Varuthini Ekadashi 2025 Vallabhacharya Jayanti on the same day date and time pooja vidhi वरूथिनी एकादशी व वल्लभाचार्य जयंती एक ही दिन, जानें महत्व व पूजा-विधि, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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वरूथिनी एकादशी व वल्लभाचार्य जयंती एक ही दिन, जानें महत्व व पूजा-विधि

  • Varuthini Ekadashi 2025: गुरुवार 24 अप्रैल को अत्यंत शुभ और दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। इस दिन वरूथिनी एकादशी और महाप्रभु वल्लभाचार्य जयंती एक साथ पड़ रही है। गुरुवार को पड़ने के कारण इसका आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ गया है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 20 April 2025 01:11 PM
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वरूथिनी एकादशी व वल्लभाचार्य जयंती एक ही दिन, जानें महत्व व पूजा-विधि

Varuthini Ekadashi 2025: वैशाख कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी को भगवान विष्णु की आराधना का विशेष पर्व माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गुरुवार 24 अप्रैल को अत्यंत शुभ और दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। इस दिन वरूथिनी एकादशी और महाप्रभु वल्लभाचार्य जयंती एक साथ पड़ रही है। साथ ही, एकादशी गुरुवार को पड़ने के कारण इसका आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीहरि के भजन और व्रतकथा का पाठ करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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पूजा-विधि: वरूथिनी एकादशी के दिन व्रत कर उपवास रखें और ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर श्रीहरि विष्णु का पूजन करें। तुलसी पत्र अर्पित कर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ विशेष फलदायी माना गया है। इस दुर्लभ संयोग को देखते हुए देशभर के मंदिरों में विशेष आयोजन और भजन-कीर्तन की तैयारियां चल रही हैं। भक्तों में इस पर्व को लेकर गहरी आस्था और उल्लास देखने को मिल रहा है।

महत्व: गुरुवार को एकादशी पड़ना भी अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन स्वयं गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है, जो धर्म, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के कारक हैं। धार्मिक आस्था के अनुसार, इस विशेष संयोग में व्रत रखने, दान देने और भगवान विष्णु की भक्ति करने से व्यक्ति को अनेक जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जब एकादशी गुरुवार को आती है, तो इसका फल कई गुणा अधिक होता है। इस दिन वल्लभ संप्रदाय के प्रवर्तक श्री वल्लभाचार्य जी की जयंती भी मनाई जाती है। श्री वल्लभाचार्य ने 'पुष्टिमार्ग' की स्थापना कर भक्ति को जीवन का मूल उद्देश्य बताया था। उनके अनुयायी इस दिन विशेष पूजा, सत्संग और प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन करके पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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