Photographers in Kutihar Struggle Amidst Economic Challenges and Changing Technology बोले कटिहार : शहर के स्टूडियो में अब नहीं लगती भीड़, सरकारी मदद की दरकार, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार : शहर के स्टूडियो में अब नहीं लगती भीड़, सरकारी मदद की दरकार

कटिहार के फोटोग्राफरों को महंगे उपकरणों और घटती बुकिंग के कारण गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग से उनकी आय में कमी आई है। फोटोग्राफर एसोसिएशन ने सरकार से...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 7 May 2025 10:32 PM
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बोले कटिहार : शहर के स्टूडियो में अब नहीं लगती भीड़, सरकारी मदद की दरकार

दूसरों के चेहरे पर मुस्कान उकेरने वाले फोटोग्राफर अक्सर अपने दर्द को कैमरे के पीछे छुपा लेते हैं। हर फ्लैश के साथ वे खुशियों को संजोते हैं, लेकिन उनकी अपनी जिंदगी कई अनदेखे संघर्षों से घिरी रहती है। महंगे कैमरे, अनिश्चित बुकिंग, घटती आमदनी और देर रात तक की मशक्कत, ये सब उनके जीवन का अनकहे हिस्से हैं। जहां वे हर फ्रेम में किसी की खुशी कैद करते हैं, वहीं उनकी खुद की तस्वीरें अक्सर अधूरी रह जाती हैं। हर हाथ में मोबाइल होने के बाद फोटोग्राफरों का काम कम हो गया है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान जिले के फोटोग्राफरों ने अपनी परेशानी बताई।

05 सौ से अधिक फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर काम कर रहे हैं जिले में 10 लाख रुपए तक का कर्ज मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से मिलने की उम्मीद 05 लाख का अनुदान फोटोग्राफरों को मिलने से हो सकती है बड़ी राहत कटिहार के फोटो स्टूडियो अब उतने रौशन नहीं रहे, जितने एक दशक पहले थे। तब छोटे-छोटे गांवों से लोग फोटो खिंचवाने के लिए शहर के स्टूडियो में कतारें लगाते थे। पासपोर्ट साइज फोटो से लेकर शादी के एलबम तक, फोटोग्राफरों की जिंदगी कैमरे के फ्लैश की तरह चमकती थी। लेकिन अब समय बदल गया है। हर हाथ में स्मार्टफोन और हर जेब में कैमरा होने से फोटोग्राफरों का काम घटता जा रहा है। कटिहार फोटोग्राफर एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय कुमार बताते हैं कि हमने अपने जीवन के कई साल इस पेशे को दिए हैं। कैमरे में कैद होती खुशियों की तस्वीरें ही हमारी कमाई का जरिया थीं, लेकिन अब वही तस्वीरें हमारी परेशानियों की कहानी बन गई हैं। उन्होंने बताया कि कमाई का संकट, महंगे उपकरण महंगे कैमरे और उपकरण खरीदने के बावजूद बुकिंग में भारी गिरावट है। पहले जहां जन्मदिन, शादी और सरकारी दस्तावेजों के लिए फोटो की मांग रहती थी, अब बस आयोजनों तक ही सीमित रह गया है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कृष्ण मुरारी गुप्ता कहते हैं कि सरकार को हमें आर्थिक मदद देनी चाहिए। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत मिलने वाले 10 लाख रुपये का कर्ज और 5 लाख रुपये का अनुदान हमें दोबारा मजबूती से खड़ा कर सकता है। ड्रोन नियमों में बदलाव की जरूरत : शादी-ब्याह और बड़े आयोजनों में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन इसके सख्त नियम फोटोग्राफरों के लिए चुनौती बने हुए हैं। गणेश गुप्ता कहते हैं कि अगर सरकार ड्रोन नियमों में लचीलापन लाए और प्रतिबंधित क्षेत्रों की स्पष्ट जानकारी दे, तो फोटोग्राफर ज्यादा काम कर सकते हैं। देर रात काम से लौटते फोटोग्राफरों के लिए पुलिस जांच भी एक बड़ी समस्या है। गणेश बताते हैं कि परिचय पत्र दिखाने के बाद भी पुलिस परेशान करती है। यह हमारे लिए एक बड़ा मुद्दा है। वहीं शादियों में हर्ष फायरिंग