Need for Music University in Ara Local Talents Struggle for Higher Education बोले आरा : वीकेएसयू में संगीत-नृत्य में डिप्लोमा से पीएचडी तक की शिक्षा हो सुलभ, Ara Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsAra NewsNeed for Music University in Ara Local Talents Struggle for Higher Education

बोले आरा : वीकेएसयू में संगीत-नृत्य में डिप्लोमा से पीएचडी तक की शिक्षा हो सुलभ

आरा शहर में संगीत का एक समृद्ध इतिहास है, लेकिन यहां संगीत की उच्चस्तरीय शिक्षा की कमी है। स्थानीय विद्यार्थी अन्य राज्यों में जा रहे हैं, जिससे आर्थिक और सामाजिक समस्याएं बढ़ रही हैं।

Newswrap हिन्दुस्तान, आराFri, 7 March 2025 05:13 PM
share Share
Follow Us on
बोले आरा : वीकेएसयू में संगीत-नृत्य में डिप्लोमा से पीएचडी तक की शिक्षा हो सुलभ

संगीत के क्षेत्र में आरा की खास पहचान रही है। वर्तमान समय में संगीत-नृत्य व नाट्य कला में बड़ी संख्या में युवा कॅरियर भी बना रहे हैं। इसके लिए संगीत, नृत्य और नाट्य कला के विद्यार्थियों को उच्चस्तरीय शिक्षा की आवश्यकता होती है, जो आरा में नहीं मिल पा रही है। इस कारण अपने शहर में ही अपनी प्रतिभा को विकसित करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है और भोजपुर समेत शाहाबाद के विद्यार्थी अन्य प्रदेशों में जाकर डिप्लोमा से लेकर पीएचडी तक की डिग्री हासिल कर रहे हैं। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में हर विषय की पढ़ाई हो रही है पर संगीत विषय जिसके विद्यार्थी और रुचि रखने वालों की बड़ी संख्या भोजपुर समेत शाहाबाद के हर क्षेत्र में है पर संगीत की उच्चस्तरीय शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकार को आरा में एक संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना करनी चाहिए। साथ ही स्थानीय स्तर पर मंच दिये जाने की जरूरत है। सरकारी स्तर पर भी आयोजनों को बढ़ावा दे स्थानीय प्रतिभागियों को प्रोत्साहन दिये जाने की जरूरत है।

