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उर्दू विद्यार्थियों को नहीं मिल रहीं किताबें शिक्षकों के अंतरवेतन का हो भुगतान

उर्दू विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को वित्तीय वर्ष 2017-19 का अंतर बकाया वेतन अभी तक नहीं मिला है। शिक्षकों का कहना है कि वे आठ वर्षों से शिक्षा विभाग का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाSun, 18 May 2025 10:17 PM
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उर्दू विद्यार्थियों को नहीं मिल रहीं किताबें शिक्षकों के अंतरवेतन का हो भुगतान

 

उर्दू विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को वित्तीय वर्ष 2017-19 के अंतर बकाया वेतन का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। अंतर बकाया वेतन के लिए आठ वर्षों से उर्दू शिक्षक शिक्षा विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। बार-बार अंतर बकाया वेतन का बिल शिक्षक बनवाकर विभाग को भेजते हैं। लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है। शिक्षकों की माने तो इनकी तमाम समस्याओं का समाधान शिक्षा विभाग के स्तर से लंबित है। बिहार स्टेट उर्दू टीचर एसोसिएशन के राज्य सचिव सह जिला अध्यक्ष मोहम्मद फिरोज आलम ने बताया कि सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षकों के औपबंधिक नियुक्ति पत्र में कई विसंगतियां हैं।

इसका अभी तक समाधान नहीं हो सका है। जबकि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित सक्षमता परीक्षा के लिए समिति द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार उक्त परीक्षा में बेसिक ग्रेड (कक्षा-1 से 5) के शिक्षकों के लिए वैकल्पिक विषय के रूप में तीन भाषाएं चुनने का अधिकार दिया गया था। इसमें हिन्दी, उर्दू एवं बंगला भाषा दिए गए थे। इनमें से किसी एक भाषा का चयन करना था। शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा अपनी सुविधानुसार भाषाओं का चयन किया गया था। परन्तु जब वे अपना काउंसिलिंग कराने गए, तो काउंसिलिंग में तैनात कर्मी द्वारा मनमाने तरीके से अभ्यर्थियों का सक्षमता परीक्षा में चयनित वैकल्पिक विषय के आधार पर नियुक्ति का विषय तय कर दिया गया। फलस्वरूप सामान्य विषय के शिक्षक जिन्होंने वैकल्पिक विषय में उर्दू भाषा का चयन किया था। वैसे शिक्षकों को उर्दू विषय का शिक्षक वही उर्दू विषय के शिक्षक जिन्होंने वैकल्पिक विषय में हिन्दी का चयन किया था उनको सामान्य शिक्षक बना दिया गया। वहीं बांग्ला विषय का चयन करने वाले शिक्षक को बांग्ला विषय का शिक्षक बना दिया गया। चूंकि ये शिक्षक औपबंधिक नियुक्ति पत्र में अंकित नियुक्ति के विषय से दूसरे विषय में कार्यरत हैं। इसके कारण विद्यालय योगदान में इन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। सक्षमता-2 के शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ भी भाषा विसंगतियां हुई है। उर्दू के स्थान पर हिंदी कर दिया गया है। शिक्षकों का कहना है कि इसके लिए हम लोग लगातार विभाग का चक्कर काट रहे हैं। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो सका है। शुक्रवार को ड्यूटी करने पर पहले क्षतिपूर्ति मिलता था। लेकिन अब यह बंद कर दिया गया है। वैसी स्थिति में विद्यालय में अनुपस्थित होने पर वेतन कटौती की जाती है। उर्दू भाषा के प्रश्न पत्र प्रखंड संसाधन केंद्र और संकुल संसाधन केंद्र स्तर से जितनी आवश्यकता है उतनी नहीं मिलती है। इसके कारण बच्चों को परेशानी होती है। अधिकांश विद्यालयों में उर्दू भाषा की किताबें नहीं आती हैं। इससे बच्चों को काफी परेशानी होती है। प्राथमिक वर्ग 1 से 5 में सभी भाषा की कार्य पुस्तिका मिलती है। लेकिन उर्दू भाषा की कार्यपुस्तिका नहीं मिलती है। विभागीय आदेशानुसार सभी सरकारी विद्यालयों ,भवनों के नाम हिंदी के साथ-साथ द्वितीय राज्य भाषा उर्दू में लिखना अनिवार्य है। जो अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है। यहां तक की उर्दू विद्यालयों के नाम भी उर्दू में नहीं लिखा गया है। 

