Struggling Local Tailors in Katihar Face Online Competition and Changing Consumer Habits बोले कटिहार : स्थानीय व्यापारियों के लिए भी बने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार : स्थानीय व्यापारियों के लिए भी बने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म

कटिहार जिले के कुरसेला के रेडीमेड कपड़ा व्यापारी ऑनलाइन बाजार और सस्ते कपड़ों की बढ़ती मांग के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। ग्राहक अब गुणवत्ता से ज्यादा कीमत पर ध्यान दे रहे हैं, जिससे...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 10 May 2025 10:17 PM
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बोले कटिहार : स्थानीय व्यापारियों के लिए भी बने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म

कटिहार जिले के कुरसेला और आसपास के प्रखंडों के रेडीमेड कपड़ा व्यापारी तेजी से बदलते ऑनलाइन बाजार और ग्राहकों की बदलती आदतों से जूझ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले सस्ते और नए डिजाइन ग्राहकों को लुभा रहे हैं, जिससे स्थानीय दुकानदारों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ग्राहक अब क्वालिटी से ज्यादा कम कीमत पर ध्यान दे रहे हैं, जिससे छोटे व्यापारियों की समस्या और बढ़ गई है। वे चाहते हैं कि सरकार उनके लिए एक विशेष नीति बनाए, जिससे वे डिजिटल युग में भी अपनी पहचान बनाए रख सकें। व्यापारियों ने हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान अपनी समस्या बताई।

25 से 50 रुपए में बेहतरीन कपड़ों की रील से ग्राहक हो रहे हैं भ्रमित

50 हजार रुपए औसत दुकानदारों का पूंजी उधार में फंसी, बिगड़ा कैश फ्लो

08 दर्जन से अधिक सस्ते और ट्रेंडिंग डिजाइन से घट रही बिक्री

कटिहार जिले के कुरसेला और आसपास के प्रखंडों के रेडीमेड कपड़ों के दुकानदार आज मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। वे दिन-ब-दिन ऑनलाइन शॉपिंग और तेजी से बदलते फैशन ट्रेंड्स की चुनौती से जूझ रहे हैं। जहां एक ओर सोशल मीडिया पर ग्राहकों को नए डिजाइन और सस्ते दाम का लालच दिखाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर दुकानदार अपनी दुकानें बचाने की कोशिश कर रहे हैं। दुकानदार बताते हैं कि जैसे ही दिल्ली, मुंबई या सूरत जैसे बड़े बाजारों में कोई नया डिजाइन आता है, वह सोशल मीडिया पर तुरंत ट्रेंड करने लगता है। ग्राहक इसकी मांग करने लगते हैं, जबकि वह डिजाइन छोटे बाजारों में पहुंचने में समय लेता है। इससे स्थानीय दुकानदारों का व्यापार प्रभावित हो जाता है।

सोशल मीडिया का भ्रम और सस्ते कपड़ों का खेल :

दुकानदार विक्की जायसवाल कहते हैं कि दुकान पर ग्राहक कपड़े पसंद तो करता है, लेकिन जब कीमत बताई जाती है तो उधार की मांग करता है। दूसरी ओर, वही ग्राहक ऑनलाइन तुरन्त पेमेंट कर देता है, क्योंकि वहां कोई उधारी की सुविधा नहीं है। इससे हमारी पूंजी फंस जाती है और कैश फ्लो बिगड़ जाता है। सोशल मीडिया पर कई लोग 25, 50 या 100 रुपये में शानदार कपड़ों की बात करके ग्राहकों को भ्रमित कर रहे हैं। ये लोग अक्सर सरप्लस या पुराना स्टॉक लाकर उसे नया बताकर बेचते हैं, जिससे ग्राहकों को लगता है कि बाजार में भी इतने सस्ते कपड़े मिलने चाहिए। दुकानदार बताते हैं कि असल में इतने सस्ते दाम पर रेडीमेड कपड़ा बन ही नहीं सकता, लेकिन इस भ्रम ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

ग्राहकों को सस्ती चीजें कर रहीं आकर्षित :

ग्राहकों की मानसिकता में बड़ा बदलाव आया है। अब वे सस्ती चीज की तरफ ज्यादा आकर्षित हैं, भले ही उसकी गुणवत्ता कम हो। इस प्रवृत्ति ने छोटे दुकानदारों के व्यापार को गहरी चोट पहुंचाई है, क्योंकि वे अच्छे गुणवत्ता वाले कपड़े बेचते हैं, जिनकी लागत अधिक होती है। दुकानदार आलोक कुमार कहते हैं कि हमारे पास ग्राहकों के लिए बेहतर क्वालिटी है, लेकिन जब ग्राहक सेल के सस्ते दाम देखकर आता है, तो उसे हमारी कीमतें महंगी लगती हैं। यह एक बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए हमें सरकार से मदद की जरूरत है।

स्थानीय दुकानदारों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मिले :

