क्या मेटा के स्मार्ट चश्मे हमारे स्मार्टफोन को खत्म कर देंगे?
नोट : मिंट का लोगो लगाएं लेस्ली डीमोंटे मेटा के स्मार्ट चश्मे जल्द ही

नोट : मिंट का लोगो लगाएं लेस्ली डीमोंटे मेटा के स्मार्ट चश्मे जल्द ही भारत में लांच होने वाले हैं। इनमें लाइव ट्रांसलेशन, इंस्टाग्राम मैसेजिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी खूबियां होंगी। ये चश्मे बिना फोन उठाए आपके बहुत से काम कर सकेंगे। लेकिन क्या ये स्मार्ट चश्मे भविष्य में स्मार्टफोन की जगह लेंगे? और सबसे महत्वपूर्ण हमारी निजता और सुरक्षा का क्या होगा? स्मार्ट चश्मे क्यों खास हैं ये चश्मे तुरंत अनुवाद, गेमिंग, रास्ता दिखाने, वर्चुअल असिस्टेंट के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। माइक्रासॉफ्ट होलोलेंस सर्जरी के दौरान डॉक्टरों को मरीज का डेटा चश्मे पर दिखाकर मदद करता है। इसमें वुजिक्स ब्लेड तकनीशियनों को काम करने के दौरान लाइव निर्देश देता है।
गूगल ने एंड्रॉयड एक्सआर स्मार्ट चश्में दिखाए हैं जिसमें जेमिनी एआई, विजुअल मेमोरी और कई भाषाएं हैं। इन चश्मों से संग्रहालय में घूमते समय लाइव जानकारी भी मिल सकती है। ये कैसे काम करते हैं ये चश्मे ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) पर आधारित हैं जिसमें बहुत छोटा हार्डवेयर और एआई लगा है। इसमें✅ कैमरा, माइक्रोफोन, स्पीकर और सेंसर लगा हैं। ये चश्मे ब्लूटूथ या वाई-फाई से फोन से कनेक्ट होते हैं जिससे कॉल, मैसेज, या इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। कई मॉडल ऑफलाइन मोड और पावर वाले लेंस का भी सपोर्ट करते हैं। एडवांस मॉडल्स में बिना फोन स्क्रीन देखे सीधे आपसे बातचीत भी कर सकते हैं। स्मार्ट चश्मों का बाजार कितना बड़ा है? आईएमएआरसी ग्रुप के अनुसार, रे-बैन स्मार्ट चश्मों का बाजार बहुत बड़ा है। 2024 में यह लगभग 18.6 बिलियन डॉलर का था और अनुमान है कि 2033 तक यह बढ़कर 53.6 बिलियन डॉलर हो जाएगा। मेटा, एप्पल, गूगल, सोनी, एमेजॉन और लेंसकार्ट जैसी बड़ी कंपनियां इस बाजार में अपने उत्पाद बेच रही हैं। क्या जगह ले सकेगा? मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग का मानना है कि भविष्य में स्मार्ट चश्मे स्मार्टफोन की जगह ले सकते हैं। हालांकि स्मार्टवॉच भी फोन की जगह नहीं ले पाई है। वहीं, स्मार्ट चश्मों के सामने बैटरी का लंबे समय तक चलना, लोगों की निजी जानकारी की सुरक्षा और इन्हें आसानी से स्वीकार जैसी मुश्किलें बनी हुई हैं। इसलिए इन्हें स्मार्टफोन की जगह लेने में काफी समय लग सकता है। माना जा रहा है कि 10 से 20 साल या उससे भी ज्यादा का समय लग सकता है। सुरक्षा और प्राइवेसी से जुड़ी चिंताएं क्या हैं? स्मार्ट चश्मों के इस्तेमाल से सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर कई चिंताएं हैं। लोगों की जानकारी के बिना चुपचाप वीडियो या ऑडियो रिकॉर्ड हो सकती है। उनकी निजी जानकारी लीक हो सकती है और निजी बातें गलती से रिकॉर्ड हो सकती हैं। चेहरे की पहचान वाली तकनीक का भी गलत इस्तेमाल हो सकता है। अमेरिका, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश अब इस बारे में नियम बना रहे हैं। कुछ जगहों पर स्मार्ट चश्मों पर रोक लगा दी है और कुछ जगहों पर रिकॉर्डिंग करते समय यह दिखाना जरूरी है कि रिकॉर्डिंग हो रही है।
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