बोले पूर्णिया : किसान सलाहकारों का बढ़े मानदेय, अन्य सुविधाएं भी मिले
बिहार में किसान सलाहकारों की स्थिति बहुत कठिन है। 246 पंचायतों में तैनात ये सलाहकार 15 वर्षों से काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें केवल ₹11400 मानदेय दिया जा रहा है। सरकार ने सिर्फ एक बार ₹1000 की वृद्धि की...
- 246 पंचायत में तैनात किए गए हैं किसान सलाहकार -14 प्रखंडों में अलग-अलग है किसान सलाहकार के ऑफिस - 2010 ईस्वी में हुई थी किसान सलाहकार की बहाली बिहार में कृषि को व्यावसायिक दर्जा और औद्योगिक दर्जा देने के लिए सरकार ने तरह-तरह के कल्याण के कार्य किसानों के लिए किया। टोला सेवक और विकास मित्र की तरह कृषि और किसानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रत्येक पंचायत में किसान सलाहकार की बहाली की। जिले में 246 पंचायत में किसान सलाहकार बहाल हैं और किसानों को सरकार की नई-नई योजनाओं और तकनीक आदि से अवगत करा रहे हैं जिससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है।
इतना ही नहीं किसान सलाहकार फसल क्षति पर अनुदान दिलवाने का काम कर देते हैं और नए-नए फसलों के बारे में भी आईडिया भी देते हैं। किसान सलाहकार अब छोटे-छोटे किसानों के लिए क्षेत्र में रोल मॉडल बन रहे हैं क्योंकि इनसे अच्छी सलाह देने के लिए अब गांव घर में कोई लोग बचे नहीं हैं। वर्ष 2010 में बहाल किए गए किसान सलाहकार बीते 15 वर्षों से स्थाई करण और उचित मानदेय की आस में है। कृषि विभाग ने प्रगतिशील किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन के लिए इस पद पर तैनात किया था। आज किसान सलाहकार सरकारी तंत्र की अनदेखी और उपेक्षा के शिकार हो गए हैं। शुरुआत में इनकी जिम्मेदारी किसानों को खेती के नए तरीके सीखाने तक सीमित थी। लेकिन समय के साथ इसे हर प्रकार के सरकारी कार्य करवाए जाने लगे चाहे वह चुनाव ड्यूटी हो या फिर जनगणना अथवा पशु गणना। पौधों की गिनती या अन्य विभागीय काम भी हम लोगों से लिए जाते हैं। इसके बावजूद न तो उन्हें संविदा कर्मी का दर्जा मिला ना ही स्थाई नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ। 15 वर्षों से सिर्फ एक बार मानदेय बढ़ा है। किसान सलाहकार संघ के सदस्यों का कहना है कि बहाली के वक्त शर्तों में साफ कहा गया था कि इन्हें कृषि से जुड़े कार्यों तक ही सीमित रखा जाएगा लेकिन विभाग ने इन्हें काम का दायरा बढ़ाकर इन्हें एक पूर्ण कालिक कर्मचारियों की तरह उपयोग करना शुरू कर दिया। हालत यह है कि कई किसान सलाहकार प्रतिदिन औसतन 150 किलोमीटर दूरी तय करते हैं जिससे मानदेय का बड़ा हिस्सा आवाजाही में ही खर्च हो जाता है। वित्तीय हालत की बात करें तो 15 वर्षों में सिर्फ एक बार 2021 ईस्वी में इनके मानदेय को महज ₹1000 रुपए की बढ़ोतरी हुई। ऊपर से 2023 ईस्वी में पीएफ की कटौती शुरू हो गई। जिससे इनका वेतन घटकर 11400 रह गया है। इतनी कम राशि में आज के दौर में परिवार चलाना किसान सलाहकारों के लिए चुनौती बन चुका है। स्थाई करण की मांग को लेकर कई बार आंदोलन किया गया। विभागीय कमेटी ने इसके पक्ष में सिफारिश भी की लेकिन उच्च अधिकारियों ने इन्हें प्रगतिशील बताते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया। सलाहकारों का सवाल है कि जब ईपीएफ कटौती हो रही है तो संविदा कर्मी का दर्जा क्यों नहीं दे रहे? किसान सलाहकार ने कहा 2017 में किसान सलाहकारों का वेतन में 1000 रुपए की वृद्धि की गई थी उसके बाद से 2024 तक एक रूपया की वृद्धि नहीं हुई। किसान सलाहकारों ने कहा बढते मंहगाई में 13000 रूपया में भरण-पोषण करने में कठिनाई होती है। किसान सलाहकार का न्यूनतम वेतन मानदेय 30 हजार प्रतिमाह सुनिश्चित किया जाए, क्षेत्र भ्रमण इंटरनेट खर्च के रूप में 5000 रूपया का भुगतान किया जाए। बताया कि किसान सलाहकार को मात्र 