डिजिटल युग में गुम होता जा रहा है लेटर बॉक्स
डिजिटल युग में गुम होता जा रहा है लेटर बॉक्सडिजिटल युग में गुम होता जा रहा है लेटर बॉक्सडिजिटल युग में गुम होता जा रहा है लेटर बॉक्सडिजिटल युग में गुम होता जा रहा है लेटर बॉक्सडिजिटल युग में गुम होता...

डिजिटल युग में गुम होता जा रहा है लेटर बॉक्स अब लोग अपने प्रियजनों को नहीं भेजते हैं चिट्ठी पत्री डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ही होता है हाय हैल्लो फोटो : नूरसराय लेटर बॉक्स : नूरसराय के मुजफ्फरपुर गांव में दीवाल पर टंगा लेटर बॉक्स। नूरसराय, निज प्रतिनिधि पुतुल सिंह। कोई चिट्ठी न संदेश..., फिर भी दीवाल पर टूटी हुई अवस्था में टंगा मुजफ्फरपुर गांव में लेटर बॉक्स लोगों को सिर्फ मुंह चिढ़ाने का काम कर रहा है। डिजिटल युग में लोग चिट्ठी लिखना भूल गए हैं। एक समय था, जब समय से लेटर बॉक्स खुलता था। लेटर बॉक्स से निकले पोस्टकार्ड, लिफाफा, अन्तर्देशी व अन्य चिट्ठियां निकलती थीं। लोग अपने प्रियजनों को चिट्ठी पत्री भेजने के लिये लेटर बॉक्स में उसे डालते थे। पर आधुनिक युग में लेटर बॉक्स की अहमीयता खत्म होती जा रही है। डिजिटल युग में मोबाइल से फोन, वीडीओ कॉल, व्हाट्सअप चैट, मैसेंजर, ईमेल सहित अन्य ने अपनी जगह लोगों में बना ली है। अब लोग उसी पर हाय हैल्लो करते हैं। नूरसराय के मुजफ्फरपुर में लेटर बॉक्स की स्थिति यह है कि मोबाइल, ईमेल और व्हाट्सएप के दौर में रस्सी व तार के सहारे लटका दिए गए हैं। शहर के कई स्थानों पर रखे गए लेटर बॉक्स का आधा हिस्सा तक गायब है। हकीकत यह है कि कल तक चमचमाने वाले लाल रंग के डिब्बे अब कहीं-कहीं ही नजर आते हैं। इनकी स्थिति देखने से पता चलता है कि लेटर बाक्स चिट्ठियों के इंतजार में खाली पड़े हैं। गांव के युवा संजीव कुमार, पुरुषोत्तम कुमार, नवीन कुमार, मनोज साव, विकास कुमार व अन्य ने बताया कि लेटर बॉक्स शोभा की वस्तु बन चुकी है। इसका इस्तेमाल अब डिजिटल युग में कुछ भी नहीं है। पोस्ट ऑफिस की तरफ से लेटर बॉक्स पर जो राशि खर्च की जा रही है, वह बर्बाद हो रही है। अब मोबाइल होने से बातचीत ही नहीं, बल्कि पैसे तक आसानी से सेकेंडों में भेजा जा रहा है।
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