क्रय केन्द्रों को चिढ़ा रहे बाजार के भाव, खलिहान व घर से बिक जा रहा गेहूं
रीदने का लक्ष्य 5729 मीट्रिक टन न्यूमेरिक 87 किसानों से अब तक गेहूं की हुई है खरीदारी फोटो 12 बनियापुर के सिसई पैक्स में गेहूं खरीदारी का दर्जा लेते जिला सहकारिता पदाधिकारी सुधीर कुमार सिंह पेज चार की...

छपरा, नगर प्रतिनिधि। भीषण गर्मी में गेहूं खरीद के मामले में सारण के तमाम सरकारी क्रय केंद्र हांफ रहे हैं। किसानों को बाजार में ही बेहतर भाव मिलने से ऐसा लग रहा है जैसे सरकारी क्रय केन्द्रों को चिढ़ा रहे हैं। महज 53 दिन में 134.41 एमटी गेहूं की खरीदारी सिर्फ 87 किसानों से ही खरीद हुई है। किसानों को बाजार के भाव से फायदा है पर सरकारी व्यवस्था से कोई लाभ नहीं मिल रहा। ज्यादा कीमतों के लिए यूपी तक जा कर गेहूं बेचना पड़ रहा है। खेत-खलिहानों से ही अनाज व्यापारी व निजी एजेंसियां गेहूं खरीद लिया है। गेहूं की सरकारी खरीद तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल पर हो रही है।
ऐसे में गेहूं की कम कीमत मिलने से किसान सरकारी खरीद में रुचि नहीं दिखा रहे हैं जबकि सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों के इंतजार में प्रबंधक बैठे हैं। सरकारी मूल्य से बाजार में अधिक दर होने के कारण किसान पैक्सों को गेहूं नहीं बेचना चाह रहे हैं। सहकारिता विभाग ने एक अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू की, लेकिन लक्ष्य से बहुत पीछे है। यही वजह है कि 53 दिन के बाद भी अब तक महज 87 किसानों से 134.41 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीदारी हो सकी है। इनमें 58 किसानों को गेहूं खरीदारी की राशि का भुगतान हो चुका है जबकि 29 किसानों का भुगतान अभी लंबित है। गेहूं की अंतिम खरीदारी करने का समय 15 जून तय है। किसानों का कहना है कि इस साल गेहूं की सरकारी दर 24 सौ 25 रुपए प्रति क्विंटल तय किए गए हैं लेकिन व्यवसायी 2700 रुपए क्विंटल की खरीदारी कर रहे हैं। ऐसे में कम दाम में आखिर अपना गेहूं क्यों बेचें। गेहूं की खरीदारी के लिए सहकारिता विभाग ने पैक्स अध्यक्ष व व्यापार मंडल का चयन किया है। इसके अलावा किसानों ने गेहूं बेचने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है, लेकिन दाम कम होने के कारण किसान पैक्स को गेहूं नहीं बेच रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ बोनस की भी उठी मांग खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि गेहूं की खरीद में तेजी लाने के लिए सभी उपाय किये गए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा गेहूं का भाव मिलने से किसानों द्वारा खुले बाजार में ही बेच रहे हैं। हालांकि, संबंधित अधिकारी पैक्सों में जाकर गेहूं खरीद की व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं। गेहूं की सरकारी खरीद को बढ़ावा देने की सरकार की कोशिशों के बीच सारण के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ बोनस की भी मांग उठाई है। गेहूं खरीद की वास्तविक हकीकत परख कर वापस लौटे सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में इसकी चर्चा की है। गड़खा निवासी किसान संजय सिंह का कहना है कि किसानों ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ बोनस देने की मांग की थी, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। लक्ष्य का 2.34 फीसदी ही खरीदारी लक्ष्य का 2.34 फीसदी ही खरीदारी यह चौंकाने वाला आंकड़ा किसानों की सरकारी खरीद प्रक्रिया में उदासीनता या फिर सिस्टम की खामियों को दर्शाता है। यह निराशाजनक संख्या दर्शाती है कि या तो किसानों को सरकारी दरों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है या फिर खरीद प्रक्रिया इतनी जटिल है कि वे पैक्स और सहकारी समितियों को गेहूं बेचने में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसके अलावा, यह भी संभव है कि किसानों को खुले बाजार में अपनी उपज का बेहतर दाम मिल रहा हो, जिसके कारण वे सरकारी खरीद केंद्रों तक पहुंचने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।