13 दिन हैं अशुभ विनाशकारी, कोरोना काल , महाभारत में बना था ऐसा योग, ज्योतिर्विद ने बताया क्या होगा इसका प्रभाव?
destructive ashadh krishna pakshaशास्त्रों के अनुसार इस 13 दिन के पक्ष को विश्व शस्त्र पक्ष भी कहा जाता है। उस तरह का पक्ष बड़ा अशुभ फल प्रदायक माना जाता है।

आषाढ़ कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि एवं चतुर्दशी तिथि का क्षय हो रहा है। इसी कारण से यह पक्ष मात्र 13 दिन का है । शास्त्रों के अनुसार इस 13 दिन के पक्ष को विश्व शस्त्र पक्ष भी कहा जाता है। उस तरह का पक्ष बड़ा अशुभ फल प्रदायक माना जाता है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि 23 जून 2024 से दिन रविवार से आरंभ हो रही है तथा पक्ष का समापन 5 जुलाई 2024 दिन शुक्रवार को होगा ।
देखा गया है तो जब-जब तरह दिन का पक्ष हुआ है अर्थात जिस वर्ष 13 दिन का पक्ष हुआ है उसे वर्ष अनेकों प्रकार के दुख आम जनमानस को भोगने पड़ते हैं। ज्योतिरनिर्बंध में कहा गया है कि जब कोई भी पक्ष 13 दिन का होता है तो उसे विश्व शस्त्र पक्ष कहा जाता है। जिसका परिणाम होता है विनाश और सकल विनाश अर्थात वर्ष 2024 एवं मार्च 2025 तक भारत सहित वैश्विक स्तर पर बड़ी दुर्घटनाएं विशेषकर प्राकृतिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं कूटनीतिक के साथ-साथ आर्थिक दिक्कतें देखने को मिल सकती हैं। प्राकृतिक दुर्घटनाओं में भूस्खलन, चक्रवात, भूकंप, सुनामी, बड़ी स्तर की आगजनी, ज्वालामुखी आदि की घटनाओं में तीव्रता के साथ वृद्धि या बड़ी दुर्घटना देखने को मिल सकती है।
सामाजिक दुर्घटना में धार्मिक विवाद, आतंकवादी दुर्घटनाओं में वृद्धि, जातिगत संग्राम, धार्मिक तनाव, सांप्रदायिक तनाव, कोरोना जैसी बड़ी नकारात्मकताएं देखने को मिल सकती हैं। अतः सतर्क रहने की विशेष तौर पर आवश्यकता होगी। 13 दिन पक्ष का योग महाभारत काल में बना था और 2021 में बना था जिसका परिणाम प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट हुआ की महाभारत काल में महाभारत का युद्ध हुआ और 2021 में कोरोना के कारण बड़ी त्रासदी झेलनी पड़ी। अतः इस तरह की स्थितियां बन सकती हैं जिसका बचाव ही बचाव का उपाय सतर्कता है।
विश्व स्तर पर बड़े राष्ट्रों के बीच में अथवा दो राष्ट्रों के बीच में युद्ध की स्थितियां अथवा युद्ध का वातावरण बन सकता है। यहां भी सतर्कता से समस्याओं को कम या टाला जा सकता है। अन्यथा दुर्घटनाएं अपना विभक्ति स्वरूप भी ले सकती हैं।
इस वर्ष के राजा मंगल तथा मंत्री शनिदेव हैं। मंगल के राजा होने से इस वर्ष अत्यधिक गर्मी पड़ी थी। जिसकी गणना संवत्सर की आरंभ से पूर्व ही द्वारा कर लिया गया था । जिसके कारण से आम जनमानस को काफी कष्ट का सामना करना पड़ा था परंतु तेरह दिन के पक्ष के बाद बड़ी दुर्घटना की संभावना दिख रही है।
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