Bihar scientist discovered new drug for pneumonia Dr Aditya in Germany research team बिहार के वैज्ञानिक ने निमोनिया की नई दवा की खोज की, जर्मनी की रिसर्च टीम में काम करते हैं डॉ आदित्य, Bihar Hindi News - Hindustan
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बिहार के वैज्ञानिक ने निमोनिया की नई दवा की खोज की, जर्मनी की रिसर्च टीम में काम करते हैं डॉ आदित्य

  • डॉ. आदित्य शेखर मूल रूप से मुजफ्फरपुर के चक्कर चौक के रहने वाले हैं। इनके पिता डॉ. ज्ञानेंदु शेखर सदर अस्पताल में एमओ हैं। उनकी मां आरती द्विवेदी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। आदित्य पिछले आठ वर्षों से जर्मनी के एक बड़े इंफेक्शन रिसर्च संस्थान, हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर इंफेक्शन रिसर्च में काम कर रहे हैं।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाताMon, 7 April 2025 12:40 PM
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बिहार के वैज्ञानिक ने निमोनिया की नई दवा की खोज की, जर्मनी की रिसर्च टीम में काम करते हैं डॉ आदित्य

जर्मनी की एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च टीम ने स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया से होने वाले जानलेवा फेफड़ों के निमोनिया के खिलाफ एक नई दवा की खोज की है। यह दवा बैक्टीरिया को नहीं मारती, बल्कि बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित एक प्रमुख हानिकारक टॉक्सिन को बेअसर कर देती है। इस टॉक्सिन के माध्यम से बैक्टीरिया फेफड़ों की विभिन्न कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इसलिए, टॉक्सिन को बेअसर करने से बैक्टीरिया अपनी रोगजनक क्षमता खो देते हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर के युवा वैज्ञानिक डॉक्टर आदित्य शेखर रिसर्च टीम में शामिल हैं।

यह रिसर्च सेल प्रेस द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित की गई है। इस रिसर्च के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आदित्य शेखर मूल रूप से मुजफ्फरपुर के चक्कर चौक के रहने वाले हैं। इनके पिता डॉ. ज्ञानेंदु शेखर सदर अस्पताल में एमओ हैं और मां डॉ आरती द्विवेदी जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ(गायनोकोलिस्ट) हैं। डॉ आदित्य पिछले आठ वर्षों से जर्मनी के एक बड़े इंफेक्शन रिसर्च संस्थान, हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर इंफेक्शन रिसर्च में काम कर रहे हैं। उनकी टीम को उनकी खोज के लिए पेटेंट भी प्रदान किया गया है।

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नई दवा बैक्टीरिया के हानिकारक प्रभावों को रोकती है

बैक्टीरियल निमोनिया का इलाज अस्पतालों में एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा किया जाता है। इसके बावजूद अक्सर इलाज असफल हो जाता है। मरीज संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। इस असफलता का मुख्य कारण ‘एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस’ है। जिसके तहत बैक्टीरिया खुद का स्वरूप बदल लेते हैं और इस वजह से एंटीबायोटिक दवाइयां असर नहीं कर पाती। डॉ. शेखर और उनके सहयोगियों द्वारा खोजी गई दवाएं बैक्टीरिया के हानिकारक प्रभावों को रोकती है। उनके प्रति ‘रेसिस्टेंस’ विकसित नहीं करने देती।

चूहों पर किया प्रयोग, अब ट्रायल की तैयारी

डॉ. आदित्य की टीम ने नई दवा का चूहों पर इसकी प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया। देखा कि नई खोजी गई दवाओं ने संक्रमित चूहों को मरने से बचा लिया तथा उन्हें सक्रिय जीवन में वापस लौटाया। यह रिसर्च टीम अब क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी में लगी हुई है