कस्बाई शहर में शामिल आरा को संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय पहचान हासिल है। यहां की मिट्टी से महान पखावज वादक संगीत शिरोमणि बाबू ललन जी के नाम से विख्यात स्व. शत्रुंजय प्रसाद सिंह की उपज हुई है। विश्व विख्यात शास्त्रीय गायक अखौरी नागेंद्र नारायण सिन्हा उर्फ नंदन जी भी आरा के रत्न रहे हैं, जिनसे पद्मश्री शारदा सिन्हा ने गायन का प्रशिक्षण लिया। जमीरा कोठी में संगीत का प्रशिक्षण देने हेतु देश के नामचीन कलाकार गुरु के रूप में नियुक्त थे, जिन्होंने आरा की भावी पीढ़ी को संगीत में निपुण किया। इसके फलस्वरूप कृष्ण रंजन सिन्हा, मोहिनी देवी, अंबिका लाल, रामजी पांडेय, जंगली मालिक जैसे विद्वान कलाकारों का सृजन हुआ। आजादी से पूर्व आरा की जमीरा कोठी बिहार में पूरे देश के संगीत गुरु एवं प्रशिक्षुओं का प्रमुख केंद्र रहा, जहां संगीत शिक्षा एवं संगीतज्ञों को संरक्षण मिला। संस्थागत शिक्षा के प्रचार में आने के बाद भारत का प्रथम संगीत विद्यालय शत्रुंजय संगीत विद्यालय (बी आर 1) भी यहीं स्थापित हुआ। यहां से देश के बड़े-बड़े कलाकार संगीत की परीक्षा में शामिल हुए और उत्तीर्ण होकर अपना भविष्य बनाया। यही नहीं 1950 के दशक में यहां तीन देशों का सबसे बड़ा संगीत सम्मेलन हुआ, जिसमें शायद ही कोई भारत रत्न और पद्मविभूषण संगीतज्ञ हों, जो प्रस्तुति से वंचित रह गये हों। सुविख्यात ठुमरी गायिका पद्मविभूषण गिरिजा देवी ने पहली बार जनता के सामने आरा में अपना गायन प्रस्तुत किया। उस्ताद हबीबुद्दीन खां, पंडित अनोखे लाल, विदुषी दमयंती जोशी, पंडित सियाराम तिवारी, पंडित गोदई महाराज, उस्ताद अहमद जान थिरकवा जैसे महान कलाकार यहीं के शीशमहल चौक स्थित जमीरा कोठी में रहकर अपनी साधना को ऊंचाई तक ले गये हैं। बावजूद समय के साथ यहां जो विकास होना चाहिए था, नहीं हो सका। जहां की गली में विद्वान संगीतज्ञों की साज अनुगूंजित होती थी, वहां आज अश्लील गीतों ने वातावरण को प्रदूषित कर दिया है। इसका प्रमुख कारण है शिक्षा का विस्तार न होना। इतनी बड़ी विरासत की धरती पर आज तक संगीत का न तो महाविद्यालय है और न ही विश्वविद्यालय। यहां तक कि आरा में स्थापित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में संगीत की उच्च स्तरीय शिक्षा हेतु संकाय तक नहीं है। इसकी शिक्षा के लिए भोजपुर के विद्यार्थियों को बाहर जाना पड़ता है। इससे यहां के विद्यार्थियों का धन भी अन्य प्रदेशों में जा रहा है।

अभाव के बाद भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहरा रहे परचम

आज भी संगीत के क्षेत्र में आरा की प्रतिभाएं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा रही हैं। कई प्रतिभाएं स्वर्ण पदक जीत रही हैं तो कई अंतरराष्ट्रीय पहचान कायम कर चुके हैं, किंतु संगीत के क्षेत्र में प्रतिभाओं के प्रोत्साहन का आज भी यहां घोर आभाव है। इस कारण कलाकारों का दूसरे प्रदेशों में पलायन होता रहा है। संगीत के समय के साथ सांगीतिक आयोजनों में भी भारी कमी आई है। कालांतर में आरा में बाबू ललन जी की ओर से अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन, बक्शी कुलदीप नारायण सिन्हा की ओर से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव संगीत सम्मेलन, गिरिराज अग्रवाल की ओर से बसंत उत्सव संगीत सम्मेलन, रंजीत बहादुर सिंह की ओर से अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन समेत समय-समय पर आयोजनों की धूम रहती थी। आयोजनों और आरा के सांगीतिक वातावरण को देखते हुए इसे छोटकी बनारस की संज्ञा दी गई। देश के प्रख्यात ध्रुवपद गायक डागर बंधु ने कहा था कि आरा संगीतज्ञों के तीर्थ के समान है, किंतु समय के साथ संगीत के क्षेत्र में काफी गिरावट हुई है। सांगीतिक कार्यक्रमों में भारी कमी आई है।

प्रदर्शन के लिए नहीं है कोई मंच

संगीतज्ञों के लिए प्रदर्शन के लिए सरकार की ओर से कोई उचित मंच नहीं है। लिहाजा नये अवसर भी नहीं मिल रहे हैं। आज भी संगीत एवं नृत्य को लेकर आर्थिक रूप से कलाकारों को व्यवस्थित होने के लिए काफी संघर्ष करना होता है। कई कलाकारों की साधना अधूरी रह जाती है और परिवार चलाने के लिए कोई दूसरा काम करना पड़ रहा है। संगीत व नृत्य के क्षेत्र में भोजपुर की कुछ प्रतिभाएं अन्य प्रदेशों से अपनी पहचान कायम कर रही हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर इन्हें बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है। आरा शहर में नागरी प्रचारिणी सभागार है पर इसमें सुविधाओं का घोर अभाव है, जिससे उच्च स्तर के आयोजन संभव नहीं हो पाते हैं। सांस्कृतिक भवन का अभी जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है। इसके बाद यहां किस कदर व्यवस्था हो पाती है, यह अभी देखना बाकी है।

