बोले कटिहार : सभी प्रखंडों में दिया जाए ड्रोन, युवा किसानों को मिले प्रशिक्षण
कटिहार में खेती अब परंपरागत तरीकों से बदलकर आधुनिक तकनीक की ओर बढ़ रही है। किसानों ने ड्रोन का उपयोग शुरू कर दिया है, जिससे कीटनाशक छिड़काव तेज और सटीक हुआ है। इससे लागत में कमी और फसल की गुणवत्ता में...
कटिहार की धरती पर खेती सिर्फ आजीविका नहीं, बल्कि परंपरा और आत्मा से जुड़ी भावना है। लेकिन समय बदल रहा है, अब वही खेती नए युग की ओर करवट ले रही है। मजदूरों की कमी, बढ़ती लागत और मौसम की अनिश्चितता ने किसानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे वक्त में तकनीक ने उम्मीद की एक नई किरण दिखाई है। खेतों में अब ड्रोन उड़ते हैं, जो न सिर्फ मेहनत को आसान बनाते हैं, बल्कि कम समय में ज्यादा और बेहतर उपज की राह खोलते हैं। परिश्रम और प्रगति के इस संगम से कटिहार की खेती अब नई उड़ान भरने को तैयार है। संवाद के दौरान किसानों ने अपनी बात रखी।
94 हजार हेक्टेयर में जिले के किसान इस वर्ष धान की खेती कर रहे
18 सौ एकड़ में वर्ष 2024-25 में अब तक ड्रोन कीटनाशक छिड़काव
80 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती की जा रही है, बढ़ा ड्रोन का उपयोग
10 एकड़ तक आवेदन किया जा सकता है ड्रोन से छिड़काव के लिए
कटिहार जिले की पारंपरिक खेती अब आधुनिक तकनीक के साथ नई दिशा में आगे बढ़ रही है। यहां के किसान अब लागत घटाने और समय बचाने के लिए तेजी से ड्रोन तकनीक की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिले में करीब 94 हजार हेक्टेयर में धान और 80 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। इसके अलावा केले, मखाना और आलू जैसी नकदी फसलें भी यहां बड़े पैमाने पर होती हैं। ऐसे में आधुनिक कृषि यंत्रों की मांग तेजी से बढ़ी है। बीते वर्षों में कृषि मजदूरों की भारी कमी और मजदूरी दरों में बेतहाशा वृद्धि ने किसानों को विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया। इसी बीच ड्रोन तकनीक एक असरदार समाधान बनकर उभरी है। खेतों में पेस्टिसाइड, कीटनाशक और उर्वरक छिड़काव के लिए अब किसान पारंपरिक मैन्युअल तरीके की जगह ड्रोन का उपयोग करने लगे हैं। इससे छिड़काव कार्य सटीक, संतुलित और बेहद कम समय में संभव हो पा रहा है।
2 साल में 3000 एकड़ में हुआ है छिड़काव :
वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिले में लगभग 1200 एकड़ फसल में ड्रोन से छिड़काव किया गया था, जो 2024-25 में बढ़कर 1800 एकड़ तक पहुंच गया है। खासतौर पर आजमनगर, कदवा, डंडखोरा, मनसाही, कोढ़ा और कुरसेला जैसे प्रखंडों में किसानों ने ड्रोन से छिड़काव करवाकर इसके प्रभाव को महसूस किया है। मक्का जैसी ऊंची फसलों में जहां यूरिया व कीटनाशक छिड़काव कठिन होता था, वहां ड्रोन ने यह कार्य बेहद आसान बना दिया है।
कृषि विभाग पंजीकृत किसानों को ड्रोन सेवा करा रहा उपलब्ध :
कृषि विभाग की ओर से पंजीकृत किसानों को ड्रोन सेवा उपलब्ध कराने की प्रक्रिया जारी है। एक किसान अधिकतम 10 एकड़ तक के लिए आवेदन कर सकता है। निजी कंपनियां भी किराए पर ड्रोन उपलब्ध करवा रही हैं, जिससे किसानों को खुद ड्रोन खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती। हाल में आयोजित कृषि मंच पर कटिहार के किसानों ने मांग की कि हर प्रखंड में कम से कम एक ड्रोन अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए, जिससे सीमांत किसान भी इसका लाभ उठा सकें। खेती में तकनीकी बदलाव के इस युग में ड्रोन ने कटिहार के किसानों को नई राह दिखाई है-कम लागत, कम मेहनत और ज्यादा मुनाफे की ओर।
शिकायत
1. सभी प्रखंडों में ड्रोन की उपलब्धता नहीं है, जिससे दूर-दराज के किसान इससे वंचित हैं।
2. ड्रोन संचालन के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटरों की भारी कमी है, जिससे समय पर सेवा नहीं मिल पाती।