यदि किसान अपनी उपज को सरकारी दर पर नहीं बेच पाते हैं तो उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसके साथ ही, सरकार के खाद्यान्न सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी बाधा आ सकती है। कम किसानों से गेहूं की खरीद होना सवाल खड़ा करता है, जबकि सरकार की ओर से लगातार किसानों को सरकारी दर पर गेहूं और धान बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। किसानों ने कहा- व्यवसायियों से नकद मिल जाता है पैसा बनियापुर के किसान सुभाष प्रसाद, मकेर के किसान मंजीत व दरियापुर के किसान भोला सिंह व अन्य ने बताया कि सरकारी भाव 24 सौ 25 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि 2700 रुपए के क्विंटल बाजार में गेहूं आराम से बिक रहे हैं। ऐसे में घाटा सह कर किसान अपना गेहूं क्यों बेचें। व्यवसायी गेहूं की खरीदारी जब करते हैं तो पैसा भी नकद मिल जाता है। किसान सुभाष प्रसाद ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार गेहूं का उत्पादन भी ठीक हुआ है। हमारे पास 20 क्विंटल गेहूं की पैदावार इस बार हुई है, जिसे व्यवसायी को बेच दिया। दर्द भरी है किसानों की पीड़ा रिविलगंज के किसान गणेश कहते हैं कि किसानों की पीड़ा इन दिनों काफी है। मांझी के किसान सुनील सिंह बताते हैं कि हर साल ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। फिर भी कोई सोचने वाला नहीं है। जलालपुर के किसान संतराज का कहना है कि किसानों को एकजुट होकर बड़ा आंदोलन खड़ा करना पड़ेगा। एकमा प्रखंड के सरोज का कहना है किसान संगठित नहीं हैं, इसलिए उनकी आवाज और पीड़ा को कोई नहीं सुन रहा है। मांझी के किसान मनोज व सूचित का कहना है कि किसानों की ऐसी हालत कभी नहीं हुई थी। रिविलगंज के किसान विजय व अन्य ने कहा कि पड़ोस के यूपी में जाकर वे लोग गेहूं अधिक मूल्य पर बेचने को विवश हो रहे हैं। इनसेट जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में जारी किए गए कई गाइडलाइन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक सीएमआर की निर्धारित मात्रा को हर हाल में संबंधित पैक्स,व्यापार मंडल को आपूत्र्ति करना जरूरी छपरा, नगर प्रतिनिधि। जिला सहकारिता पदाधिकारी, सभी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी व अन्य सभी सदस्यों के साथ जिला स्तरीय अनुश्रवण एवं कार्यान्वयन समिति, जिला सहकारी विकास समिति, जिला स्तरीय समन्वय समिति व धान अधिप्राप्ति के जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक शुक्रवार को आयोजित की गई। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला पदाधिकारी अमन समीर ने कई गाइडलाइन जारी किया। बैठक में बताया गया कि खरीफ विपणन मौसम 2024- 25 में पैक्सों द्वारा अधिप्राप्ति किए गए धान का जिला टास्क फोर्स द्वारा निर्धारित मात्रा के अनुसार ही अरवा व उसना चावल की आपूर्ति की जानी है। इस परिप्रेक्ष्य में जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि निर्धारित उसना व अरवा चावल की मात्रा में विशेषकर उसना चावल की मात्रा में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाएगा। उसना सीएमआर की निर्धारित मात्रा को हर हाल में संबंधित पैक्स,व्यापार मंडल को आपूत्र्ति करना है। निर्धारित मात्रा की आपूत्र्ति नहीं किए जाने पर संबंधित पैक्स,व्यापार मंडल के विरुद्ध निश्चित रूप से प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी। संदर्भित कार्य का पूर्ण पर्यवेक्षण जिला सहकारिता पदाधिकारी व सभी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी करेंगे। साथ ही यह भी हिदायत दी गयी कि अगले दो से तीन दिनों के अंदर सभी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी उसना चावल मिल से सभी पैक्सों का एग्रीमेंट करने की कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे।
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