लीची तुड़ाई के बाद करें बगीचे की जुताई
कृषि विशेषज्ञों ने लीची की तुड़ाई के बाद बागों में खाद और उर्वरकों के प्रयोग की सलाह दी है। गन्ना फसल में गलित शिखा रोग से उपज में बड़ा नुकसान हो सकता है। रोग के लक्षण दिखने पर उपचार के लिए...

सिंघौल, निज संवाददाता। कृषि विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लीची की तुड़ाई के पश्चात उसके बगीचों की जुताई कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करें। प्रति प्रौढ़ वृक्ष 80 से 100 किलोग्राम कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद, 2.5 किलोग्राम यूरिया 1.5 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट, 13 किलोग्राम म्युरेट ऑफ पोटाश तथा 50 ग्राम सुहागा का मिश्रण तैयार कर पृक्ष के पूरे फैलाव में समान रूप से बिछाकर मिट्टी में मिला दें। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बरकरार रखने में मदद मिलेगी। वहीं गन्ना फसल में इस समय गलित शिखा रोग (टॉप शूट बोरर) के प्रकोप की संभावना बनी हुई है।
यह रोग 2 से 22.5 प्रतिशत तक उपज में तथा उम्र अवस्था में 80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अतिरिक्त, चीनी की मात्रा में भी 11.8 से 65 प्रतिशत तक की कमी देखी जाती है. जिससे किसानों एवं चीनी मीलों को आर्थिक नुकसान होता है। इस रोग में पौधों की शीर्ष पत्तियाँ मुरझा जाती है, झुक जाती हैं और अंतत वृद्धि बिंदु सड़ जाता है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है। रोग के लक्षण दिखने पर कार्बेन्डाजिम 0.1 प्रतिशत (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) का घोल बनाकर 15-15 दिन के अंतराल पर तीन बार छिड़काव करें। पशुओं को बीमारी से बचाने को करायें टीकाकरण पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था हेतु ज्वार, बाजरा तथा मक्का की बुवाई करें। इनके साथ अंतर्वर्ती फसल के रूप में मेथी, लोबिया तथा राइस बीन की बुवाई करने से चारे की गुणवत्ता और पोषणतत्व में वृद्धि होगी, जिससे दुधारू पशुओं को पर्याप्त और पौष्टिक चारा मिलेगा। साथ ही पशुओं को एन्थ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर (ठकहा) एवं एचएस (गलघोंटू) जैसे रोगों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण कराना आवश्यक है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।