Flooding Issues at Sadar Hospital During Monsoon Affect Patients and Staff सदर अस्पताल प्रशासन ने जलनिकासी का नहीं बनाया प्लान, Bhabua Hindi News - Hindustan
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सदर अस्पताल प्रशासन ने जलनिकासी का नहीं बनाया प्लान

बरसात के मौसम में सदर अस्पताल में जलजमाव की समस्या से मरीजों, परिजनों और स्वास्थ्य कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन मोटर से पानी निकालने का प्रयास करता है, लेकिन स्थाई समाधान...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआSat, 12 April 2025 09:21 PM
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सदर अस्पताल प्रशासन ने जलनिकासी का नहीं बनाया प्लान

बरसात के मौसम में मरीज, परिजन, चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पताल व वार्ड में आने जाने में झेलनी पड़ती है परेशानी मुख्य नाले से अस्पताल की नाली ढाल में रहने से बारिश होने पर होता है जलभराव सदर अस्पताल प्रशासन मोटर लगाकर जमा पानी को बहवाता है पास के मुख्य नाले में (पेज तीन की लीड खबर) भभुआ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। स्वास्थ्य महकमा ने सदर अस्पताल से जलनिकासी का प्लान नहीं बना सका है। ऐसे में इस वर्ष भी बरसात में अस्पताल परिसर वर्षा के पानी में डूबेगा और मरीजों, उनके परिजनों, चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों को गंदे पानी से होकर ओपीडी व इमरजेंसी के विभिन्न वार्ड व विभागों में स्वास्थ्य जांच व इलाज करने-कराने जाना पड़ेगा। बारिश होने पर सदर अस्पताल परिसर झील सा नजारा पेश करता है। अस्पताल परिसर में चारों तरफ जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जलजमाव के कारण बाइक चालकों को भी आने-जाने में परेशानी होती है। वाहनों के चक्का के दबाव से जमा पानी के छींटे मरीजों व उनके परिजनों के कपड़े पर पड़ते हैं, जिससे कपड़े गंदे हो जाते हैं। इसको लेकर मरीजों के परिजन व बाइक चालकों में बहस भी हो जाती है। फोर व्हीलर के चक्के पानी में डूब जाते हैं। पानी इंजन के अंदर जाने का डर बना रहता है। बारिश होने पर सदर अस्पताल मुख्य गेट पर दो से तीन फुट पानी जमा हो जाता है। सदर अस्पताल परिसर में जलजमाव के कारण मरीजों व उनके परिजनों को जूता-चप्पल हाथ में लेकर ओपीडी या इमरजेंसी तक जाना पड़ता है। पैंट को मोड़ना पड़ता है। महिला मरीजों को ज्यादा दिक्कत होती है। नगर परिषद ने सदर अस्पताल के बगल से मुख्य नाले का निर्माण कराया है। लेकिन, इस नाले से अस्पताल की नाली का लेबल नीचा है। इस कारण अस्पताल की नाली का पानी मुख्य नाले तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे जलजमाव की समस्या उत्पन्न होती है। बारिश होने के बाद एक घंटा तक जलजमाव की समस्या बनी रहती है। क्योंकि जमा पानी को मोटर से निकालने में इतनी देर लग जाती है। तब तक अस्पताल के अंदर व बाहर आने-जाने में लोगों को दिक्कत होती है। रात में बारिश होने पर सदर अस्पताल के मरीजों व परिजनों को ज्यादा परेशानी होती है। तीन एचपी के मोटर से निकालते हैं पानी भभुआ। बारिश होने के बाद सदर अस्पताल परिसर से पानी निकालने के लिए अस्पताल प्रबंधन तीन एचपी के मोटर का उपयोग करता है। सदर अस्पताल मुख्य द्वार के पास अस्पताल प्रबंधन द्वारा मोटर स्थापित किया गया है। इसी मोटर को स्टार्ट कर पानी निकाला जाता है। लेकिन, जलजमाव की समस्या का यह स्थाई समाधान नहीं है। इसके लिए अस्पताल में नए सिरे से नाले का निर्माण कराना होगा। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने परिसर में विभिन्न जगहों पर 10 सोख्ता बनाया गया है। सदर अस्पताल परिसर के ओपीडी, यक्ष्मा केन्द्र के पास, सिविल सर्जन कार्यालय, डीपीएम हाउस, डीआईओ कार्यालय आदि जगहों पर सोख्ता है। हि.प्र. दो करोड़ से जीर्णोद्वार के बाद भी जलजमाव भभुआ। चार साल पहले मिशन 60 डे के तहत दो करोड़ रुपए से सदर अस्पताल सहित परिसर का जीर्णोद्वार कराया गया। फिर भी जलजमाव की समस्या बरकरार है। सदर अस्पताल के अंदर व बाहर का सौंदर्यीकरण किया गया। सदर अस्पताल परिसर के चारों तरफ लगभग दो फुट पीसीसी ढलाई कराई गई है। लेकिन, अस्पताल परिसर का लेबल शहर की मुख्य सड़क से नीचे है। इस कारण बरसात होने पर सदर अस्पताल परिसर में जलजमाव होता है। शहरवासियों नरेंद्र सिंह व जितेंद्र कुमार का कहना है कि सदर अस्पताल के जीर्णोद्वार पर दो करोड़ रुपया खर्च किया गया। इसके बावजूद जलजमाव की समस्या बरकरार है। अब अस्पताल प्रबंधन को जलनिकासी के लिए नया प्लान बनाना चाहिए। हि.प्र. कोट बारिश होने के बाद परिसर में जलजमाव की उत्पन्न होनेवाली समस्या को दूर करने के लिए तीन एचपी का मोटर स्थापित किया गया है, जिससे पानी की निकासी की जाती है। अस्पताल परिसर में 10 सोख्ता भी बनाया गया है। डॉ. विनोद कुमार सिंह, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल फोटो- 12 अप्रैल भभुआ- 5 कैप्शन- बारिश होने के बाद सदर अस्पताल परिसर में कुछ इस तरह जमा पानी से होकर आते मरीज व परिजन (फाइल फोटो)।

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