श्रद्धापूर्वक मनाया गया सतुआनी पर्व
बीहट एवं आसपास के क्षेत्रों में सतुआनी पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया। लोग दिन में सतुआ ग्रहण करते हैं और रात में कढ़ी-पकौड़ी का सेवन करते हैं। तुलसी के पौधे को जल देने के लिए घड़ा बांधने की परंपरा है।...

बीहट। बीहट एवं आसपास के क्षेत्रों में सतुआनी पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया। प्रकृति से जुड़े सतुआनी को लेकर लोगों ने दिन में जहां सतुआ ग्रहण किया, वहीं रात में कढ़ी, पकौड़ी का सेवन किया। लोगों ने अपने घरों में पानी का छिड़काव किया। ऐसी मान्यता है कि सतुआनी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं और ऐसी स्थिति में सूर्य के किरणों से अमृत बरसता है जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है। आज के दिन सनातनियों के द्वारा कई रीति-रिवाज भी निभाये जाते हैं। इस दिन तुलसी के पौधे को नियमित जल देने के लिए एक घड़ा बांध दिया जाता है। ऐसी मानयता है कि ऐसा करने से पितरों की प्यास बुझती है। शिवलिंग के ऊपर भी घड़ा लटकाया जाता है ताकि अनवरत शिवलिंग पर जलाभिषेक होता रहे। कुलदेवता पर आटा, सत्तू, आम-टिकोला, ठंडा पेय और पंखा अर्पित किया जाता है।
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