैया को पूजने से संतान की रक्षा होती है। साथ ही उनके आशीर्वाद से संतान सुख भी आसानी से मिल जाता है। वहीं सूर्यदेव की बात की जाए तो उन्हें संपन्नता का देवता कहा गया है। ये पर्व कार्तिक महीने के छठे दिन पड़ता है।

छठ महापर्व के चार दिन

पहला दिन: छठ के पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाकर इसकी शुरुआत होती है। व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन एक ही टाइम का भोजन करती हैं।

दूसरा दिन: छठ के दूसरे दिन को खरना कहते है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत की अवधि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक होती है। सूर्यास्त के दौरान सूर्यदेव को भोजन चढ़ाकर व्रत खोला जाता है।

तीसरा दिन: इस दौरान पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इसी दिन अस्त होते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन के व्रत को अगले दिन सूर्योदय के दौरान खोला जाता है।

चौथा दिन: छठ महावर्व के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस तरह से छठ की पूजा चार दिनों तक चलती है।

डिस्क्लेमर- (इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)

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