पुरानी पेट्रोल या डीजल कार को EV बनाने की प्रोसेस, बस इतना आएगा खर्च; सालभर में ₹1.08 लाख की बचत
- आप सोचेंगे भला किसी ICE व्हीकल (पेट्रोल या डीजल) को इलेक्ट्रिक में भी कन्वर्ट किया जा सकता है। तो इसका जवाब हां है। दरअसल, देश के अंदर कई कंपनियां सर्टिफाइट किट के साथ कार को इलेक्ट्रिक बना सकते हैं। इस काम में कितना खर्च आता है?

नोएडा में रहने वाले रवि सक्सेना की की नौकरी गुरुग्राम (गुड़गांव) हैं। वो रोज अपने ऑफिस जाने के लिए करीब 60Km का सफर तय करते हैं। इस बीच उन्हें दिल्ली से होकर गुजरना पड़ता है। ऑफिस जाने के लिए वो मारुति ऑल्टो K10 का इस्तेमाल करते हैं। उनकी कार करीब 14 साल पुरानी हो चुकी है। दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल कार को चलाना मना है। यानी इस कार को स्क्रैपेज में देना होगा। या फिर दिल्ली से बाहर किसी दूसरी स्टेट में चला सकते हैं। ऐसे में रवि ने अपनी कार को स्क्रैप कराने की बजाय इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट कराने का फैसला लिया।
आप सोचेंगे भला किसी ICE व्हीकल (पेट्रोल या डीजल) को इलेक्ट्रिक में भी कन्वर्ट किया जा सकता है। तो इसका जवाब हां है। दरअसल, देश के अंदर कई कंपनियां सर्टिफाइट किट के साथ कार को इलेक्ट्रिक बना सकते हैं। इस काम में कितना खर्च आता है? पेट्रोल या डीजल की तुलना में हर दिन इससे कितनी बचत होगी? कितने समय के बाद कार का खर्च वसूल हो जाएगा? इन तमाम बातों के बारे में जानते हैं।
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दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रिक में तब्दील करके सड़कों पर चलाने की मंजूरी दी थी। उसके बाद इसे लेकर परिवहन विभाग में सवालों की संख्या बढ़ रही थी, क्योंकि दिल्ली में अब तक ऐसा कोई बाजार नहीं है, जहां जाकर पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक कार में तब्दील कराया जा सके। परिवहन विभाग ने ऐसे व्हीकल ओनर्स को एक ही प्लेटफॉर्म पर सुविधा देने के लिए यह पहल की है। इसे लेकर विभाग ने तब 11 कंपनियों को लिस्टेड किया है।
ऑनलाइन पोर्टल के जरिए इलेक्ट्रिक किट मैन्युफैक्चर, डिस्ट्रीब्यूटर्स, किट लगाने वाले सेंटर और व्हीकल में इलेक्ट्रिक रेट्रोफिटमेंट करने वाली कंपनियों की डिटेल भी दी है। इसे ग्राहक देखकर अपने हिसाब से चुन सकता है। ICE व्हीकल को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करने से जुड़ी ज्यादातर कंपनियां हैदराबाद में हैं। इनमें ईट्रायो (etrio) और नॉर्थवेएमएस (northwayms) प्रमुख हैं। ये दोनों कंपनियां किसी भी पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट कर देती हैं।
आप वैगनआर, ऑल्टो, डिजायर, i10 या अन्य किसी भी पेट्रोल या डीजल कार इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करा सकते हैं। कारों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रिक किट लगभग एक जैसी होती है। हालांकि रेंज और पावर बढ़ाने के लिए बैटरी और मोटर में फर्क आ सकता है। इन कंपनियों से आप इनकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर संपर्क कर सकते हैं। एक बार कार को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करान के बाद 10 साल तक और चला पाएंगे। ये कंपनियां इलेक्ट्रिक कार भी बेचती हैं।