3. ड्रोन किराया अब भी कई किसानों के लिए महंगा है, विशेष रूप से सीमांत किसानों के लिए।
4. आवेदन प्रक्रिया जटिल और तकनीकी है, जिससे अशिक्षित किसान इसका लाभ नहीं उठा पाते।
5. मौसम खराब होने पर छिड़काव की योजना बाधित हो जाती है, और कोई वैकल्पिक योजना नहीं बनाई जाती।
सुझाव
1. प्रत्येक प्रखंड में कम-से-कम एक ड्रोन उपलब्ध कराया जाए, ताकि सभी किसान इसका लाभ उठा सकें।
2. ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण अधिक से अधिक युवाओं को दिया जाए, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार भी सृजित हो।
3. ड्रोन के किराए को सब्सिडी के तहत लाया जाए, जिससे छोटे और सीमांत किसान भी इसका उपयोग कर सकें।
4. ड्रोन से छिड़काव की प्रक्रिया को ऑनलाइन पंजीकरण और ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
5. ड्रोन से छिड़काव के लिए उपयुक्त दवाइयों की उपलब्धता स्थानीय कृषि केंद्रों पर सुनिश्चित की जाए।
इनकी भी सुनें
मजदूरों की किल्लत के दौर में ड्रोन एक उम्मीद की किरण बनकर आया है। सरकार को हर प्रखंड में ड्रोन की सुविधा देनी चाहिए ताकि छोटे किसान भी इसका लाभ उठा सकें।
–कृष्णा कुमार
पिछले साल हाथ से कीटनाशक छिड़कने में काफी समय लगा और मेहनताना भी ज़्यादा देना पड़ा। इस बार मैंने ड्रोन से छिड़काव करवाया। फसल भी बेहतर रही और खर्च भी कम हुआ।
–मानती देवी
मुझे शुरू में ड्रोन पर भरोसा नहीं था, लेकिन जब पड़ोसी किसान ने मक्का पर छिड़काव करवाया और उसकी फसल खूब लहलहाई, तब जाकर मैंने भी इसे अपनाया।
–खुशबू देवी
खेती अब शारीरिक मेहनत का काम नहीं रहा, यह अब सोच और तकनीक का खेल है। ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव ने साबित कर दिया है कि स्मार्ट खेती ही टिकाऊ खेती है।
–राकेश कुमार
हमारे गांव में पहले मजदूरों की मांग अधिक थी, लेकिन अब मजदूर नहीं मिलते। ड्रोन से छिड़काव ने इस मुश्किल को आसान कर दिया है। किसान अब आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
–शशि सिंह
खेती में अब बदलाव जरूरी है। पहले पंप से छिड़काव करते थे तो घंटों लग जाते थे। अब ड्रोन से पंद्रह-बीस मिनट में पूरा खेत छिड़क जाता है। इससे समय की भी बचत होती है और फसल भी समान रूप से सुरक्षित रहती है।
–सतनारायण मंडल
ड्रोन से छिड़काव की खास बात यह है कि महिला किसान भी इससे जुड़ सकती हैं। मैं चाहती हूं कि महिलाओं को भी इसकी ट्रेनिंग दी जाए ताकि हम खुद अपनी खेती संभाल सकें।
–मोनी देवी
खेती में लागत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। एक मजदूर को अब 500 रुपये देने पड़ते हैं, फिर भी काम में मन नहीं लगता। ड्रोन से छिड़काव का विकल्प आना हमारे लिए राहत है।
–आशा देवी
मेरे पास खेत कम है लेकिन हर साल कीटनाशक छिड़काव में ही काफी खर्च हो जाता था। इस बार ड्रोन सेवा ली तो समझ आया कि छोटे किसान भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।
–भूरण सहानी
जैसे-जैसे मौसम बदल रहा है, वैसे-वैसे फसलों पर कीटों का असर भी बढ़ रहा है। ड्रोन से छिड़काव बहुत सटीक और तेज होता है। एक बार में पूरे खेत पर बराबर दवा पड़ती है। यह पारंपरिक तरीकों से कहीं ज़्यादा कारगर है।
–महेश सिंह
ड्रोन से खेती आसान तो होती ही है, युवा पीढ़ी भी इससे जुड़ने में रुचि दिखा रही है। अगर हमारे बच्चों को ड्रोन चलाना सिखाया जाए तो वे गांव छोड़कर बाहर मजदूरी करने की बजाय यहीं कुछ कर सकेंगे।
–जानकी देवी
खेती के लिए अब आधुनिक सोच जरूरी है। ड्रोन सिर्फ छिड़काव का जरिया नहीं बल्कि कम लागत में बेहतर उत्पादन का उपाय है। हम जैसे सीमांत किसान के लिए यह वरदान है।
–वरुण सहनी
पहले मजदूरों का इंतजार करना पड़ता था, छिड़काव में कई दिन लगते थे। अब ड्रोन से काम तेजी से होता है और खेत भी अच्छी तरह दवा से ढक जाते हैं।
–लोगन सिंह
