Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का पारण कैसे करते हैं, जानें द्वादशी पर पारण कब करें?
वरुथिनी एकादशी पर पारण अगले दिन द्वादशी को किया जाता है। पारण का समय होता है और उसके अनुसार व्रत खोला जाता है। लेकिनपारण के बाद भोजन दोहर बाद करना चाहिए।

वरुथिनी एकादशी पर पारण अगले दिन द्वादशी को किया जाता है। पारण का समय होता है और उसके अनुसार व्रत खोला जाता है। लेकिनपारण के बाद भोजन दोहर बाद करना चाहिए। अगले दिन चावल खाकर और दान करने के बाद ही एकादसी का पारण किया जाता है। दय काल में तिथि होने पर ही व्रत करना उत्तम रहता है। इसलिए वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को किया जा रहा हैैं। वहीं, वरुथिनी एकादशी व्रत का पारण 25 अप्रैल को द्वादशी तिथि में सुबह 5 बजकर 45 मिनट से 8 बजकर 23 मिनट के बीच में करना उत्तम होगा। यहां पढ़ें पारण की विधि
इस एकादशी पर दान करने बहुत खास दिन है। इसलिए अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को इस दिन दान करें। पारण करने के लिए पहले स्नान करके विष्णु भगवान की पूजा करें। उन्हें पंचामृत और पंजीरी का भोग लगाएं। इसके बाद चावल का भोग लगाएं। सूर्य को जल अर्पित करें। पूजा के बाद उन्हें जो तुलसी दल अर्पित किया था, उसे ग्रहण करें,इसके बाद भगवान को जिन चावल का भोग लगाया था, उन्हीं चावल से पारण करें। इस महीने में जलदान का भी महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जो इस एकादशी का व्रत करता है, उसे कई हजार साल तक किए गए तप का फल मिलता है।
पारण करने का समय
पारण आप 25 अप्रैल को सुबह 5.34 मिनट से 8.34 मिनट तक कर सकते हैं। इस दौरान चावल ग्रहण करें और दोपहर बाद भोजन करें, लेकिन तामसिक खाने से बचें।
इसके बाद मई में वैशाखा मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी मोहिनी एकादशी मनाई जाएगी। इस साल यह 8 मई को है। मोहिनी एकादशी में भगवान विष्णु के मोहिनी रुप की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रुप रखा था।