बिहार में दलित लड़की से रेप पर सियासत गर्म, गवर्नर से मिले कांग्रेस और जन सुराज के नेता
कांग्रेस पार्टी और जन सुराज के नेताओं ने पटना में राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की है। दोनों ही पार्टी के नेताओं ने इस मुलाकात में पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी में दलित नाबालिग लड़की से रेप और फिर उसकी मौत के मामले पर सियासत गरमाती जा रही है। बिहार के विपक्षी दल लगातार इस मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेर रहे हैं। अब कांग्रेस पार्टी और जनसुराज के नेताओं ने पटना में राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की है। दोनों ही पार्टी के नेताओं ने इस मुलाकात में पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश कुमार पार्टी नेताओं के सााथ पटना स्थित राजभवन पहुंचे। यहां कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के जरिए राज्यपाल को कुढ़नी गैंग रेप के संबंध में जानकारी दी गई और फिर उनसे इस पूरे मामले में परिवार को न्याय दिलाने की गुहार लगाई गई है।
इधर जन सुराज के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती के नेतृत्व में भी एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल ने भी मुजफ्फरपुर की नौ साल की दलित लड़की के साथ दुष्कर्म और उसके बाद PMCH की लापरवाही से हुई उसकी मौत के खिलाफ गवर्नर को ज्ञापन सौंपा है।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मनोज भारती ने कहा कि जन सुराज पार्टी की 4 मांगें हैं। पहली मांग है कि इस पूरी घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री तुरंत इस्तीफा दें। दूसरी मांग एसकेएमसीएच और पीएमसीएच (PMCH) में हुई प्रशासनिक और चिकित्सकीय लापरवाही की न्यायिक जांच हो और दोषी कर्मियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई की जाए। तीसरी मांग है कि पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। चौथी मांग है कि दुष्कर्म के दोषियों को त्वरित न्याय प्रणाली के तहत सख्त से सख्त सजा मिले।
आपको बता दें कि कुढ़नी दुष्कर्म कांड की पीड़िता की पीएमसीएच में मौत के बाद कुढ़नी थाने की पुलिस सक्रिय हुई। घटना के सात दिन बाद बच्ची व आरोपित के कपड़े और घटनास्थल से एकत्र साक्ष्यों को आनन-फानन में विशेष कोर्ट में पेश किया। इन कपड़ों व अन्य साक्ष्यों को एफएसएल पटना से जांच कराने की कोर्ट से अनुमति ली। सात दिन तक इन कपड़ों व साक्ष्यों की जांच कराने को लेकर पुलिस चुपचाप बैठी रही। इससे कुढ़नी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।