13000 रुपए का भुगतान होता है जिसमें से पीएफ काट-छांट करने के बाद 11440 का भुगतान किया जाता है। जबकि समान काम का समान वेतन होना चाहिए। बिहार सरकार किसान सलाहकार से सभी प्रकार के कार्य करवाती हैं बावजूद इसके किसान सलाहकारों के साथ सौतेले व्यवहार किया जा रहा है। किसान सलाहकारों द्वारा किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करवाने, फसलों के नए-नए पर भेद की जानकारी कृषकों को देने, विभाग द्वारा दिए गए लक्ष्य के अनुरूप बीज का वितरण किसानों के बीच करना प्रमुख कार्य है। इसी तरह वितरित बीजों को किसानों के प्रक्षेत्र पर लगवाने किसानों के खेत की मिट्टी जांच करने, किसानों को कृषि यंत्र खरीदवाने ,किसानों को प्रशिक्षण दिलवाने, क्रेडिट कार्ड बनवाने त योजना का लाभ दिलवाने फसल सहायता योजना का भी लाभ किसान सलाहकार दिलवाते हैं। मालूम हो कि बिहार में कृषि विकास की रीढ़ माने जाने वाले किसान सलाहकार बीते 15 वर्षों से अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। खेत खलिहान से लेकर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन तक उनकी उपस्थिति हर मोर्चे पर रही है। वर्ष 2010 में जिला स्तर पर गठित समिति के माध्यम से इसकी विधिवत् नियुक्ति हुई थी। इसके बाद से वे लगातार कृषि विभाग के साथ-साथ अन्य विभागीय दायित्वों को निभा रहे हैं। इसके बावजूद आज भी किसान सलाहकारों को मात्र 11400 मानदेय दिया जा रहा है। जो केवल अपर्याप्त ही नहीं है बल्कि उनकी योग्यता के अनुरूप भी नहीं है। बोले पूर्णिया के मंच पर किसान सलाहकारों ने अपना दर्द बयां किया। किसान सलाहकार गांव-गांव जाकर किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन देने का काम कर रहे हैं। किसान सलाहकार की बदौलत कृषि विभाग को तीन बार कृषि कर्मन पुरस्कार मिला, फिर भी अपने विभाग में उपेक्षित और कम मानदेय पर कार्य करने को विवश बने हुए हैं। वर्ष 2023 के जून महीने में 52 दिवसीय अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन हड़ताल के समय तत्कालीन कृषि मंत्री द्वारा सभी किसान सलाहकारों को अपने आवास पर बुलाकर आश्वासन देकर हड़ताल से काम पर लौटने के लिए कहां गया। कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया था कि दो महीने के अंदर सभी किसान सलाहकारों को सम्मानजनक मानदेय करते हुए स्थाई करण की दिशा में प्रक्रिया शुरू की जएगी। अभी तक स्थाई करण तो दूर मानदेय में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। ---- -शिकायतें : 1. पंद्रह वर्षों बाद भी किसान सलाहकारों के मानदेय में मात्र ₹1000 की वृद्धि हुई है। 2. सेवा शर्तों के अनुसार सरकार स्थायी करण करने में आनाकानी कर रही है। संविदा कर्मी मानने से भी इंकार कर दिया है। 3. स्थायीकरण को लेकर गठित कमेटी की अनुशंसा को भी विभाग नहीं मान रही है। 4. ईपीएफ कटौती के बावजूद मानदेय मात्र 11400 रह जाता है। जिससे परिवार चलाना मुश्किल है। महीने के अंत में कर्ज लेने की नौवत आ जाती है। 5. काम का दायरा बढ़ाकर चुनाव जनगणना पशु गणना आदि गैर कृषि कार्य सौपे पर जा रहे हैं जबकि बहाली के समय यह नहीं कहा गया था। ---- -सुझाव : 1.मानदेय में बढ़ोतरी कर इस 30000 रुपया महीना करना चाहिए। 15 साल के अनुभव के आधार पर मेहनताना भी दिया जाए। 2. गठित कमेटी के अनुशंसा के अनुसार वेटेज देते हुए स्थाई करण की प्रक्रिया को जल्द शुरू की जाए। 3. जनसेवक बहाली के शर्तों में संशोधन कर उसे पद पर सलाहकारों को स्थाई नियुक्ति की जाए। 4. मानदेय में समय-समय पर उचित वृद्धि सेसु निश्चित की जाए। ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सके। परिवार का भरण पोषण ठीक से हो सके। 