Moulana Abul Kalam Azad High School From Glory to Struggle with Insufficient Classrooms विद्यालय के कई छात्र बने आईएएस व आईपीएस पर वर्तमान में पर्याप्त वर्ग कक्ष भी नहीं , Biharsharif Hindi News - Hindustan
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विद्यालय के कई छात्र बने आईएएस व आईपीएस पर वर्तमान में पर्याप्त वर्ग कक्ष भी नहीं

विद्यालय के कई छात्र बने आईएएस व आईपीएस पर वर्तमान में पर्याप्त वर्ग कक्ष भी नहीं विद्यालय के कई छात्र बने आईएएस व आईपीएस पर वर्तमान में पर्याप्त वर्ग कक्ष भी नहीं विद्यालय के कई छात्र बने आईएएस व...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफThu, 10 April 2025 10:26 PM
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विद्यालय के कई छात्र बने आईएएस व आईपीएस पर वर्तमान में पर्याप्त वर्ग कक्ष भी नहीं

गौरव से गर्दिश तक 14 : मौलाना अबुल कलाम आजाद हाई स्कूल अंडवस : विद्यालय के कई छात्र बने आईएएस व आईपीएस पर वर्तमान में पर्याप्त वर्ग कक्ष भी नहीं अंडवस गांव के बुद्धिजीवियों ने 1962 में 4 खपरैल कमरों के निर्माण कर खोले थे विद्यालय कई विद्यार्थी शिक्षकों की देखरेख में हॉस्टल में रहकर करते थे पढ़ाई, पानी की व्यवस्था के लिए था कुआं आठवीं से 10वीं कक्षाओं तक शुरू की गयी थी पढ़ाई, 40 विद्यार्थियों को पढ़ाने को थे 11 शिक्षक फोटो : अंडवस स्कूल : राजगीर प्रखंड के अंडवस मौलाना अबुल कलाम आजाद प्लस टू हाईस्कूल का भवन। राजगीर, निज प्रतिनिधि/मंजीत प्रभाकर। एक जमाने में विद्यालय प्रशासन की कड़ी अनुशासनिक व्यवस्था व गुरुजनों के मार्गदर्शन में सीमित संसाधनों में विद्यार्थी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल करते थे। पेयजल की व्यवस्था के लिए आज की तरह बोरिंग व चापाकल नहीं हुआ करता था। बल्कि, कुआं ही एकमात्र साधन था। इस विद्यालय में राजगीर क्षेत्र के निम्थू, बौरीडीह, अंबाकुआं, लोदीपुर, बरनौसा, कपसिया समेत करीब 40 गांवों के विद्यार्थी पैदल चलकर विद्यालय पहुंचते थे। सीमित संसाधन के बावजूद इस विद्यालय के कई विद्यार्थी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल कर आईएएस, आईपीएस व कई विभागों में बड़े-बड़े पदों पर सफलता हासिल कर विद्यालय का नाम रौशन किया। लेकिन, वर्तमान में स्थित यह कि विद्यार्थियों को बैठकर पढ़ाई करने के लिए पर्याप्त वर्ग कक्ष भी नहीं है। महज 10 कमरों में हाईस्कूल व प्लस-टू विद्यालय किसी तरह संचालित कराया जा रहा है। वर्ग कक्ष की कमी की वजह से स्कूल प्रशासन को विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चुनौती बना हुआ है। विद्यालय का अस्तित्व : अंडवस गांव के बुद्धिजीवियों ने इस इलाके के विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई के लिए वर्ष 1962 में विद्यालय स्थापित करने की योजना बनायी। ताकि, इस इलाके के विद्यार्थियों को हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूर के स्कूलों में नहीं जाना पड़े। कई बुद्धिजीवियों के बीच विद्यालय के सफल संचालन के लिए कमेटी गठित की गयी। कमेटी के सचिव अब्दुल मतीन बनाए गये थे। विद्यालय के सफल संचालन के लिए अंडवस गांव के बुद्धिजीवी व समाजसेवी डॉ. गौहर अली, अब्दुल मतीन, शर्दूद तौहीन, मुन्नु खां, डॉ. मकसूद हक, कमरु मलिक व अन्य ने भूमि दान की। आपसी सहयोग से मिट्टी (कच्चा गारा) व ईंट के चार बड़े-बड़े खपरैल कमरों का निर्माण कराया गया। विद्यालय के प्रथम प्राचार्य विनोद कुमार सिंह बनाए गये। 40 विद्यार्थी व 11 शिक्षक से इस विद्यालय में आठवीं से दसवीं कक्षाओं तक की पढ़ाई की शुरुआत की गयी थी। दूर-दराज के विद्यार्थी को शिक्षा ग्रहण करने में बाधा नहीं हो इसके लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। छात्रावास में दूर-दराज के विद्यार्थी शिक्षकों के मार्गदर्शन में शिक्षा ग्रहण करते थे। सरकार ने इस विद्यालय की स्थायी स्वीकृति वर्ष 1966 में प्रदान की। 1970 से 1984 तक छात्रावास का सफल संचालन किया गया। मेस के सफल संचालन व विद्यार्थियों को पीने के पानी का साधन कुआं हुआ करता था। बताया जाता है कि विद्यालय खोलने के लिए स्थानीय बुद्धिजीवियों ने करीब आठ एकड़ भूमि उपलब्ध करायी थी। लेकिन, विद्यालय का भवन एक एकड़ 67 डिसमिल भूमि तक ही सीमित है। वर्तमान हालात : विद्यालय में हाईस्कूल व प्लस टू विद्यालय में 995 विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए 22 शिक्षक हैं। लेकिन, महज 10 कमरों में हाईस्कूल व प्लस-टू विद्यालय का सफल संचालन करने में विद्यालय प्रशासन को चुनौती बना हुआ है। महज दस कमरों में प्रयोगशाला, पुस्तकालय, आईसीटी लैब, स्मार्ट क्लास व कार्यालय भी व्यवस्थित है। इंटर में कला संकाय में 113 तो विज्ञान संकाय में 116 विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। लेकिन, भौतिकी व रसायन शास्त्र के एक भी शिक्षक नहीं हैं। पीएमश्री विद्यालय में शामिल किया गया है। इस विद्यालय में अब छठी से बारहवीं कक्षाओं तक की पढ़ाई करायी जाएगी। पीएमश्री में शामिल होने से विद्यालय की तकदीर व तस्वीर बदलने की उम्मीद जगी है। कई कामयाब विद्यार्थी : ग्रामीणों ने बताया कि इस विद्यालय के होनहार विद्यार्थी मकसूद आलम गोपालगंज के डीएम बने थे। इसी विद्यालय के छात्र फैजल रजा वर्तमान में पश्चिम बंगाल में आईपीएस हैं। इसी विद्यालय में पढ़ाई कर वीरेन्द्र कुमार एडीएम पद को सुशोभित किया। डॉ. सैयद जाविर रजा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास के विभागाध्यक्ष बनाए गये। वर्तमान में ऑल इंडिया हिस्ट्री कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। बोले प्राचार्य : विद्यालय के पुराने गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में 80 फीसदी विद्यार्थी मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में सफलता हासिल कर रहे हैं। अतिरिक्त वर्ग कक्ष का निर्माण व विषयवार शिक्षकों का पदस्थापन करा दिया जाए तो विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सहूलियत होगी। डॉ. रेखा सिन्हा, प्राचार्य, मौलाना अबूल कलाम आजाद विद्यालय, अंडवस

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