ICE व्हीकल को इलेक्ट्रिक कार में बदलने के लिए मोटर, कंट्रोलर, रोलर और बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। कार में आने वाला खर्च इस बात पर डिपेंड है कि आप कितने किलोवाट की बैटरी और कितने किलोवाट की मोटर लगवाना चाहते हैं। ये दोनों पार्ट कार के पावर और रेंज से जुड़े होते हैं। करीब 20 किलोवाट की इलेक्ट्रिक मोटर और 12 किलोवाट की लिथियम आयन बैटरी का खर्च करीब 4 लाख रुपए तक होता है। इसी तरह यदि बैटरी 22 किलोवाट की होगी, तब इसका खर्च करीब 5 लाख रुपए तक आएगा। हालांकि, अलग कंपनी के हिसाब से इसमें अंतर आ सकता है।
कन्वर्ट होने वाली इलेक्ट्रिक कार की रेंज इस बात पर डिपेंड करेगी कि उसमें कितने किलोवाट की बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। रेंज कम या ज्यादा होने में मोटर का रोल भी रहता है। यदि मोटर ज्यादा पावरफुल होती है तब कार की रेंज कम हो जाएगी। कार में 12 किलोवाट की लिथियम आयन बैटरी लगाई गई है तो ये फुल चार्ज होने पर करीब 70Km की रेंज देगी। वहीं, 22 किलोवाट की लिथियम आयन बैटरी लगाई तब रेंज बढ़कर 150Km तक हो जाएगी।
ICE व्हीकल को इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली ये कंपनी 5 साल की वारंटी भी देती हैं। यानी आपको कार में इस्तेमाल होने वाली किट पर कोई एक्स्ट्रा खर्च नहीं करना होगा। वहीं, बैटरी पर कंपनी 5 साल की वारंटी देती है। यानी 5 साल के बाद आपको बैटरी बदलने की जरूरत होगी। वहीं, पेट्रोल या डीजल कार में आपको सालाना सर्विस का खर्च भी करना होगा। ये आपको किट और सभी पार्ट्स का वारंटी सर्टिफिकेट भी देती हैं। इन इलेक्ट्रिक किट को RTO की तरफ भी मंजूरी रहती है।

ICE कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करने पार कई मैकेनिकल पार्ट्स को चेंज किया जाता है। इसमें कार का इंजन, फ्यूल टैंक, पावर पहुंचाने वाली केबल और दूसरे पार्ट्स के साथ AC कनेक्शन को भी चेंज किए जाते हैं। इन सभी पार्ट्स को इलेक्ट्रिक पार्ट्स जैसे मोटर, कंट्रोलर, रोलर, बैटरी और चार्जर से बदला जाता है। इस काम में मिनिमम 7 दिन का समय लग सकता है। सभी पार्ट्स कार के बोनट के नीचे ही फिक्स किए जाते हैं। वहीं, बैटरी की लेयर कार के चेसिस पर फिक्स की जाती है।
मान लीजिए आप कार से डेली 50Km का सफर करते हैं। ऐसे में एक इलेक्ट्रिक कार को फुल चार्ज होने में 6 घंटे और 7 यूनिट बिजली खर्च करती है। 1 यूनिट बिजली की कीमत 8 रुपए है, तो सिंगल चार्ज में 56 रुपए खर्च होंगे। यानी 56 रुपए के खर्च में EV 75Km की रेंज देती है। यानी 2 दिन की चार्जिंग में आप कार को 3 दिन आसानी से चला पाएंगे। यानी महीनेभर में कार 20 बार ही चार्ज करनी होगी, जिसका खर्च 7 यूनिट x 20 दिन = 140 यूनिट होता है। यानी 140 यूनिट x 8 रुपए = 1120 रुपए एक महीने में खर्च होते हैं। इस तरह सालभर का खर्च 12 महीने x 1120 रुपए = 13440 रुपए होता है।
दूसरी तरफ, इस कंडीशन के हिसाब से 1 लीटर पेट्रोल में कार शहर में 15Km का माइलेज देती है। 1 लीटर पेट्रोल का खर्च 101 रुपए है। ऐसे में 50Km चलने के लिए 3.33 लीटर पेट्रोल लगता है। यानी 336 रुपए का पेट्रोल एक दिन में खर्च होगा। इस हिसाब से 1 महीने में 30 दिन x 336 रुपए = 10090 रुपए का पेट्रोल खर्च होगा। यानी 1 साल में 12 महीने x 10090 रुपए = 121078 रुपए का पेट्रोल खर्च होगा। इस तरह इलेक्ट्रिक कार से पेट्रोल कार की तुलना में सालाना 1,21,078 - 13440 = 1,07,638 रुपए की बचत होगी। यानी 4.8 साल में इलेक्ट्रिक कार का पूरा खर्च निकल आएगा।
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