जीविका दीदियों को चाहिए समय से मानदेय व सम्मान
जिले की हजारों महिलाएं जीविका संगठन से जुड़कर सशक्तीकरण के नए अध्याय लिख रही हैं। हालांकि, डीएमसीएच में कार्यरत दीदियों को समय पर मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे...
जिले की हजारों महिलाएं जीविका संगठन से जुड़कर सशक्तीकरण का नया अध्याय लिख रही हैं। जागरूकता अभियान, नीरा बिक्री, टीकाकरण आदि कार्यों का सफलता से संचालन जीविका दीदियों के माध्यम से हो रहा है। डीएमसीएच में भी जीविका दीदियां मरीजों को पोषाहार उपलब्ध कराने से लेकर साफ-सफाई बेहतर तरीके से कर रही हैं। इसके बावजूद डीएमसीएच में कार्यरत दीदियों के जीवन में बदहाली पसरी है। समय पर मानदेय नहीं मिलने से घर चलाने में आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। रोज लेनदारों का तगादा-ताना सुनने से इनकी मानसिक परेशानी बढ़ी हुई है। इस वजह से दीदियों के घर रोज पारिवारिक कलह होती है। दीदियां बताती हैं कि इस डर से डीएमसीएच में कार्यरत दर्जनों दीदियां घर नहीं जातीं। आठ घंटे काम करने के बाद अस्पताल के किसी कोने में सोकर रात गुजारती हैं। इससे दीदियों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। कई दीदियां तो टेंशन के कारण बीमारी से ग्रसित हो गई हैं।
जीविका दीदी दुर्गा देवी बताती हैं कि एक तो मानदेय कम है, ऊपर से भुगतान तीन-चार महीने में होता है। इससे परिवार का भरण-पोषण चुनौती बन गयी है। फाकाकशी में जीवन कट रहा है। उन्होंने बताया कि सरकारी व्यवस्था में नौकरी करने के बावजूद दयनीय हालत देख लोग मजाक उड़ाते हैं। इससे सामाजिक जिल्लत का भी सामना करना पड़ता है। मजबूरी में कई दीदियां कर्ज लेकर दैनिक जरूरतों को पूरा करती हैं। फिर जब तीन-चार माह बाद वेतन मिलता है तो सारी राशि कर्ज और सूद चुकाने में खत्म हो जाती है। यही दर्द जीविका दीदी मधु कुमारी, गुड़िया देवी, कवियित्री देवी आदि का भी है। वे कहती हैं कि डीएमसीएच में सफाई का काम मेहनत से करते हैं, फिर भी आठ घंटे काम के अनुपात में मात्र छह हजार रुपए मानदेय मिलता है। इसका भुगतान महीनों बाद होता है, जबकि महीना बीतते ही दूध, पानी, राशन वाले आदि का तगादा शुरू हो जाता है। समय पर पैसे नहीं मिलने से घर का राशन खत्म हो जाता है जिससे भुखमरी जैसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों की स्कूल फीस व दुकानदारों का बकाया चुकाने की टेंशन से जीविका दीदियां परेशान हैं। फिर भी डीएमसीएच की व्यवस्था नहीं सुधर रही है। हर तीन-चार महीने बाद मानदेय भुगतान के लिए अधिकारियों से गुहार लगानी पड़ती है। इसके बाद पैसा मिलता है तो कर्जदार को मूल और सूद चुकाते हैं। इसी में मानदेय का सारा पैसा चला जाता है। इस वजह से घर खर्च और अन्य पारिवारिक जरूरतें पूरी करने के लिए दीदियों को मशक्कत करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि दीदियों का मानदेय बढ़ना चाहिए। साथ ही समय पर भुगतान हो तो आर्थिक बदहाली दूर हो जाएगी, पर ऐसा हो नहीं रहा है। अभी भी तीन महीने से भुगतान नहीं हुआ है। इस कारण हम लोगों ने प्रदर्शन किया तो जीविका इकाई ने एक महीने का भुगतान किया है। दो माह का भुगतान अब भी अटका हुआ है।
