7वें राज्य वित्त आयोग का गठन, नीतीश सरकार ने पूर्व आईएएस अशोक चौधरी को सौंपी कमान
बिहार में सातवें राज्य वित्त आयोग का गठन कर दिया गया है। पूर्व आईएएस अधिकारी अशोक कुमार इसकी अध्यक्षता करेंगे। इसमें दो अन्य सदस्य भी शामिल हैं। इसका गठन बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा 168 और बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 71 के प्रावधानों के तहत किया गया है

बिहार कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अशोक चौधरी राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष बनाये गये हैं। राज्य सरकार ने सप्तम राज्य वित्त आयोग का गठन कर दिया है। तीन सदस्यीय राज्य वित्त आयोग में बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अनिल कुमार और पटना विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त अर्थशास्त्र विभाग की प्राध्यापक डॉ. कुमुदनी सिन्हा को सदस्य बनाया गया है। रविवार को मिली जानकारी के अनुसार, आयोग का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद-243 के तहत राज्य पंचायत अधिनियम 2006 की धारा-168 और नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा- 71 के प्रावधानों के तहत किया गया है।
आयोग की अनुशंसाएं वित्तीय वर्ष 2026-31 तक होगी लागू : सप्तम राज्य वित्त आयोग को अपनी अनुशंसाएं वित्तीय वर्ष 2026 तक देनी होगी। आयोग की सभी अनुशंसाएं 2026-31 तक लागू होगी। मालूम हो कि, राज्य वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना 73 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत की गई थी। राज्यपाल, पांच साल के कार्यकाल के लिए राज्य वित्त आयोग की नियुक्ति करते हैं।
राज्य वित्त आयोग का मुख्य कार्य : राज्य वित्त आयोग का मुख्य कार्यों में राज्य की वित्तीय स्थिति की जांच करना, वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए अपनी अनुशंसाएं करना, पंचायतों एवं नगर निकायों के संसाधनों के लिए राज्य के वित्त में सुधार लाना, राज्य के विभाज्य पूल से पंचायतों और नगर निकायों के लिए धन वितरित करना है। वहीं, इसके प्रमुख कार्यो में ही पंचायतों के लिए आय के नए स्रोतों की पहचान करना, राज्य और पंचायतों के बीच टैक्स (कर), शुल्क एवं जुर्माना और टोल टैक्स जैसे कर राजस्व के विभाजन को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों को लेकर सलाह देना तथा राज्य के राजस्व और खर्च का पूर्वानुमान लगाना भी इनमें शामिल है।