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Durga Ashtami : दुर्गा अष्टमी पूजा कैसे करें? यहां जानें मां के अष्टम स्वरूप मां महागौरी के बारे में संपूर्ण जानकारी

  • Navratri 8th Day Durga Ashtami : नवरात्र पर्व के आठवें दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन को महा अष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है। 5 मार्च 2025, शनिवार को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा की जाती है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 4 April 2025 04:54 PM
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Durga Ashtami : दुर्गा अष्टमी पूजा कैसे करें? यहां जानें मां के अष्टम स्वरूप मां महागौरी के बारे में संपूर्ण जानकारी

Navratri 8th Day Durga Ashtami : नवरात्र पर्व के आठवें दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन को महा अष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है। 5 मार्च 2025, शनिवार को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के मां महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है। मां महागौरी का रंग पूर्णता गोरा होने के कारण ही इन्हें महागौरी या श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग कन्या पूजन भी करते हैं। मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है। इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। मां का स्वभाव शांत है। शास्त्रों के अनुसार, मां महागौरी की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा-विधि, महत्व, मंत्र, भोग और आरती...

मां महागौरी की कथा-

मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से धन व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं। इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है। इनकी चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है। सफेद वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें स्वेतांबरा भी कहा गया है। मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं। पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें पति के रूप में पाया था। कथा है कि एक बार देवी पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं। इसके बाद वह तपस्या पर बैठ गईं। जब भगवान शिव उन्हें खोजते हुए पहुंचे तो वह चकित रह गए। पार्वती का रंग, वस्त्र और आभूषण देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं। महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं। मां गौरी की आराधना सर्व मंगल मंग्लये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते..। इसी मंत्र से की जाती है। कहा जाता है कि एक बार भूखा शेर उन्हें निवाला बनाने के लिए व्याकुल हो गया पर उनके तेज के कारण वह असहाय हो गया। इसके बाद देवी पार्वती ने उसे अपनी सवारी बना लिया था। मां के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना करने से धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

हर मनोकामना पूरी करती है मां महागौरी

मां महागौरी को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्यप्रदायनी कहा जाता है। मां की आराधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां साधक की हर मनोकामना को पूरा करेंगे। मां अपने भक्तों को बल और बुद्धि का आशीष प्रदान करती हैं। मां महागौरी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। यदि किसी के विवाह में विलंब हो रहा हो तो मां महागौरी की साधना करें, मनोरथ पूर्ण होगा। मां का स्वरूप अति शांत है। मां महागौरी की पूजा से सभी पाप धुल जाते हैं। मन और शरीर शुद्ध हो जाता है। मां की पूजा से मन की पवित्रता बढ़ती है। सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होने लगती है। मां की उपासना से एकाग्रता में वृद्धि होती है।

पूजा-विधि:

इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।

मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।

धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।

मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

मां महागौरी का भोग- देवीभागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित करना चाहिए।

मां महागौरी का प्रिय पुष्प- मां का प्रिय पुष्प रात की रानी है। इनका राहु ग्रह पर आधिपत्य है, यही कारण है कि राहुदोष से मुक्ति पाने के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है।

मां महागौरी मंत्र

मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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