दुकानदार चाहते हैं कि सरकार और जिला प्रशासन उनके लिए एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाए, जहां वे भी अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों तक पहुंचा सकें। इसके अलावा, प्रखंड स्तर पर मासिक या त्योहारों पर प्रदर्शनी का आयोजन हो, ताकि छोटे दुकानदारों को भी बाजार मिल सके और उनकी आय बढ़ सके। यदि सरकार डिजिटल ट्रेनिंग और वित्तीय सहयोग दे, तो ये छोटे दुकानदार फिर से प्रतिस्पर्धा में आ सकते हैं और अपने परिवार का जीवन स्तर सुधार सकते हैं। यह कदम न केवल व्यापारियों के लिए, बल्कि पूरे स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है।

शिकायतें:

1. सोशल मीडिया पर 25-50 रुपये में कपड़ों की रील से ग्राहक भ्रमित हो रहे हैं, जिससे उनकी दुकान पर असली कीमत समझाना मुश्किल हो जाता है।

2. ग्राहक दुकान पर उधार की मांग करते हैं, जबकि ऑनलाइन तुरंत पेमेंट कर देते हैं, जिससे पूंजी फंस जाती है।

3. बड़े शहरों में नए डिजाइन तुरंत ट्रेंड में आ जाते हैं, जबकि छोटे बाजारों तक पहुंचने में समय लगता है।

4. ग्राहक सस्ते कपड़े चाहते हैं, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की बिक्री कम हो रही है।

5. उधारी और धीमी बिक्री के कारण दुकानदारों का कैश फ्लो बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

सुझाव:

1. डिजिटल ट्रेनिंग मिले, छोटे दुकानदारों को डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन बिक्री में प्रशिक्षित किया जाए।

2. प्रखंड स्तर पर मासिक या त्योहारों पर प्रदर्शनी का आयोजन हो, ताकि छोटे दुकानदारों को भी बाजार मिल सके।

3. सरकार छोटे व्यापारियों के लिए एक विशेष ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाए, जिससे वे भी डिजिटल युग में प्रतिस्पर्धा कर सकें।

4. छोटे दुकानदारों के लिए विशेष क्रेडिट पॉलिसी बनाई जाए, ताकि उनकी पूंजी फंसे नहीं।

5. छोटे दुकानदारों को ब्रांड निर्माण और कस्टमर लॉयल्टी के लिए मार्गदर्शन दिया जाए, ताकि वे बड़े ब्रांड्स का सामना कर सकें।

इनकी भी सुनें

रेडीमेड कपड़ा व्यापारियों की सबसे बड़ी समस्या है ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से बढ़ती प्रतिस्पर्धा। ग्राहक दुकान पर आकर कपड़े पसंद करते हैं, लेकिन कीमत पूछने पर ऑनलाइन सस्ते विकल्प का हवाला देकर लौट जाते हैं।

-अरविंद जायसवाल

ऑनलाइन बाजार ने ग्राहकों की आदतें बदल दी हैं। वे अब क्वालिटी से ज्यादा सस्ते दाम पर ध्यान देते हैं, जिससे स्थानीय दुकानदारों को नुकसान हो रहा है। सोशल मीडिया पर सस्ते कपड़ों के भ्रम से भी व्यापार प्रभावित हो रहा है।

-कौशिक कुमार

हमारे बाजार में ग्राहकों की संख्या कम हो रही है, क्योंकि ऑनलाइन शॉपिंग में उन्हें बिना मोलभाव के सस्ता माल मिल जाता है। हमें सरकार से मदद की जरूरत है ताकि हम फिर से प्रतिस्पर्धा में आ सकें।

-सोनू कुमार

दुकानदारों की सबसे बड़ी समस्या है उधारी। ग्राहक दुकान पर उधार में कपड़े मांगते हैं, जबकि ऑनलाइन में तुरंत पेमेंट कर देते हैं। इससे हमारी पूंजी फंस जाती है। हमें विशेष क्रेडिट पॉलिसी की जरूरत है।

-उमेश चौधरी

रेडीमेड कपड़े बेचने में अब पहले जैसा मुनाफा नहीं है। ग्राहक सस्ते कपड़ों की रील्स देखकर दुकान पर आते हैं, लेकिन जब असली कीमत सुनते हैं तो लौट जाते हैं।

-सुनील यादव

हमारे व्यापार की सबसे बड़ी चुनौती है सोशल मीडिया का भ्रम। 25-50 रुपये में बेहतरीन कपड़े मिलने का दावा करने वाले ग्राहकों को भ्रमित कर रहे हैं। इससे हमारी बिक्री पर असर पड़ता है।

-सन्नी जायसवाल

बाजार में ग्राहक अब क्वालिटी से ज्यादा कीमत पर ध्यान देते हैं। वे सस्ते कपड़े चाहते हैं, भले ही उनकी गुणवत्ता कम हो। इससे हमारे जैसे छोटे दुकानदारों को नुकसान हो रहा है।

-सुबोध जायसवाल

ग्राहक अब सस्ते कपड़ों की तलाश में हैं और ऑनलाइन शॉपिंग में उन्हें यह आसानी से मिल जाता है। इससे हमारे जैसे छोटे दुकानदारों का व्यापार प्रभावित हो रहा है।

