सनफिल्म या शेड्स गैरकानूनी! अपनाएं ये आसान तरीका, पुलिस देखकर भी नहीं रोक पाएगी कार; गर्मी और चालान दोनों से बचे रहेंगे
कार में सनफिल्म या शेड्स लगवाना गैरकानूनी है। लेकिन, अगर आप कानूनी तरीके से कार में टिंटेड ग्लास लगवाते हैं, तो आप गर्मी और चालान दोनों से बच सकते हैं। आइए इसका आसान और सुरक्षित तरीका जानते हैं।

भारत में गर्मी का कहर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कार चलाना किसी तपती भट्टी में बैठने जैसा लगता है। लोग राहत पाने के लिए कार में सनफिल्म्स या शेड्स लगवा लेते हैं, लेकिन यह गैरकानूनी है और पकड़े जाने पर भारी जुर्माना भरना पड़ता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि बिना कानून तोड़े भी आप कार के शीशों को टिंटेड बना सकते हैं? एक फॉक्सवैगन पोलो GT TSI (Volkswagen Polo GT TSI) के मालिक ने इसका शानदार और किफायती तरीका ढूंढ निकाला है, जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।
क्या है सनफिल्म बैन और इसका कारण?
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में एक आदेश में कारों में सनफिल्म्स लगाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट का कहना था कि अपराधों जैसे कि अपहरण, महिलाओं के खिलाफ हिंसा आदि में गहरे रंग के शीशों का दुरुपयोग हो रहा था। इसीलिए, सामने और पीछे के विंडस्क्रीन के साथ-साथ साइड विंडो पर भी कोई अतिरिक्त फिल्म लगाना प्रतिबंधित कर दिया गया।
फिर कार में टिंटेड ग्लास कैसे लगवा सकते हैं?
फॉक्सवैगन पोलो (Volkswagen Polo) के एक मालिक प्रेरक कटारिया ने यह साबित किया है कि टिंटेड ग्लास का इस्तेमाल कानून के दायरे में रहकर भी किया जा सकता है। प्रेरक कटारिया (Prerak Kataria) नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोड एक वीडियो में उन्होंने बताया कि गर्मी और चालान से बचने के लिए फॉक्सवैगन (Volkswagen) के सर्विस सेंटर से मिलने वाले फैक्ट्री-फिटेड UV-Cut ग्लास का विकल्प चुना जा सकता है, जो कि कानूनी रूप से मान्य है।
UV-Cut ग्लास सूरज की किरणों को फिल्टर करता है, जिससे कार का केबिन ठंडा रहता है और आंखों को राहत मिलती है। यह कोई सनफिल्म नहीं होती, बल्कि खुद ग्लास में ही UV प्रोटेक्शन होती है।
महंगा है? तो यह भी जानिए
फॉक्सवैगन (Volkswagen) सर्विस सेंटर से यह UV कट ग्लास लगवाना 14,000 से ज्यादा का खर्च करवा सकता है। लेकिन, इस पोलो (Polo) मालिक ने थोड़ा जुगाड़ अपनाया। उन्होंने स्क्रैप यार्ड से 5,000 में सेकेंड हैंड ग्लास खरीदे और उन्हें खुद इंस्टॉल कर लिया। अगर आप खुद नहीं लगा सकते तो किसी भरोसेमंद मिस्त्री से लगवाना बेहतर होगा।
UV कट ग्लास कौन बनाता है?
भारत में Asahi India जैसी कंपनियां UV-cut और सेफ्टी ग्लास बनाती हैं। साथ ही अगर आप विंडस्क्रीन के लिए सेफ्टी ग्लेज़िंग चाहते हैं, तो 3M, Garware जैसे ब्रांड के प्रोडक्ट्स भी उपलब्ध हैं, बशर्ते वो CMVR रूल्स के तहत हों।
केरल हाईकोर्ट ने दी थोड़ी राहत
2024 में केरल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया कि अगर विंडो ग्लास “सेफ्टी ग्लेजिंग” के मानकों पर खरे उतरते हैं, तो उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। यह ‘सेफ्टी ग्लास’ अगर 50% (साइड) और 70% (विंडस्क्रीन) लाइट पास करता है, तो यह नियमों के तहत आता है।
फैक्ट्री टिंटेड ग्लास कानूनी
सनफिल्म गैरकानूनी है, लेकिन UV-Cut या फैक्ट्री टिंटेड ग्लास कानूनी है। इन ग्लासेस में VLT (Visual Light Transmission) सीमा का पालन जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के अनुसार कोई भी एक्सटर्नल फिल्म लगाना मना है, लेकिन ग्लास फैक्ट्री से टिंटेड हो तो वह चल सकता है। थोड़ी जानकारी और समझदारी से आप गर्मी से भी बच सकते हैं और जुर्माने से भी बचा जा सकता है।
अगर आप भी अपनी कार को गर्मी से बचाना चाहते हैं, तो यह तरीका आपके लिए सुरक्षित और कानूनसम्मत हो सकता है। अगली बार जब कार के शीशे बदलवाएं, तो UV-Cut ग्लास जरूर आजमाएं।
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