‘तेरा किया मीठा लागे, हरि नाम पदार्थ नानक मांगे...
श्रीगुरुतेग बहादुर गुरुद्वारा में गुरु अर्जुनदेव जी महाराज का 419वां शहीदी पर्व मनाया गया। इस अवसर पर अखंड पाठ, पंजवाणी पाठ, भजन-कीर्तन और अरदास का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने गुरु ग्रंथ साहिब जी...

श्रीगुरुतेग बहादुर गुरुद्वारा में गुरु अर्जुनदेव जी महाराज का मना शहीदी पर्व अखंड पाठ, पंजवाणी पाठ, भजन-कीर्तन, अरदास का किया गया आयोजन (पेज चार की फ्लायर खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। जो बोले सो निहाल सतश्री आकाल व वाहे गुरु जी का खालसा वाहे गुरु की फतह के जयकारे से शहर का ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्रीगुरुतेग बहादुर जी महाराज का परिसर शुक्रवार को गूंज उठा। सिक्खों के पांचवें गुरु श्री गुरू अर्जुनदेव जी का 419वां शहीदी पर्व मनाया गया, जिसमें विभिन्न संप्रदाय के लोगों ने भाग लिया। श्री अखंड साहिब जी का भोग पड़ा। गुरुद्वारा के प्रधान बाबा राजेंद्र सिंह खालसा ‘तेरा किया मीठा लागे, हरि नाम पदार्थ नानक मांगे... गाया तो उनके पीछे अन्य श्रद्धालु भी दोहराने लगे।
शहीदी पर्व में भाग लेने आए श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा में सुशोभित श्रीगुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे नतमस्तक होकर अरदास की। हजूरी रागी जत्था ने गुरु अर्जुन देव जी की वाणी का गायन कर श्रद्धालुओं को गुरु शबद से जोड़ा। पंजवाणी व गुरुग्रंथ साहिब जी का अखंड पाठ तथा भजन-कीर्तन हुए। अरदास का दौर चला। गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी द्वारा ठंडी छबीला (लस्सी) का लंगर चला। राजेंद्र सिंह खालसा ने बताया कि अर्जुनदेव जी गुरु रामदास जी के पुत्र थे। उनकी माता का नाम बीवी भानी जी था। गोइंदवाल साहिब में उनका जन्म 15 अप्रैल 1563 में हुआ और विवाह 1579 ई. में। सिख संस्कृति को गुरु जी ने घर-घर पहुंचाने के लिए अथाह प्रयत्न किए। गुरु अर्जुनदेव जी महाराज के जीवन में एक घटना की चर्चा करते हुए गुरुद्वारा के प्रधान ने श्रद्धालुओं को बताया कि गुरुग्रंथ साहिब जी के संपादन को लेकर कुछ लोगों ने अकबर बादशाह के पास यह शिकायत की कि ग्रंथ में इस्लाम के खिलाफ लिखा गया है। लेकिन, जब अकबर को वाणी की महानता का पता चला, तब उन्होंने भाई गुरुदास व बाबा बुड्ढा के माध्यम से 51 मोहरें भेंट का खेत ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि गुरु अर्जुन देव जी द्वारा रचित वाणी ने भी संतप्त मानवता को शांति का संदेश दिया। सुखमनि साहिब उनकी अमर वाणी है। यातना सहकर भी पाठ करते रहे प्रधान ने कहा कि दिन चढ़ते ही करोड़ों लोग सुखमनि साहिब का पाठ कर शांति प्राप्त करते हैं। सुखमनि साहिब में 24 अष्टपदी हैं। सुखमनि शब्द अपने पा में अर्थ से भरा है। उन्होंने बताया कि जहांगीर के आदेश पर चंदू दीवान ने गुरु को ज्यष्ठ माह में खौलते देग पर बैठाया। फिर तपती तवी पर बैठाया। उनके शरीर पर गर्म रेत डाली गई। लेकिन, शांति के पुंज इन अमानवीय अत्याचारों से नहीं डिगे और शांतिपूर्वक बैठकर गुरुवाणी का पाठ करते रहे। कार्यक्रम में इन्होंने लिया भाग कार्यक्रम में अधिवक्ता अरुण तिवारी, नरेंद्र आर्य, आनंदजी गुप्ता, सदन प्रसाद केशरी, रामाधीन सिंह, राजू प्रसाद केशरी, सरदार अजीत सिंह, सरदार मान सिंह, सरदार देवेंद्र सिंह, सरदार गुरुदयाल सिंह, सरदार वंशरोपन सिंह, सरदार गुरुमीत सिंह, चरणजीत सिंह, भरत सिंह, गुरुप्रीत कौर, सतनाम कौर, गुरुलीन कौर, त्रिलोचन कौर, हरजीत कौर, राकेश अग्रवाल, राजू जायसवाल, सुभाष अग्रवाल, सतनाम सिंह, मुस्कान कौर, बलवीर सिंह आदि थे। फोटो- 30 मई भभुआ- 4 कैप्शन- भभुआ शहर के ऐतिहासिक श्रीगुरुतेग बहादुर जी गुरुद्वारा में शुक्रवार को अर्जुनदेव जी महाराज के शहीदी पर्व पर शबद कीर्तन करते श्रद्धालु।
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