सूरदास ने अपनी रचनाओं से समाज को दी नई दिशा
जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में हुआ जयंती कार्यक्रम का आयोजन स सस सस सस स स सस स स सस स स स स स स स स स स स

जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में सत्येंद्र नगर मुहल्ले में भक्ति काल के कवि सूरदास की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद ने की वहीं संचालन नागेंद्र प्रसाद केशरी ने किया। चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर दीप जला कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। शिवांगी एवं समीक्षा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। भक्तिकाल के स्वर्णिम इतिहास में सूरदास के योगदान विषय पर आयोजित गोष्ठी में शिक्षिका प्रियंका पांडेय ने विषय प्रवेश कराया। शिक्षिका अनुपमा कुमारी ने सूर के पदों की व्याख्या की तो चंदन पाठक ने सूरदास के नीतिश्लोक की चर्चा की।
धनंजय जयपुरी ने सूरदास को इतिहास में सूर्य के समान रोशनी बिखेरने वाला कवि बताया। डॉ शिवपूजन सिंह ने सूर को चेतना जगाने वाला कवि कहा। डॉ रामाधार सिंह, लव कुश प्रसाद सिंह, पुरुषोत्तम पाठक, संस्था के उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, पूर्व बीईओ कमलेश कुमार सिंह ने सूरदास की कहानियों की चर्चा की। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि सूरदास जन्म से अंधे थे। वात्सल्य और श्रृंगार का सूरदास ने बंद आंखों से जो वर्णन किया है, वह खुली आंखों से भी कोई नहीं कर सकता। सूरदास ने अपनी रचनाओं से समाज को नई दिशा दी। उनकी सभी रचनाएं समाज को नई सोच प्रदान करती हैं। सूरसागर एक ऐसा महाकाव्य है जो सही मायने में सागर है और जो साहित्यसेवी उसमें गोता लगाते हैं, उनकी साहित्यिक प्रगति हो जाती है। कृष्ण काव्य का समग्र वर्णन यदि किसी ने किया तो वे सूरदास ही है। कोषाध्यक्ष बैजनाथ सिंह, संगीत शिक्षक सुशील पांडेय, समाजसेवी नारायण सिंह, अर्जुन सिंह, अशोक कुमार सिंह, आशुतोष कुमार सोमनाथ, अरुण कुमार मिश्रा, जनार्दन मिश्र जलज, राम सुरेश सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, सुरेश विद्यार्थी उपस्थित थे।
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