अखंड सौभाग्य के लिए सोमवार यानि आज व्रत रखेंगी सुहागिन महिलाएं
(पेज चार की फ्लायर खबर)(पेज चार की फ्लायर खबर) अखंड सौभाग्य के लिए सोमवार यानि आज व्रत रखेंगी सुहागिन महिलाएं सुखी वैवाहिक

(पेज चार की फ्लायर खबर) अखंड सौभाग्य के लिए सोमवार यानि आज व्रत रखेंगी सुहागिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु के लिए रखेंगी वट सावित्री व्रत व्रत को लेकर बाजारों में खरीदारी शुरू, पूजा व शृंगार सामग्री की दुकान पर भीड़ भभुआ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन तथा पति की लंबी आयु की कामना के साथ 26 मई को वट सावित्री व्रत रखेंगी। इस व्रत को लेकर महिलाएं बाजार में शृंगार व पूजा सामग्री की खरीदारी रविवार को बाजार में की। अधिकांश महिलाएं समूह में पूजा-अर्चना व कथा श्रवण करती हैं। महिलाएं उपवास रहती हैं और फल खाकर पूरे दिन रहती हैं।
अगले दिन पूजा-अर्चना कर प्रसाद ग्रहण करने के बाद भोजन करती हैं। इस दिन सावित्री, सत्यवान और वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा है। पूजा के समय वट सावित्री व्रत कथा भी सुनी जाती है। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रखा जाता है। इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या भी इसी दिन है। इस दिन व्रत रखने से शनि देव की कृपा तथा सोमवती अमावस्या के दिन व्रत का फल भी प्राप्त होगा। यह व्रत करवा चौथ के व्रत की तरह की होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं। दो टोकरी में पूजा का समान तैयार किया जाता है और बरगद के पेड़ के नीचे बैठ महिलाएं कथा का श्रवण करती हैं। बरगद के पेड़ को जल अर्पित करती हैं और रोली या चंदन का टीका लगाती हैं। इस दिन विधिवत पूजा करने से महिलाओं अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। कच्चे सूत के साथ बरगद के पेड़ की परिक्रमा की जाती है और पति की दीर्धायु की कामना की जाती है। इस दिन पूजा की थाली का विशेष महत्व है। वट सावित्री व्रत 2025 पूजा मुहूर्त ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार, 26 मई को वट सावित्री व्रत के दिन अहले सुबह से ही सुकर्मा योग प्रारंभ हो जा रहा है, जो रात व दिन तक मान्य है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी सोमवार की अहले सुबह से लग जा रहा है, जो पूरे दिन व रात है। सर्वार्थ सिद्धि योग कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला योग है। अगले दिन व्रती महिलाएं पूजा-अर्चना कर पारण करेंगी। वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री सावित्री और सत्यवान की मूर्ति, बांस का पंखा, कच्चा सूत, लाल रंग का कलावा, बरगद का फल, धूप, मिट्टी का दीपक, फल, फूल, बतासा, रोली, सवा मीटर का कपड़ा, इत्र, पान, सुपारी, नारियल, सिंदूर, अक्षत, सुहाग का सामान, घर से बनी पूड़िया, भीगा हुआ चना, मिठाई, घर में बना हुआ व्यंजन, जल से भरा हुआ कलश, मूंगफली के दाने, मखाने का लावा, वट सावित्री व्रत का महत्व सावित्री के पति सत्यवान की जब अकाल मृत्यु हो जाती है, तब यमराज उनके प्राण लेकर जा रहे होते हैं। तब सावित्री भी यमराज के पीछे पीछे चल देती हैं। यमराज उनको समझाते हैं कि उनके पति अल्पायु थे, इसलिए उनका समय पूरा हो चुका है। उनको अब जाना होगा। तब सावित्री अपने पत्नी धर्म की बात करती हैं और कहती हैं कि जहां पति जाएंगे, वहां वह भी जाएंगी। यमराज सावित्री के पतिव्रता धर्म से प्रसन्न होकर तीन वर देते हैं, जिसमें सावित्री को 100 पुत्रों की माता होने का आशीर्वाद भी शामिल था। इस वरदान के कारण यमराज को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े, बिना सत्यवान के जीवित हुए यह वरदान सफल नहीं हो पाता। इस वजह से महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहती हैं। फोटो परिचय 25-भभुआ-05-शहर के चौक बाजार पथ में सावित्री वट ब्रत के लिए दुकान पर बाजार करती महिलाएं व अन्य
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