5. सेवा शर्तों के अनुसार सिर्फ इसे किसी कार्य में ड्यूटी लगाया जाए। सरकारी कर्मी के तरह काम ले तो सरकारी कर्मी का दर्जा भी दिया जाय। ----------------- बोले जिम्मेदार:- 1. किसान सलाहकारों को सरकारी कर्मी का दर्जा दिलाने के लिए हर तरह के प्रयास किए जाएंगे। एक लंबे दशक से किसान सलाहकार काम कर रहे हैं। उन्हें सम्मानजनक वेतन भी नहीं मिल रहा। अधिकार के लिए इसकी लड़ाई लड़ी जाएगी। संजीव कुमार, जिला अध्यक्ष, किसान सलाहकार संघ 2. किसान सलाहकारों की समस्या सामने आई है। इनकी मानदेय की वृद्धि के लिए सरकार को अवगत कराया जाएगा। किसान सलाहकारों ने क्षेत्र में ईमानदारी से काम किया है और किसानों के स्थानीय मार्गदर्शक बने हुए हैं। इन्हें कुंठित नहीं होने दिया जाएगा। वाहीदा सरवर, अध्यक्ष, जिला परिषद पूर्णिया ------- -हमारी भी सुनें : 1. किसान सलाहकारों की आवाज बार-बार दबा दी जाती है हम सिर्फ प्रगतिशील किसान बन कर रह गए हैं जबकि सरकारी कर्मचारी जैसा कार्य करते हैं। मनोज कुमार सिंह 2. हमसे सरकारी कर्मचारी की तरह पूरा काम लिया जा रहा है लेकिन अधिकार शून्य है। परिवार का पालन पोषण इस मानदेय से मुमकिन नहीं है। अरविंद कुमार केसरी 3. सरकार से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद आज तक नहीं संविदा का दर्जा मिला नहीं स्थायित्व हम हर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पवन कुमार मंडल 4. पंचायत के घर-घर जाकर किसानों के लिए काम करते हैं लेकिन मानदेय इतना कम है कि महीने के अंत तक पैसे नहीं बचते। मो इकबाल अंसारी 5. इतने वर्षों से अस्थाई रहने से मानसिक तनाव भी बढ़ गया है। हमारी मेहनत का सरकार को सम्मान करना चाहिए। हमें काम के अनुसार मानदेय नहीं मिलता है। -शिव शंकर भारती 6. जब काम का बोझ सरकारी कर्मचारी जैसा है तो वेतन और दर्जा भी वैसा मिलना चाहिए स्थाई करण की मांग पूरी हो। हमारी मजबूरी भी सरकार समझे और हमारी सुविधा बढ़ाएं। जूली कुमारी पारसमणि 7.सरकार हमारी सेवाओं का पूरा लाभ उठा रही है लेकिन जब वेतन और स्थायित्व की बात आती है तो बहाने बना दिए जाते हैं। आशुतोष कुमार गुप्ता 8. सरकार ने हमें बहाल करते समय जो वादे किए थे वह आज भी अधूरे हैं। काम का दायरा बढ़ा लेकिन मानदेय जस का तस ही है। राम किशुन दास 9. कम मानदेय से परिवार की ज़रूरतें भी पूरी नहीं हो रही है। चुनाव एवं जनगणना कार्य भी कराया जाता है पर संविदा कर्मी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। हम लोग कुंठित हो रहे हैं। सुचिनद्र गुप्ता 10. पिछले 15 वर्षों से मेहनत करने के बाद भी हम अस्थाई ही रह गए हैं। ना तो मानदेय पर्याप्त है न पद की सुरक्षा। सरकार भेदभाव को खत्म करें और हमारी मौलिक जरूरत भी समझे। अरविंद कुमार यादव 11. किसान सलाहकार द्वारा हर तरह का कार्य किया जा रहा है लेकिन अधिकार और सुविधा की बात पर प्रगतिशील किसान बनाकर टाल रहे हैं। सुजीत कुमार 12. सरकार ने हम सबों से हर तरह का काम लिया लेकिन संविदा कर्मी का दर्जा नहीं दिया, ना ही स्थाई नियुक्ति। वेतन भी इतना काम है कि काम नहीं चलता है। सत्य प्रकाश चौधरी 13. वर्षों से हम लोग सिर्फ वादे सुन रहे हैं काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। लेकिन न वेतन बढ़ा और ना पद का सम्मान मिला। विजय कुमार गुप्ता 14.हमारा मानदेय इतना कम है कि पेट पालना भी मुश्किल हो गया है। विभाग की अनदेखी से हम सब बेहद निराश हैं। भुवन भास्कर 15. हम सबों से सरकारी कर्मचारी की तरह पूरा काम लिया जा रहा है लेकिन अधिकार कुछ भी नहीं। इतना कम मानदेय पर परिवार का पालन पोषण करना बहुत कठिनाई से भरा हुआ है। -संजय कुमार सिंह 16. सरकार की योजनाओं से लेकर किसान के कल्याणकारी एवं विकास योजनाओं को सरजमीन पर उतरना हमारा काम है। हम लोगों को किसानों से बहुत सम्मान मिलता है, फिर भी वेतन नहीं बढ़ा। संजीव कुमार सिंह -----------------
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