-धर्मवीर गुप्ता

सोशल मीडिया पर सस्ते कपड़ों की रील्स ने ग्राहकों को भ्रमित कर दिया है। वे सोचते हैं कि हर जगह इतने सस्ते कपड़े मिलने चाहिए, जबकि हकीकत में यह संभव नहीं है।

-केदार प्रसाद गुप्ता

दुकान पर ग्राहक उधार मांगते हैं, जबकि ऑनलाइन में तुरंत पेमेंट कर देते हैं। इससे हमारी पूंजी फंस जाती है और कैश फ्लो बिगड़ जाता है। हमें सरकार से मदद की जरूरत है।

-ललन कुमार जायसवाल

रेडीमेड व्यापारियों के लिए समय बदल गया है। सोशल मीडिया पर फैली गलतफहमी और उधारी की समस्या ने हमारे व्यापार को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।

-राजीव चौधरी

सोशल मीडिया के कारण ग्राहक अब बहुत जल्दी ट्रेंड बदलते हैं। दिल्ली या मुंबई का नया डिजाइन छोटे बाजारों तक पहुंचने में समय लेता है, जिससे हम बिक्री में पिछड़ जाते हैं।

-सन्नी कुमार

दुकानदारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है ग्राहकों की बदलती आदतें। वे अब सस्ते कपड़ों की तलाश में हैं, जिससे हमारा अच्छा क्वालिटी वाला स्टॉक डेड हो जाता है।

-चंदन कुमार

ग्राहकों की बदलती आदतें और ऑनलाइन बाजार की प्रतिस्पर्धा ने हमारे जैसे छोटे दुकानदारों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हमें सरकार से विशेष समर्थन की जरूरत है ताकि हम इस दौर में भी व्यापार कर सकें।

-उपेन्द्र ठाकुर

ऑनलाइन बाजार से प्रतिस्पर्धा के कारण हमारा व्यापार प्रभावित हो रहा है। ग्राहक अब सस्ते कपड़ों की तरफ ज्यादा आकर्षित हैं, जिससे हमारे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की बिक्री कम हो गई है।

-विजय कुमार

दुकान पर ग्राहक उधार मांगते हैं, जबकि ऑनलाइन में तुरंत पेमेंट कर देते हैं। इससे हमारी पूंजी फंस जाती है और हम नया स्टॉक नहीं ला पाते। हमें विशेष क्रेडिट पॉलिसी की जरूरत है।

-मिथलेश कुमार

ग्राहक अब सस्ते कपड़े चाहते हैं, भले ही उनकी गुणवत्ता कम हो। इससे हमारे जैसे छोटे दुकानदारों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। हमें सरकार से विशेष नीति की जरूरत है।

-रतन जायसवाल

सोशल मीडिया का भ्रम और ऑनलाइन बाजार की प्रतिस्पर्धा ने हमारे जैसे छोटे दुकानदारों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हमें सरकार से डिजिटल ट्रेनिंग और समर्थन की जरूरत है ताकि हम भी प्रतिस्पर्धा कर सकें।

-गुलहसन

बोले जिम्मेदार

हमारे स्थानीय व्यवसायी डिजिटल युग में भी प्रतिस्पर्धा कर सकें, इसके लिए हम प्रखंड स्तर पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रदर्शनी आयोजन पर विचार कर रहे हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन व्यापार से होने वाली चुनौतियों को समझते हुए उनके लिए विशेष नीतियां बनाई जाएंगी। हम चाहते हैं कि छोटे व्यापारी भी आत्मनिर्भर बनें और उनके व्यापार को बढ़ावा मिले, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

-आलोक चन्द्र चौधरी, एसडीओ, कटिहार

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बाबा गोरखनाथ धाम का हो विकास, बढ़ेगा रोजगार

कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले का आजमनगर प्रखंड वर्षों से बुनियादी सुविधाओं की कमी, रोजगार की कमी और आधारभूत ढांचे की बदहाली से जूझता रहा है। लेकिन बाबा गोरखनाथ धाम के विकास के बहाने अब यह क्षेत्र बदलाव की उम्मीद देख रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा स्वीकृत 14.25 करोड़ रुपये की योजना से मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण, सड़क, बिजली, जल और आवासीय सुविधाओं का विकास किया जाएगा। यह योजना न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और व्यापार के नए अवसर भी पैदा करेगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इस परियोजना को समय पर और पारदर्शी तरीके से पूरा किया गया तो इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, पलायन रुकेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। क्षेत्र के युवा चाहते हैं कि इस परियोजना के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जाए। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि यह परियोजना क्षेत्र के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को पंचायत स्तर पर सड़क, पानी और बिजली जैसी समस्याओं का स्थायी समाधान निकालना होगा। लोगों को उम्मीद है कि यह परियोजना न केवल धार्मिक पर्यटन बल्कि ग्रामीण विकास का भी नया अध्याय साबित होगी।

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