बड़ी समस्या है। कब-कहां नुकसान हो जाए, कहना मुश्किल है। इसपर पुलिस को सख्ती से रोक लगानी चाहिए। पेंशन और मुआवजे की उम्मीद : एसोसिएशन के सचिव मो. अतीक खान का कहना है कि हमारे पास आय का स्थायी साधन नहीं है। पेंशन, दुर्घटना बीमा और नि:शुल्क ट्रेड लाइसेंस जैसी सुविधाएं मिलें तो हम अपने परिवार का भविष्य बेहतर बना सकते हैं। कटिहार के इन फोटोग्राफरों की आंखों में अपने भविष्य की चिंता है, लेकिन वे उम्मीद की एक किरण अभी भी देख रहे हैं - बस, सरकार से थोड़ी सी मदद और समझ की जरूरत है। शिकायत 1. मोबाइल कैमरों और डिजिटल तकनीक के कारण फोटोग्राफरों की पारंपरिक आय के साधन सीमित हो गए हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। 2. देर रात काम से लौटते समय पुलिस परिचय पत्र दिखाने के बावजूद फोटोग्राफरों को बेवजह परेशान करती है। 3. प्रतिबंधित क्षेत्रों की स्पष्ट जानकारी न होने के कारण फोटोग्राफरों को ड्रोन उपयोग में परेशानी होती है। 4. सरकार से कर्ज की सुविधा न मिलने के कारण फोटोग्राफर महंगे उपकरण नहीं खरीद पाते हैं। 5. शादी समारोह और बड़े आयोजनों में हर्ष फायरिंग से कई बार फोटोग्राफरों की जान खतरे में पड़ जाती है, जिस पर रोक लगनी चाहिए। सुझाव 1. फोटोग्राफरों को व्यवसाय बढ़ाने के लिए सरकार से बिना ब्याज के कर्ज और अनुदान की सुविधा मिलनी चाहिए, जिससे वे महंगे कैमरे और उपकरण खरीद सकें। 2. शादी, ब्याह और बड़े आयोजनों में ड्रोन की बढ़ती मांग को देखते हुए ड्रोन उपयोग के नियमों में लचीलापन लाना जरूरी है। 3. फोटोग्राफरों के लिए पेंशन योजना और दुर्घटना बीमा जैसी सुविधाएं दी जानी चाहिए, ताकि वे आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस कर सकें। 4. फोटोग्राफरों को सरकार की ओर से पहचान पत्र और ट्रेड लाइसेंस मुफ्त में जारी किए जाएं, ताकि वे बिना किसी बाधा के काम कर सकें। 5. फोटोग्राफरों को समय-समय पर नए तकनीकी उपकरणों और फोटोग्राफी के बदलते ट्रेंड्स पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इनकी भी सुनें हमारी मांग है कि मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का लाभ फोटोग्राफरों को भी मिले, ताकि हम अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें। -विजय, अध्यक्ष, फोटोग्राफर संघ फोटोग्राफरों के लिए ड्रोन के उपयोग पर सख्त नियमों में बदलाव जरूरी है, ताकि हम अधिक काम कर सकें। -अतीक खान, जिला सचिव सरकार को फोटोग्राफरों को ब्याजमुक्त कर्ज और आर्थिक मदद देनी चाहिए, ताकि हम अपने व्यवसाय को बचा सकें और बेहतर उपकरण खरीद सकें। -कृष्ण मुरारी गुप्ता हम फोटोग्राफर सिर्फ तस्वीरें नहीं खींचते, बल्कि लोगों की खुशियाँ संजोते हैं। हमें सम्मानजनक पारिश्रमिक और पहचान मिलनी चाहिए। -विनोद कुमार देर रात काम से लौटने पर पुलिस की बेवजह पूछताछ से परेशानी होती है। सरकार को फोटोग्राफरों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। -अवधेश कुमार फोटोग्राफरों के लिए पेंशन योजना और नि:शुल्क ट्रेड लाइसेंस की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि हम आर्थिक रूप से सुरक्षित रह सकें। -कमलेश कुमार ड्रोन के उपयोग पर सख्त नियमों के कारण हम कई बार बड़े आयोजनों के काम से वंचित रह जाते हैं। इसमें लचीलापन जरूरी है। -प्रेम कुमार महंगे कैमरे और घटती बुकिंग की वजह से हमारी आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। सरकार को मदद करनी चाहिए। -प्रियरंजन कुमार फोटोग्राफरों को पहचान पत्र और विशेष पहचान मिलनी चाहिए, ताकि हम गर्व से अपने पेशे को आगे बढ़ा सकें। -गौरीशंकर चौधरी सरकार को शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में