दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे चिकित्सक, सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप
दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे चिकित्सक, सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे चिकित्सक, सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप

दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे चिकित्सक, सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप बिना इलाज कराये मरीजों को लौटना पड़ा वापस, उठानी पड़ी फजीहत सदर में आयुष चिकित्सकों के भरोसे ओपीडी सेवा बहाल रखने की कवायद फोटो 28मनोज02 - शेखपुरा सदर अस्पताल की ओपीडी में शुक्रवार को पसरा सन्नाटा । शेखपुरा, हिन्दुस्तान टीम बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ के आह्वान पर बायोमैट्रिक अटेंडेंस के विरोध में दूसरे दिन भी एमबीबीएस डाक्टर हड़ताल पर रहे। ओपीडी सेवा पूरी तरह बंद रहने के कारण सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई। ओपीडी सेवा बाधित रहने के कारण मरीजों को बैरंग लौट जाना पड़ा। हालांकि, इमरजेंसी सेवा बहाल रखने से गंभीर मरीजों को राहत जरूर मिली। एसीएमओ डा अशोक कुमार सिंह के प्रयास से शुक्रवार को आयुष चिकित्सकों के भरोसे सदर अस्पताल और सदर पीएचसी में ओपीडी सेवा बहाल की गयी। उन्होंने बताया कि कटारी एडिशन पीएचसी से दो आयुष डॉक्टरों को लाकर ओपीडी में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डाक्टरों को भी बायोमैट्रिक हाजिरी बनाने का आदेश दिया गया है। उत्तर बिहार के सरकारी अस्पतालों में यह व्यवस्था लागू हो गई है। कई जिलों में बायोमैट्रिक हाजिरी नहीं बनाने पर कई डाक्टरों पर कार्रवाई भी की गई है। बायोमैट्रिक व्यवस्था को समाप्त करने और डाक्टरों पर की गयी कार्रवाई को वापस लेने की मांग को लेकर एमबीबीएस डाक्टर हड़ताल कर रहे हैं। हड़ताल के कारण सदर अस्पताल में दूर-दराज से पहुंचे मरीजों को वापस लौटना पड़ा। डा आशीष रंजन, डा रविरंजन व अन्य ने बताया कि जिले में 44 डाक्टर हड़ताल में शामिल हैं। यहां ओपीडी में औसत 480 मरीज रोज पहुंचते हैं। ओपीडी बंद रहने से रोगियों को काफी फजीहत उठानी पड़ रही है। 29 मार्च तक डाक्टर हड़ताल पर रहेंगे। नालंदा : सदर, राजगीर, हिलसा व हरनौत को छोड़ अन्य अस्पतालों में ठप रही ओपीडी सेवा दूसरे दिन भी डॉक्टरों ने बायोमैट्रिक अटेंडेंस का किया विरोध फोटो : बिंद अस्पताल : बिन्द अस्पताल में शुक्रवार को बंद पड़ा दवा व पंजीयन काउंटर। बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान संवाददाता। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण सदर अस्पताल, राजगीर, हिलसा, हरनौत समेत आठ अस्पतालों को छोड़कर अन्य में शुक्रवार को दूसरे दिन भी ओपीडी सेवा पूरी तरह से ठप रही। जबकि, इमरजेंसी वार्ड में गंभीर रोगियों का इलाज किया गया। राजगीर, हिलसा और हरनौत अस्पताल में हड़ताल का कोई असर नहीं दिखा। जबकि, बिंद, पावापुरी, सरमेरा व अन्य अस्पतालों के ओपीडी में दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। डॉक्टरों के नहीं आने से निबंधन व दवा काउंटर पर भी सन्नाटा दिखा। हड़ताल के कारण ओपीडी सेवा बंद रहने से अधिकतर अस्पतालों में इलाज कराने आए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। दूर-दराज से आए मरीज घंटों इंतजार करते रहे। लेकिन, डॉक्टरों के काम पर नहीं लौटने से उन्हें बिना इलाज कराए ही वापस लौटना पड़ा। लाचारी में मरीजों ने निजी क्लीनिकों में इलाज कराया। डॉ. राजीव रंजन समेत अन्य डॉक्टरों ने बायोमैट्रिक प्रणाली को अव्यवहारिक बताया और इसे वापस लेने की मांग की। कहना कि बायोमैट्रिक हाजिरी प्रणाली लागू होने से उनकी स्वतंत्रता बाधित हो रही है। उनका तर्क है कि स्वास्थ्य सेवाओं में पहले से ही स्टाफ की कमी है और इस प्रणाली के कारण कार्य का अतिरिक्त दबाव बढ़ रहा है। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि प्रशासन बिना उनकी सहमति के बायोमैट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर रहा है, इससे वे नाराज हैं। सीएस डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में बायोमैट्रिक अटेंडेंस जरूरी है। ताकि, चिकित्सक रोस्टर के अनुसार तय समय पर ड्यूटी करें। बिन्द अस्पताल में दवा व पंजीयन काउंटर बंद : चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने से ओपीडी सेवा पूरी तरह से बाधित रही। अस्पताल का पंजीयन व दवा काउंटर बंद रहने से मरीजों का निबंधन नहीं हुआ। दर्जनों मरीज इलाज के लिए अस्पताल परिसर में भटकते रहे। हालांकि, आपातकालीन सेवा पहले की तरह जारी रही। अस्पताल आये मरीज बाल्मीकि प्रसाद, रोहन कुमार, दिनेश प्रसाद, सुरेन्द्र कुमार, अभिषेक कुमार, नीलम देवी, कुसुम देवी व अन्य ने कहा कि बच्चों का इलाज कराने आये थे। यहां आने पर पता चला कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं।
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