सुझाव

-सरकार की ओर से संगीत व नृत्य के आयोजन का विस्तार होना चाहिए, जिसमें स्थानीय वयस्क संगीतज्ञों की प्रस्तुति सुनिश्चित की जाए।

-कार्यक्रम में प्रस्तुति हेतु उचित मानदेय प्रदान किया जाए ताकि कलाकार आर्थिक रूप से समृद्ध हों और अपनी कला साधना आगे तक ले जा सकें।

-डिप्लोमा से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई को सुलभ बनाने हेतु विश्वविद्यालय और महाविद्यालय की स्थापना हो

-वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में संगीत व नृत्य का संकाय स्थापित किया जाए, जिससे उच्च शिक्षा हेतु प्रशिक्षुओं का पलायन रोका जा सके।

-जिला प्रशासन की ओर से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम कर चुके कलाकारों के साथ समन्वय स्थापित कर कला संस्कृति के क्षेत्र में मॉड्यूल विकास का निर्माण हो, जिसके तहत कला साधना और विकसित हो सके।

शिकायत

-संगीत की उच्च शिक्षा हेतु महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय नहीं हैं।

-जिला स्तर पर सरकारी सांगीतिक आयोजनों की भारी कमी है, जिस कारण कलाकारों के लिए नये अवसर सृजित नहीं हो पा रहे हैं।

-स्थानीय स्तर पर संगीतज्ञों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं हैं।

-भोजपुर से पलायन की स्थिति आज भी बनी है, जिससे स्वस्थ वातावरण का निर्माण नहीं हो पा रहा है।

-संगीत से जुड़े कलाकारों पर सरकार और जिला प्रशासन समुचित ध्यान नहीं देता है।

कोट

आरा के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में संगीत की उच्च स्तरीय पढ़ाई नहीं होने से स्थानीय संगीत विद्यार्थियों को बहुत नुकसान हो रहा है। उन्हें दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। इससे समय और पैसे की बर्बादी होती है। परिवार से दूर रहना पड़ता है।

राजा कुमार, कथक नर्तक, आरा

भोजपुर में संगीत विषय की उच्च स्तरीय पढ़ाई शुरू करने से स्थानीय विद्यार्थियों को बहुत लाभ होगा और शहर की सांस्कृतिक विरासत को भी समृद्ध बनाने में मदद करेगा। विवि को अपने पाठ्यक्रम में संगीत विषय को शामिल करने पर विचार करना चाहिए।

अजीत पांडेय, शास्त्रीय गायक, आरा

विवि में संगीत की विधा का ना होना संगीत विद्यार्थियों के लिए चुनौती का विषय है। संगीत की प्रारंभिक डिग्री लेने के बाद हम संगीत की उच्च स्तरीय शिक्षा की जद्दोजहद में फंसते चले जाते हैं। इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

श्रेया पांडेय, शास्त्रीय गायिका

संगीत विषय की उच्चस्तरीय पढ़ाई नहीं होने से स्थानीय छात्रों को विशेषज्ञता हासिल करने में कठिनाई होती है। अन्य शहरों में जाना पड़ता है, जिससे आर्थिक और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। स्थानीय संस्कृति और कला के विकास में भी बाधा आती है।