अगर खेती को लाभ का धंधा बनाना है तो आधुनिक यंत्रों का सहारा लेना ही होगा। ड्रोन से छिड़काव इस दिशा में एक अच्छा कदम है। मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा।
–पूनम देवी
खेती में मजदूरी का संकट हमेशा रहता है। इस बार मैंने ड्रोन से छिड़काव कराया तो काम फटाफट और कम खर्च में हो गया। सरकार को सब्सिडी देकर इसे बढ़ावा देना चाहिए।
–संजय सिंह
ड्रोन का उपयोग सिर्फ फसल बचाने के लिए नहीं, समय और ऊर्जा की भी बचत करता है। मैं चाहती हूं कि हर गांव में एक सरकारी ड्रोन ऑपरेटर हो, जो जरूरतमंद किसानों की मदद कर सके।
–जूली देवी
हम महिलाएं भी अब खेती में पीछे नहीं हैं। ड्रोन जैसी तकनीक हमें आत्मनिर्भर बना सकती है। मुझे अगर मौका मिले तो मैं खुद ड्रोन ऑपरेटर बनना चाहूंगी।
–सीता देवी
ड्रोन से छिड़काव करने से जहां फसल सुरक्षित होती है, वहीं खेत में कदम भी नहीं रखना पड़ता। यह फसल को रौंदने से बचाता है। इससे न सिर्फ लागत घटती है, बल्कि खेत का उत्पादन भी प्रभावित नहीं होता।
–नीतीश कुमार
बोले जिम्मेदार
ड्रोन तकनीक खेती की दिशा में बड़ा परिवर्तन ला रही है। मजदूरों की कमी और बढ़ती लागत को देखते हुए यह समय की मांग बन चुकी है। कटिहार जिले में वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 1200 एकड़ तथा 2024-25 में 1800 एकड़ फसल पर ड्रोन से छिड़काव किया गया। किसानों को कम लागत और बेहतर परिणाम मिल रहा है। हमारा लक्ष्य है कि हर प्रखंड में ड्रोन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। साथ ही किसानों को प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जाए। इसके लिए विभाग की ओर से अनुदानित योजना और आवेदन की सुविधा भी उपलब्ध है।
–मिथिलेश कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, कटिहार
बोले कटिहार फॉलोअप
सीएसपी संचालकों की दूर नहीं हुई परेशानी
कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। 24 मई को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद भी कटिहार जिले के सीएसपी संचालकों की समस्याओं में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ है। ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं के अहम कड़ी माने जाने वाले ये संचालक अब भी आर्थिक अनिश्चितता, सुरक्षा की कमी और तकनीकी अड़चनों से जूझ रहे हैं। कुरसेला, कोढ़ा, फलका, समेली समेत कई प्रखंडों के संचालकों का कहना है कि उनके वेतन भुगतान में लगातार देरी हो रही है। कई बार भुगतान अधूरा या कटौती के साथ आता है, जिससे परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है। वहीं, बैंक और प्रशासन की ओर से सुरक्षा की कोई व्यवस्था न होने के कारण नकदी लेकर घूमना खतरे से खाली नहीं है। तकनीकी समस्याएं भी बरकरार हैं। बीसी पोर्टल पर सही जानकारी न मिलने से मजदूरी के हिसाब-किताब में अनिश्चितता बनी रहती है। साथ ही, कुछ संचालकों को बैंक की ओर से गैर-प्रशिक्षित कार्य जैसे ऋण वसूली भी थमाए गए हैं, जिससे वे ग्रामीणों के बीच विवादों में फंसते हैं। सीएसपी संचालकों ने बार-बार स्पष्ट मांग की है कि उन्हें नियमित मासिक वेतन दिया जाए, सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और बीमा का इंतजाम हो, और तकनीकी प्रणाली को पारदर्शी बनाया जाए। इसके अलावा, गैर-जरूरी जिम्मेदारियां हटाकर उन्हें मुख्य बैंकिंग कार्यों पर केंद्रित किया जाए। अभी भी बैंक और प्रशासन की उदासीनता से ये संचालक आर्थिक व सामाजिक रूप से असुरक्षित बने हुए हैं, जो ग्रामीण बैंकिंग के पूरे तंत्र के लिए खतरा है। इनके बिना गांवों में बैंकिंग सेवा का संचालन असंभव है। अब उम्मीद की जाती है कि प्रशासन एवं बैंक अधिकारी जल्द ही इन समस्याओं का समाधान करें, ताकि ये ‘ग्रामीण बैंकिंग के सच्चे योद्धा’ सम्मान और सुरक्षा के साथ अपना कार्य निर्बाध जारी रख सकें।
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