सुपौल : जिलेभर में जगह जगह वट वृक्ष में बांधे रक्षा सूत्र
सुपौल में सोमवार को वट सावित्री पूजा के लिए महिलाओं की भीड़ मंदिरों में उमड़ी। सुहागिन महिलाओं ने एक-दूसरे की मांग में सिंदूर लगाया और व्रतियों ने बरगद के पेड़ की परिक्रमा कर रक्षा सूत्र बांधा। पूजा...

सुपौल, हिंदुस्तान संवाददाता वट सावित्री की पूजा के लिए सोमवार को मंदिरों में सुबह से महिलाओं की भीड़ उमड़ने लगी। सुहागिन एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर सुहाग की सलामती की कामना की। व्रतियों ने बरगद के पेड़ में सात बार परिक्रमा कर रक्षा सूत्र बांधा। इसके लिए सुबह से ही मंदिर में व्रती के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। पहले पूजा कर जलाभिषेक किया। इसके बाद मंदिर परिसर के वट वृक्ष की पूजा की। जिस मंदिर में वट वृक्ष नहीं था, वहां व्रतियों ने बरगद की डाल रखकर पूजा की। आचार्य पंडित।धर्मेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि देवी सती सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही पूजा कर अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से वापस ले आया था।
व्रत के पीछे मान्यता है कि वट का मतलब होता है बरगद का पेड़। इस विशाल बरगद के पेड़ में कई जटाएं निकली होती हैं। इसी की परिक्रमा कर वट सावित्री व्रत किया जाता है। पुराणों में बरगद के पेड़ में ब्रह्मा विष्णु एवं महेश का वास माना गया है। मान्यता के अनुसार ब्रह्मा वृक्ष की जड़ में विष्णु इसके तने में और शिव इसके ऊपरी भाग में निवास करते हैं।
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