जलसंकट झेल रहे हैं बालूघाट मोहल्ले के लोग, नहीं शुरू हो सका नल-जल
बालूघाट मोहल्ला जलजमाव से मुक्त हो चुका है, लेकिन पेयजल की किल्लत बनी हुई है। यहां पानी की पाइप लाइन बिछी है, फिर भी हर घर में नल नहीं लग रहे हैं। मोहल्ले के लोग 70 प्रतिशत को सबमर्सिबल पंप तक जाना...
शहर का बालूघाट मोहल्ला अब जलजमाव से मुक्त हो चुका है। लोग मोहल्ले की गलियों में बनी पक्की सड़कें, नाले व बिजली खंभों पर लगी स्ट्रीट लाइट दिखाते हैं। बताते हैं कि बुनियादी सुविधाओं का विकास हुआ है, पर पेयजल की किल्लत समस्या बनी हुई है। यहां के लोगों का कहना है कि मोहल्ले में पानी की पाइप लाइन बिछ चुकी है, इसके बावजूद हर घर में नल लगाने का काम नहीं हो रहा है। इसके कारण लोग पेयजल के लिए कठिनाई झेल रहे हैं। बालूघाट मोहल्ले के लोग इसका जिम्मेवार नगर निगम को बताते हैं। लोगों का कहना है कि यहां सबमर्सिबल गड़ा है, पर उसका कनेक्शन सीमित घरों को ही मिला है। मोहल्ले के 70 प्रतिशत लोगों को सबमर्सिबल पंप हाउस तक जाना पड़ता है या फिर वाटर टैंकर के आने पर पानी के लिए कतार लगानी पड़ रही है। इससे पेयजल की प्राप्ति बड़ी परेशानी का सबब बनी है। बालूघाट मोहल्ले के लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अभाव का दर्द भी सुनाते हैं। मोहल्ला निवासी मोनू कुमार, दिलीप साह, गोपाल कुमार, गणेश साह आदि बताते हैं कि स्वास्थ्य केंद्र के अभाव में लोगों को चार किलोमीटर दूर डीएमसीएच जाना पड़ता है। अक्सर सड़क जाम रहता है, जिसके कारण डीएमसीएच पहुंचने में घंटेभर से अधिक समय लगता है। इसके बाद मरीजों की भीड़ में घंटों खड़े रहने के बाद चिकित्सक का परामर्श व दवा मिलती है। उन्होंने बताया कि मोहल्ले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा होती तो लोग मामूली बीमारी के लिए डीएमसीएच नहीं जाते। साथ ही इससे अगल-बगल के मोहल्लेवासियों को भी सुविधा मिलती।
निगम की सुविधाओं से वंचित हैं डेढ़ सौ परिवार : बागमती नदी किनारे बसा बालूघाट मोहल्ला सैकड़ों वर्ष पुराना है। यह नगर निगम के वार्ड-6 का हिस्सा है। बालूघाट मोहल्ले का ऊपरी भाग जहां विकसित है, वहीं नदी किनारे का निचला हिस्सा बदहाल है। स्थानीय गागो देवी, दिनेश सहनी, पारो देवी, पुतुल कुमार शर्मा, मुकेश कुमार आदि बताते हैं कि नदी किनारे नारद घाट तक मुख्य सड़क बनी है। सामुदायिक भवन के साथ श्राद्धकर्म स्थली भी बनी है, पर अन्य विकास कार्य ठप हैं। उन्होंने बताया कि डेढ़ सौ भूमिहीन परिवार पुश्तैनी तौर पर नदी किनारे बसे हैं। सभी वार्ड-6 के वोटर हैं और राशन, आयुष्मान आदि कार्ड भी मिला हुआ है। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी हमें अतिक्रमणकारी मानते हैं। मकानों को हाउस नंबर एलॉट कर होल्डिंग टैक्स का निर्धारण नहीं कर रहे हैं। इसके चलते नल-जल, सड़क-नाला आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। उन्होंने बताया कि शहर के इस हिस्से में बिजली विभाग का पोल तक मौजूद नहीं है। विद्युत कनेक्शन लेनेवाले लोगों को हजार-1500 मीटर दूर मौजूद बिजली पोल से केबुल जोड़ना पड़ा है जो अक्सर आंधी-तूफान में टूट जाता है और विद्युत आपूर्ति ठप हो जाती है। नगर निगम की स्थायी समिति के सदस्य वार्ड पार्षद शत्रुघ्न प्रसाद यादव उर्फ नारद बताते हैं कि बागमती नदी किनारे बसे परिवार सरकारी भूमि पर रहते हैं। पेयजल के लिए दो चापाकल गाड़े गए हैं। साथ ही सबमरसेबुल का नल भी मोहल्ले तक पहुंचाया गया है।
बोले जिम्मेदार
शहर के अन्य मोहल्लों की तरह बालूघाट में भी पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा मोहल्ले में सबमर्सिबल मोटर पंप भी लगाये गए हैं, ताकि लोगों को पानी लेने में सुविधा हो। इसके बावजूद अगर वहां से पेयजल की समस्या की शिकायत मिलती है तो इस दिशा में नगर निगम की ओर से आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
- रवि अमरनाथ, सिटी
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