Corruption in Indian Railways Vigilance Raids on Contractors and Officials रेल अधिकारी व संवेदक के बीच गठजोड़ की गोपनीय शिकायत पर हो रही जांच, Begusarai Hindi News - Hindustan
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रेल अधिकारी व संवेदक के बीच गठजोड़ की गोपनीय शिकायत पर हो रही जांच

पूर्व में विभिन्न विभागों में बीओएस आधारित रेल कर्मचारियों की संख्या अधिक होती थी, वह वर्षभर जरूरत के हिसाब से मेंटेनेंस कार्य करते थे

Newswrap हिन्दुस्तान, बेगुसरायSat, 3 May 2025 08:16 PM
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रेल अधिकारी व संवेदक के बीच गठजोड़ की गोपनीय शिकायत पर हो रही जांच

गढ़हरा(बरौनी),एक संवाददाता। रेलवे के अधिकारी व ठेकेदार की मिलीभगत होने की शिकायत गोपनीय तरीके से वरीय अधिकारियों को मिलने से जगह जगह विजिलेंस टीम की छापेमारी होने लगी है। बताया जाता है कि अब रेलवे के विभिन्न कार्यालयों, वर्कशॉप, डिपो आदि में मेटेरियल सप्लाई और स्टाफ्स का काम भी बड़े पैमाने पर संवेदक द्वारा ही किया जा रहा है। बड़े स्तर का संवेदक का काम कई जगहों पर होता है। उनका मिलना जुलना रेल के सम्बंधित अधिकारियों से भी होता है। इसकी भनक विजिलेंस टीम को लगते ही 1 मई को एक साथ कई जगहों पर हुई। इससे पूर्व भी कई जगहों पर छापेमारी के बाद आय व्यय के आंकड़ों को खंगालने से इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार उजागर हुआ था।

रेलवे की विस्तृत जमीन पर बसे रेलवे क्वार्टरों में डेढ़ हजार रेलकर्मियों के परिवार रहते हैं लेकिन क्वार्टरों के मेंटेनेंस को लेकर रेलकर्मी ऊहापोह की स्थिति में रहते हैं। पूर्व में विभिन्न विभागों में बीओएस आधारित रेल कर्मचारियों की संख्या अधिक होती थी। वह वर्ष भर जरूरत के हिसाब से मेंटेनेंस कार्य करते थे। अभी सभी विभागों में रेलकर्मियों की संख्या कम हो गयी है। संवेदक के लोगों की संख्या बढ़ रही है। विकास कार्य में गुणवत्ता को भी ध्यान में नहीं रखा जाता है। अन्य जगहों या प्रान्तों के रेलकर्मी परिवार कॉलोनी में रहते हैं जो बदहाल व्यवस्था के बीच किसी तरह जीवनयापन करने को मजबूर हैं। मान्यता प्राप्त कर्मकारी इम्प्लाइज यूनियन के लोग इनदिनों अधिकारियों के साथ मीटिंग में समस्याओं को रखते हैं लेकिन अभी तक इसका कोई असर दिख नहीं रहा है। एशिया प्रसिद्ध गढ़हरा रेलवे यार्ड में पेट्रोलियम पदार्थों की हेराफेरी होने का मामला ज्यादा होने पर रेलवे बोर्ड के द्वारा करीब तीन दशक पूर्व यार्ड बंद कर दिया गया। इस वजह से बड़ी संख्या में यहाँ कार्यरत रेलकर्मियों को सरप्लस कर दिया गया। यहाँ के कर्मियों को दूसरे दूसरे विभागों में शिफ्ट किया गया। इससे गढ़हरा रेलवे यार्ड की समाप्ति के बाद यहां की छवि कुछ हद तक धूमिल हुई है। वहीं, गढ़हरा-बरौनी की 22 सौ एकड़ रेलवे की परती जमीन पर रेलवे का बड़ा कारखाना लगाए जाने की मांग स्थानीय विभिन्न संगठनों के लोगों द्वारा लगातार जारी है।

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