रौशन कुमार, संगीत शिक्षक सह गायक

संगीत के साथ इसकी उच्च स्तरीय पढ़ाई भी करना चाहते हैं मगर वीर कुंवर सिंह विवि में संगीत की पढ़ाई का कोई स्कोप नहीं है। इस कारण यहां के बच्चे दूसरे शहरों में जाकर संगीत की स्तरीय पढ़ाई कर रहे हैं। इसका असर आरा की सांगीतिक गतिविधियों पर पड़ रहा है।

सूरजकांत पांडेय

भारतीय शास्त्रीय संगीत बच्चों के जीवन में अलग ही संस्कार पैदा करता है। बावजूद विवि में संगीत की शिक्षा न होने से बच्चों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अच्छे गुरु यानी शिक्षक का अभाव है आरा शहर में। इस कारण हमारे प्रतिभावान विद्यार्थी भटकते रहते हैं।

आचार्य चंदन कुमार ठाकुर, तबला वादक

संगीत के क्षेत्र में आज रोजगार के कई अवसर हैं किंतु डिग्री के अभाव में अच्छी प्रतिभाओं को उचित रोजगार नहीं मिल रहा है। संगीत की उच्च स्तरीय शिक्षा की व्यवस्था नहीं होना चिंता का विषय है। इससे संगीत प्रशिक्षुओं के भविष्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

लक्ष्मी नारायण ओझा, तबला वादक

आरा पुराने समय में संगीत का गढ़ रहा है। हमें इस धरोहर की हिफाजत के लिए यूनिवर्सिटी में संकाय होना चाहिए, जिससे जो बच्चे बाहर जाने में सक्षम नहीं हैं, वे यहीं अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।

रोहित कुमार, संगीत शिक्षक

संगीत विषय के अध्ययन के लिए उचित व्यवस्था हर जगह नहीं हो पाई है। किसी विवि में गायन विषय का संकाय है तो नृत्य व तबला नहीं । नृत्य विषय का संकाय तो पूरे बिहार में नहीं है। वीकेएसयू में इन तीनों विषयों की उच्च स्तरीय शिक्षा हेतु संकाय बनाया जाये।

आदित्या श्रीवास्तव, कथक नृत्यांगना सह शिक्षिका

शाहबाद से संगीत के विभिन्न विधाओं से बड़ी संख्या में विद्यार्थी अलग-अलग संस्थाओं से बैचलर डिग्री और मास्टर डिग्री के समकक्ष का सर्टिफिकेट प्राप्त करने हेतु पर्याप्त धन खर्च करते हैं परिश्रम भी करते हैं। अमान्य होने का डर भी सताता है। वीर कुंवर सिंह विवि आगे आये तो बात बने।

बक्शी विकास, कथक गुरु

आरा के संगीत विद्यार्थी अन्य प्रदेशों में स्वर्ण पदक पा रहे हैं। बीपीएससी शिक्षक पात्रता परीक्षा में टॉप कर रहे हैं। यदि यहीं यथायोग्य शिक्षा व डिग्री की व्यवस्था हो जाए तो प्रशिक्षुओं को मानसिक एवं आर्थिक परेशानी से मुक्ति मिलेगी। शाहाबाद में संगीत-नृत्य का सुंदर वातावरण स्थापित होगा। कॅरियर बढ़ेगा।

विदुषी बिमला देवी, शास्त्रीय गायिका

आरा में संगीत की उच्चस्तरीय शिक्षा विवि में नहीं होना दुःखद है l उच्च डग्री के बिना किसी विषय में कॅरियर बनाना बहुत कठिन है l अतः संगीत विषय के महत्व को समझा जाये। इसकी उपेक्षा नहीं की जाये, वरना हमारा समाज उपेक्षित हो जायेगा l

