Apara Ekadashi 2023: 14 या 15 मई कब है अपरा एकादशी व्रत? जानें पूजन का सटीक मुहूर्त, पारण टाइमिंग व पूजा-विधि
Apara Ekadashi 2023 Date and Shubh Muhurat: अपरा एकादशी का व्रत करने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु की असीम कृपा रहती है। जानें अपरा एकादशी तिथि कब है और पूजन का शुभ मुहूर्त-

Apara Ekadashi Vrat 2023: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह तिथि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो एकादशी तिथियां आती हैं। इस तरह से साल में कुल 24 एकादशी आती हैं। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं। इस साल अपरा एकादशी 15 मई 2023 को है।
अपरा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि 15 मई 2023 को सुबह 02 बजकर 46 मिनट पर प्रारंभ होगी और 16 मई 2023 को सुबह 01 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी।
व्रत पारण का शुभ समय-
अपरा एकादशी व्रत का पारण 16 मई 2023 को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 06 बजकर 41 मिनट है।
अपरा एकादशी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:07 ए एम से 04:49 ए एम।
प्रातः सन्ध्या- 04:28 ए एम से 05:31 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:51 ए एम से 12:45 पी एम।
विजय मुहूर्त- 02:33 पी एम से 03:28 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 07:03 पी एम से 07:24 पी एम
अपरा एकादशी महत्व-
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत रखने से व्रती की आर्थिक तंगी दूर होती है। पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अपरा एकादशी पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।