आर्थिक तंगी से बेरंग रहेगी होली
डीएमसीएच में करीब चार सौ दीदियां कार्यरत हैं। इनमें से 60-70 दीदियां अस्पताल में भर्ती मरीजों को आहार उपलब्ध कराती हैं। 250 से अधिक दीदियां तीन शिफ्टों में अस्पताल की सफाई व्यवस्था संभालती हैं। वे मरीजों को आहार उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी दो वर्षों से संभाल रही हैं, जबकि सफाई कार्य चार महीने पूर्व जीविका इकाई को मिला है। दोनों ही जगह कार्यरत जीविका दीदियां समय पर भुगतान नहीं होने से आर्थिक मुश्किलें झेल रही हैं। जीविका दीदी राधा देवी, सुमन कुमारी,गुड़िया देवी आदि बताती हैं कि रंगों का त्योहार होली इस वर्ष बेरंग गुजरेगा। तीन महीने के बकाये के बदले एक माह का भुगतान हुआ। उन्होंने बताया कि जीविका संगठन का बिल महीनों डीएमसीएच प्रशासन के पास अटका रहता है। इस कारण भुगतान में देरी होती है और दीदियों को आर्थिक व मानसिक पीड़ा से जूझना पड़ता है। जीविका दीदियों के काम से मरीज-परिजन खुश: कावेरी जीविका इकाई की दीदियों के खाने और उमंग जीविका इकाई के सफाई बंदोबस्त से मरीज-परिजन खुश हैं। फिर भी यहां कार्यरत दीदियों को छह-सात हजार महीने पर काम करना पड़ रहा है। जीविका दीदी रिंकी देवी, रीता देवी, पिंकी देवी, सुनैना देवी आदि बताती हैं कि आठ घंटे मेहनत करते हैं तब जाकर अस्पताल परिसर चकाचक होता है। फिर भी मानदेय का भुगतान डीएमसीएच प्रशासन के कारण समय से नहीं होता है।
शिकायतें
1. महीना समाप्त होने के बावजूद मानदेय भुगतान नहीं होने के कारण जीविका दीदियां परेशान रहती हैं।
2. पैसे के अभाव में जीविका दीदियां पारिवारिक कलह की शिकार बन रही हैं। डर से कई दीदियां अस्पताल में ही रहती हैं।
3. सफाई कर रही जीविका दीदियों को बेहद कम मानदेय मिलता है। इसके कारण उनकी पारिवारिक जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं।
4. दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से रोज आने-जाने में जीविका दीदियों को किराया देना पड़ता है।
5. जिले की अधिकतर दीदियों को परिचय पत्र भी नहीं मिला है। अन्य सरकारी सुविधाओं से भी वंचित हैं।
सुझाव
1. जीविका दीदियों का मानदेय बढ़ना चाहिए। साथ ही इन्हें समय पर मानदेय का भुगतान हो।
2. डीएमसीएच में कार्यरत जीविका दीदियों को मानदेय के बदले वेतन मिले। अन्य सुविधाएं देने की भी पहल हो।
3. डीएमसीएच में जीविका दीदियां बेहतर काम कर रही हैं। इन्हें ट्रॉली, बेडशीट सफाई आदि कार्य भी सौंपने की पहल हो।
4. अधिकतर जीविका दीदियां ग्रामीण क्षेत्रों से आती हैं। इन्हें आने-जाने का किराया मिलना चाहिए।
5. जीविका दीदियों की आर्थिक बदहाली दूर करने के लिए योजनाओं का संचालन हो।
-बोले जिम्मेदार-
जिले की दीदियां सफलता से महिला सशक्तीकरण को बढ़ावे दे रही हैं। डीएमसीएच में थोड़ी दिक्कत हो रही है। इसे लेकर पत्र भेजा गया है। जल्द ही जीविका दीदियों का भुगतान हो जाएगा।
- डॉ. ऋचा गार्गी, डीपीएम
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