प्रस्तुति: श्रीकांत तिवारी/शत्रुध्न शर्मा 

उर्दू शिक्षकों को अंतर वेतन का नहीं हो रहा भुगतान

नौतन प्रखंड समेत आधे दर्जन प्रखंडों में कार्यरत उर्दू शिक्षकों के अंतर बकाया वेतन (डीए) 3 फीसदी जनवरी 2022 से फरवरी 2022 और जुलाई 2022 से सितंबर 2022 तक हो गया है। शेष प्रखंडों में कार्यरत उर्दू शिक्षकों का अंतर बकाया वेतन का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है। यह हमारे साथ भेदभाव है। विपिन हाई स्कूल समेत कई विद्यालयों में वर्षों से उर्दू शिक्षक का पद रिक्त है। प्रारंभिक विद्यालयों के वर्ग तालिका में उर्दू विषय को शामिल नहीं किया जाता है। इसके कारण विद्यालयों में उर्दू विषय की घंटी नहीं लगती है। जिसे उर्दू विषय का पठन-पाठन नहीं हो पाता है। शिक्षा विभाग पटना द्वारा सामान्य शिक्षकों एवं उर्दू विद्यालयों और मदरसा के शिक्षकों की छुट्टी एक समान किए जाने से कई छुट्टी प्रभावित हुई है। पहले ईद पर दो या तीन दिन छुट्टी हुआ करती थी। जिसको अब अवकाश तालिका में एक दिन कर दिया गया है। बकरीद में भी दो दिन छुट्टी हुआ करती थी, उसको भी एक दिन कर दिया गया है। जबकि इस्लाम धर्म में ज्यादा त्योहार नहीं होती है। सैकड़ों किलोमीटर घर से दूर रहने वाले उर्दू शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं हो रहा है। इसके कारण इतनी कम छुट्टी में उर्दू शिक्षक अपना त्योहार नहीं मना पाते हैं। शनिवार को फूल डे पढ़ाई कर दी गई है, जो पहले हाफ डे चलती थी। इससे भी हमें परेशानी हो रही है। सरकार हमारी समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है।

उर्दू शिक्षकों के अंतर भुगतान का ऐसा कोई भी मामला मेरे समक्ष नहीं आया है। ऐसा कोई मामला सामने आता है या ऐसी शिकायत मिलती है। तो विभाग को इस बाबत लिखा जाएगा। इसके लिए उर्दू शिक्षकों को विभाग में ज्ञापन देना होगा और बताना होगा कि किस-किस सत्र का अंतर वेतन भुगतान बाकी है। इसकी जानकारी मुख्यालय को दी जाएगी। वहां से आवंटन आने के बाद राशि दी जा सकेगी। 

-कुमार अनुभव, डीपीओ स्थापना शिक्षा विभाग

उर्दू शिक्षकों की अगर किसी तरह की समस्या है तो वे लिखित आवेदन दे। संबंधित विभाग से इसकी जांच करा कर इस पर कारवाई की जाएगी। उर्दू शिक्षकों के सभी तरह की सरकार द्वारा प्रदत सुविधाएं हर हाल में मुहैया कराई जाएगी। शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करना विभाग का दायित्व है। शिक्षकों को छात्रों के पठन-पाठन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

 -डॉ विनोद कुमार, एसडीएम बेतिया 

सुझाव 

1. कार्यबुक उर्दू का नहीं मिल पाता है। जबकि अन्य विषयों का मिलता है। उर्दू का कार्यबुक उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

 2. बकाया अंतर वेतन का भुगतान जल्द से जल्द कराया जाए। कई प्रखंडों में इसका भुगतान हो चुका है। 

3. उर्दू भाषा के प्रश्नपत्र प्रखंड संसाधन केंद्र और संकुल संसाधन केंद्र से आवश्यकता अनुसार उपलब्ध कराने की व्यवस्था हो । 

4. अधिकांश विद्यालयों में उर्दू भाषा की किताबें नहीं आती है। इससे बच्चों को काफी परेशानी होती है। 

5. सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों के औपबंधिक नियुक्ति पत्र की विसंगतियाें को दूर किया जाना चाहिए। 

शिकायतें 

1. उर्दू विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को वित्तीय वर्ष 2017-19 के अंतर बकाया वेतन का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है।

 2. सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षकों के औपबंधिक नियुक्ति पत्र में कई विसंगतियां हैं। इसका समाधान नहीं हो सका है। 

3. शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा अपनी सुविधानुसार भाषाओं का चयन किया गया था। काउंसिलिंग में गड़बड़ी कर दी गई है। 

4. शिक्षकों के चयनित विषय को बदल दिया गया है। इससे परेशानी हो रही है। 

5. शिक्षक औपबंधिक नियुक्ति पत्र में अंकित नियुक्ति के विषय के बदले दूसरे विषय में कार्यरत हैं।

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