डॉ. लालबाबू निराला, तबला वादक एवं संगीत शिक्षक

आरा के वीर कुंवर सिंह विवि में संगीत विषय की उच्च स्तरीय पढ़ाई नहीं होने से विद्यार्थियों को बहुत नुकसान है। इस क्षेत्र में बच्चे और उनकी कलाएं कुंठित हो रही हैं। सरकार से निवेदन है कि संगीत-नृत्य कला के क्षेत्र में विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने के लिए सक्षम प्रयास करे।

ब्रजेंद्र महाराज, संगीत शिक्षक सह शास्त्रीय गायक

वीर कुंवर सिंह विवि में नृत्य या संगीत की पढ़ाई न होने से जो भी बच्चे इस विषय में रुचि रखते हैं, उन्हें अपनी रुचि दबाने की कोशिश करनी होती है। जरूरी नहीं कि हर बच्चे बड़े या बाहर के विवि में पढ़ने जा सकें। संगीत एवं नृत्य का संकाय न होने से मनोबल टूटने की आशंका होती है।

हर्षिता विक्रम, कथक नृत्यांगना सह शिक्षिका

भोजपुर जिला कला एवं संगीत के क्षेत्र में पहले से उन्नत रहा है। यहां अच्छे-अच्छे गुरुओं ने गुरुकुल परंपरा से शिक्षा दी है, किन्तु समय के संस्थागत शिक्षा के क्षेत्र में यहां कई आवश्यक कार्य अधूरे हैं, जिसमें यहां के विवि में उच्चस्तरीय शिक्षा हेतु संगीत नृत्य के संकाय की शुरुआत प्रमुख है।

अमित कुमार, कथक नर्तक सह शिक्षक

संगीत-नृत्य शिक्षा हेतु जमीरा कोठी बिहार का प्रमुख केंद्र था, जहां देश के कई भारत रत्न व पद्मविभूषण कलकारों ने साधना की है। समय के साथ बहुत गिरावट हुई, जिस कारण यहां की प्रतिभाओं का लगातार पलायन हो रहा है। कॅरियर बनाने को बड़े शहरों में जाना मजबूरी है।

महेश यादव, संगीताचार्य सह शास्त्रीय गायक

भोजपुर में सरकारी स्तर पर यहां के कलाकारों को प्रोत्साहित करने हेतु कोई खास व्यवस्था नहीं है। वर्तमान में सरकार की ओर से संगीत नृत्य के शिक्षकों की बहाली हुई है, किंतु यह पर्याप्त नहीं है। सरकारी स्तर पर आयोजनों का विस्तार होना चाहिए ताकि कलाकारों को मंच मिले और मानदेय भी।

सोनम कुमारी, कथक नृत्यांगना

संगीत और नृत्य विषय की उच्च स्तरीय पढ़ाई अत्यंत आवश्यक है। इसके नहीं होने से यहां के संगीत नृत्य कला क्षेत्र के विद्यार्थियों को राज्य के बाहर जाकर संगीत की शिक्षा और डिग्री लेने जाना पड़ता है।बिहार में बहुत कम ऐसे विवि हैं, जहां नृत्य-संगीत की पढ़ाई होती है।

अनिश कुमार, नृत्य शिक्षक

नई शिक्षा नीति के अनुसार जिस प्रकार विद्यालयों में संगीत की विधा शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है, वह कला को विकसित करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इन नियुक्तियों के कारण युवाओं में कला के प्रति रुचि बढ़ने लगी है। उच्चस्तरीय शिक्षा की व्यवस्था भी हो।

स्नेहा पांडे, नृत्य शिक्षिका

आरा में सरकार ऐसी व्यवस्था कायम करे कि गायन, वादन और नृत्य विषय के प्रशिक्षुओं के लिए डिप्लोमा से लेकर पीएचडी तक की शिक्षा आरा में ही उपलब्ध हो जाए। आज भी अन्य विषयों की अपेक्षा इसमें रोजगार के अवसर ज्यादा हैं। बावजूद वीर कुंवर सिंह विवि में अब तक व्यवस्था नहीं है।

रविशंकर, नृत्य गुरु

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।