फोटोग्राफरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। हमें भी सम्मान मिलना चाहिए। -सुभाष प्रसाद जायसवाल फोटोग्राफरों को बेहतर अवसर और सुविधाएं मिलनी चाहिए, ताकि हम भी डिजिटल युग में अपने पैर जमा सकें। -रंजीत कुमार विश्वास हमारे लिए भी स्थायी आय और पेंशन योजना होनी चाहिए, ताकि हमारे परिवार का भविष्य सुरक्षित रहे। -राजू कुमार देर रात तक काम करने वाले फोटोग्राफरों की सुरक्षा के लिए पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिए। -देवनाथ गोस्वामी फोटोग्राफरों के लिए आर्थिक सहायता, पेंशन और मुफ्त लाइसेंस जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए। -जयदीप कुमार सरकार को फोटोग्राफरों की आर्थिक सुरक्षा और पहचान पर ध्यान देना चाहिए। हमें भी सम्मान मिलना चाहिए। -संजीव कुमार पोद्दार फोटोग्राफरों के लिए आर्थिक मदद, पेंशन और नि:शुल्क ट्रेड लाइसेंस की जरूरत है। -प्रमोद कुमार भगत हमें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए, ताकि हम अपने व्यवसाय को बचा सकें। -विश्वजीत कुमार सरकार को फोटोग्राफरों को बिना ब्याज के कर्ज देने की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि हम बेहतर उपकरण खरीद सकें। -अनिल पटेल बोले जिम्मेदार फोटोग्राफर हमारे समाज के सांस्कृतिक दस्तावेजीकरण के मौन नायक हैं। वे न केवल खुशियों को फ्रेम में कैद करते हैं, बल्कि हमारी परंपराओं और जीवन के अनमोल पलों को भी संजोते हैं। उनकी चुनौतियों को समझते हुए, हम उन्हें आर्थिक सहायता, पेंशन, और आधुनिक उपकरणों के लिए कर्ज जैसी सुविधाएं दिलाने का प्रयास करेंगे। ड्रोन नियमों में लचीलापन, पहचान पत्र और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी मांगों पर भी विचार किया जाएगा, ताकि वे अपने पेशे को गर्व और सुरक्षा के साथ जारी रख सकें। उनकी समस्याओं का समाधान हमारी प्राथमिकता है। -रीना गुप्ता, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी, कटिहार बोले कटिहार फॉलोअप किसान सलाहकारों को स्थायीकरण का इंतजार कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले के 287 किसान सलाहकार, जो कभी कृषि विभाग की रीढ़ माने जाते थे, आज अस्थायी रोजगार, कम वेतन और सरकारी अनदेखी का शिकार हो गए हैं। 2010 में प्रगतिशील किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और आधुनिक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए बहाल किया गया था, लेकिन 15 वर्षों बाद भी इन्हें स्थायीकरण का दर्जा नहीं मिल सका। सिर्फ कृषि से जुड़े काम तक सीमित रहने का वादा अब एक धोखा बनकर रह गया है। इनसे न सिर्फ फसल उत्पादन और रोग नियंत्रण जैसे काम कराए जाते हैं, बल्कि जनगणना, पशुगणना, चुनाव ड्यूटी और अन्य सरकारी जिम्मेदारियों का भी बोझ डाल दिया गया है। एक सलाहकार ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हमसे हर काम लिया जाता है, लेकिन हमारा दर्जा अब भी अस्थायी है। न सम्मानजनक मानदेय है, न भविष्य की सुरक्षा। वेतन की बात करें तो 15 सालों में सिर्फ एक बार मामूली बढ़ोतरी हुई, 2021 में 1,000 रुपये। ऊपर से 2023 में ईपीएफ कटौती शुरू होने से इनका टेक-होम वेतन और घटकर मात्र 11,400 रुपये रह गया है। ऐसे में महंगाई और पारिवारिक जरूरतें पूरी करना एक बड़ी चुनौती बन गई है। संघ के अध्यक्ष का कहना है कि सरकार ने इनके स्थायीकरण के लिए कई सिफारिशें ठुकराई हैं। सवाल उठता है कि जब ईपीएफ कटौती हो रही है, तो संविदा का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा? किसान सलाहकार आज भी न्याय और सम्मान की उम्मीद में संघर्षरत हैं।

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