चुनावी मोड में बीजेपी; बिहार के प्रवासी वोटर्स को साधने का मेगा प्लान, दिल्ली से होगा आगाज
बिहार चुनाव के मद्देनजर बीजपी एक्टिव मोड में आ गई है। प्रवासी श्रमिकों को साधने के लिए मेगा प्लान बनाय है। जिसके तहत देश के 75 स्थानों पर स्नेह मिलन कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है।

बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बिहार भाजपा प्रवासी श्रमिकों को साधने में जुट गई है। पार्टी ने देश के 75 स्थानों पर स्नेह मिलन कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ दिलीप जायसवाल ने कहा कि इन सम्मेलनों में भाजपा के केंद्रीय व प्रदेश स्तरीय नेता शामिल होंगे। पार्टी नेताओं के अनुसार इस सम्मेलन के लिए राजस्व भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी और मिथिलेश तिवारी को संयोजक बनाया गया है।
प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल खुद दिल्ली के बुरारी में आयोजित होने वाले सम्मेलन में शनिवार को शामिल होंगे। 22 और 23 मार्च को इस कार्यक्रम का आयोजन अन्य शहरों में होगा। आधा दर्जन शहरों में अगले महीने कार्यक्रम आयोजित होंगे। पार्टी दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगाल, झारखंड, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, तामिलनाडु, असम, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के 75 शहरों में इस कार्यक्रम का आयोजन करेगी।
जानकारी के मुताबिक ढाई करोड़ से ज्यादा बिहार के लोग दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। इन्हीं बिहारी प्रवासियों पर तमाम राजनीतिक दलों की नजर है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता संजीव चौरसिया ने कहा कि बिहार का सम्मान नीतीश कुमार और एनडीए की सरकार ने बढ़ाया है। बिहारी अस्मिता के लिए काम नीतीश कुमार और एनडीए की सरकार ने किया है। प्रधानमंत्री की योजना है समन्वय स्थापित किया जाए क्योंकि प्रवासी बिहारी जिन राज्यों में निवास किया है। वहां के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्हें भी लगता है कि बिहार का विकास एनडीए सरकार ही कर सकती है तो देशभर के 70 से ज्यादा शहरों कार्यक्रम तय किए गए हैं। अलग-अलग तरह के कार्यक्रम होंगे, जिनकी जिम्मेदारी पार्टी के नेताओं को दी गई है।
आपको बता दें बिहार के लोग खास तौर से दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, असम जैसे राज्यों में बड़ी तादाद में रहते हैं। जो बिहार के वोटर भी हैं। इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा का चुनाव होना है, ऐसे में बीजेपी की नजर विधानसभा चुनाव पर है, साथ उन प्रवासियों पर हैं, जो चुनाव के समय बिहार लौट सकते हैं।