Case lodged against IPS Amit Lodha and his wife by ED know what allegations आईपीएस अमित लोढ़ा की मुश्किलें और बढ़ीं, ईडी में पति पत्नी पर केस दर्ज; क्या हैं आरोप जानें, Bihar Hindi News - Hindustan
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आईपीएस अमित लोढ़ा की मुश्किलें और बढ़ीं, ईडी में पति पत्नी पर केस दर्ज; क्या हैं आरोप जानें

राज्य की जांच एजेंसी एसवीयू (विशेष निगरानी इकाई) ने इनके खिलाफ 7 दिसंबर 2022 को आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में एफआईआर दर्ज की थी। मगध रेंज के तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा समेत अन्य को नामजद अभियुक्त बनाया गया। भ्रष्टाचार निवारण कानून 1998 की धारा 13 (1)(बी), 13(2) समेत अन्य धाराओं में दर्ज है।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटनाMon, 2 Sep 2024 05:33 AM
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आईपीएस अमित लोढ़ा की मुश्किलें और बढ़ीं, ईडी में पति पत्नी पर केस दर्ज; क्या हैं आरोप जानें

बिहार के तेज तर्रार माने जाने वाले आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पहले से जांच प्रक्रिया से गुजर रहे आईपीएस अधिकारी और उनकी पत्नी कुमुद लोढ़ा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय, ईडी में मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच एजेंसी ने इनके खिलाफ ईसीआईआर (इंफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) कुछ दिनों पहले ही दर्ज कर ली है। फिलहाल इनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, पद का दुरुपयोग और अनैतिक गतिविधि से धन कमाने के आरोपों की जांच ईडी के स्तर पर चल रही है। बिहार कैडर के 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा वर्तमान में राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (एससीआरबी) में आईजी के पद पर तैनात हैं।

गौरतलब है कि राज्य की जांच एजेंसी एसवीयू (विशेष निगरानी इकाई) ने इनके खिलाफ 7 दिसंबर 2022 को आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में एफआईआर दर्ज की थी। इसमें मगध रेंज के तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा समेत अन्य को नामजद अभियुक्त बनाया गया। यह मुकदमा भ्रष्टाचार निवारण कानून 1998 की धारा 13 (1)(बी), 13(2) समेत अन्य धाराओं में दर्ज है। इसी को आधार बनाते हुए ईडी ने इनके खिलाफ ईसीआईआर दर्ज की है। नया केस दर्ज होने के बाद अमित लोढ़ा और कानून के शिकंजे में फंसते नजर आ रहे हैं।

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अमित लोढ़ा के खिलाफ एसवीयू की जांच में दो करोड़ 50 लाख रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति की बात सामने आई थी। एसवीयू ने करीब 3 महीने पहले राज्य सरकार से लोढ़ा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति से संबंधित प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार, अनुमति की फाइल गृह विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव ने विधि विभाग को न भेजकर मंतव्य के लिए महाधिवक्ता को भेजा था। उसके बाद यह कार्रवाई की गई है।